नवरात्रि: अखंड ज्योति प्रज्वलित करने वाले रखें ध्यान, मां न हो जाएं नाराज

Edited By ,Updated: 20 Mar, 2017 03:11 PM

akhand jyoti tips before navratri

शास्त्रों में दुर्गा के नौ रूप बताए गए हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों (शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी,

शास्त्रों में दुर्गा के नौ रूप बताए गए हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों (शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूषमांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री) की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। नवरात्रि में मां को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु हर संभव प्रयास करते हैं क्योंकि ये नौ दिन और नौ रातें मां को बहुत प्रिय हैं। इन्हीं प्रयासों में एक है अखंड ज्योति प्रज्वलित करना। नवरात्रि के प्रथम दिन ज्योत जलाई जाती है लेकिन उससे पूर्व कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखें, कहीं मां को प्रसन्न करने की बजाय नाराज न कर दें।


पुराणों में कहा गया है जिस वक्त तक अखंड ज्योति का संकल्प लें, उससे पूर्व वह खंडित नहीं होनी चाहिए। इसे अमंगल माना जाता हैं। 

 

नौ दिन में 2 से 3 किलो शुद्ध देसी घी अथवा सरसों का तेल लगता है।

 

अखंड ज्योति को चिमनी से ढक कर रखें।

 
जिस स्थान पर अखंड ज्योति प्रज्वलित कर रहे हैं उसके आस-पास शौचालय या स्नानगृह नहीं होना चाहिए।

 

अखंड ज्योति के जलने का संकल्प समय पूरा हो जाए तो उसे जलने दें। स्वयं शांत होने दें, फूंक मारकर अथवा हाथ से न बुझाएं।


 
ईशान कोण अर्थात उत्तर पूर्व को देवताअों की दिशा माना जाता है। इस दिशा में माता की प्रतिमा अौर अखंड ज्योति प्रज्वलित करना शुभ होता है। 


 
जो माता के सामने अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं उन्हें इसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखना चाहिए। पूजन के समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।


 
चंदन की लकड़ी पर घट स्थापना और ज्योति रखना शुभ होता है।

 

पूजा स्थल के पास सफाई होनी चाहिए। वहां कोई गंदा कपड़ा या वस्तु न रखें।


 
जो लोग नवरात्रों में ध्वजा बदलते हैं। वे ध्वजा को छत पर उत्तर पश्चिम दिशा में लगाएं।


 
पूजा स्थल के सामने थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए। जहां बैठकर पूजा अौर ध्यान लगाया जा सके।  

 

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