Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 10:15 AM
महान संत श्री हरि बाबा को एक भक्त ने अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया। तय समय पर संत श्री हरि बाबा अपने भक्त के घर पहुंच गए। जिस समय भोजन तैयार किया जा रहा था उस समय घर में अंधेरा था।
महान संत श्री हरि बाबा को एक भक्त ने अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया। तय समय पर संत श्री हरि बाबा अपने भक्त के घर पहुंच गए। जिस समय भोजन तैयार किया जा रहा था उस समय घर में अंधेरा था। सब्जी तैयार करते समय भूलवश उसमें घी की जगह अरंडी का इस्तेमाल हो गया। घर के किसी सदस्य को यह पता नहीं चल पाया कि सब्जी अरंडी के तेल से बन गई है। भोजन तैयार हो गया। संत हरि बाबा ने जब भोजन करना शुरू किया तो वह समझ गए कि सब्जी में अरंडी का इस्तेमाल हो गया है।
उन्हें यह समझते भी देर नहीं लगी कि ऐसा जानबूझ कर नहीं किया गया होगा। संत हरि बाबा ने सब्जी के बारे में कोई शिकायत नहीं की। खाना खाते हुए वह आलू की सब्जी को स्वादिष्ट बताते रहे और उसे बनाने वाली गृहिणी की प्रशंसा भी की लेकिन अरंडी तेल को अपना असर तो दिखाना ही था। खाना खाने के बाद हरि बाबा को दस्त लग गए। किसी भक्त ने चिंता व्यक्त की तो बाबा ने जवाब में कहा कि कई दिनों से पेट खराब था, आज जुलाब ले लिया है। वहां तो सब संतुष्ट हो गए लेकिन भोजन करवाने वाले भक्त के घर जब यह खबर पहुंची कि बाबा को दस्त लगे हैं तो उन लोगों को माजरा समझते देर नहीं लगी। उस घर में भी लोगों को अरंडी के तेल की सब्जी खाने के कारण दस्त लगे थे।
बाबा को भोजन करवाने वाले भक्त परिवार का मुखिया भागा-भागा आश्रम पहुंचा। वहां उस वक्त भजन चल रहा था। बाबा भजन में रमे थे। वह बाबा के चरणों में बैठ गया, ‘‘महाराज हमारी गलती से आपको बीमार होना पड़ा।’’ मगर बाबा ने भक्त की गलती को कोई अहमियत नहीं दी। उसके सिर पर स्नेह से हाथ फेरते हुए जोर से बोले, ‘‘हरि बोल, हरि बोल।’’ और फिर उसे भी संकीर्तन में शामिल कर लिया।