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नवरात्रि के दूसरे दिन है भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान

Edited By ,Updated: 14 Oct, 2015 08:54 AM

katha maa brahmacharini

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के उपासक और भक्त को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप है।

माँ ब्रह्मचारिणी उपासना मंत्र: दधाना कपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के उपासक और भक्त को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली मां ब्रहचारिणी मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप है।

माता ब्रह्मचारिणी का स्वरुप बहुत ही सात्विक और भव्य है। यहां ब्रम्ह का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। 

पढि़ए, मां ब्रहचारिणी की कथा:-

ब्रम्हचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं।

पूर्व जन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात ब्रम्हचारिणी नाम से अभिहित किया गया। 

एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। 

कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रघ्चारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी।

तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं।  इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रहचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है।

नवरात्रि की प्रथम देवी मां शैलपुत्री, पढ़े पहले दिन क्यों होती है शैलपुत्री की पूजा?

इस प्रकार है मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने का मंत्र:- 

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने का मंत्र बहुत ही आसान है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

पढ़े, नव दुर्गा नवरात्रि के विशेष दिन:- 

1. नवरात्रि के पहले दिन : शैलपुत्री

2. नवरात्रि के दूसरे दिन:   ब्रह्मचारिणी

3. नवरात्रि के तीसरे दिन: चंद्रघंटा

4. नवरात्रि के चौथे दिन: कुष्मांडा 

5. नवरात्रि के 5 वें दिन: स्कन्दमाता

6. नवरात्रि के छठे दिन : कात्यायनी

7. नवरात्रि के सातवें दिन दिवस: कालरात्री

8. नवरात्रि के आठवें दिन: महागौरी

 9. नवरात्रि के नौवें दिन: सिद्धिदात्री

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