जानिए, क्या है पावन गुफा में मिलने वाली भस्म का रहस्य

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jun, 2017 11:11 AM

mystery of bhasm in holy cave

श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने शिव धाम की प्राप्ति करवाने वाली परम पवित्र ‘अमर कथा’ भगवती पार्वती को सुनाई थी। जिसके लिए वे इस पवित्र गुफा

श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने शिव धाम की प्राप्ति करवाने वाली परम पवित्र ‘अमर कथा’ भगवती पार्वती को सुनाई थी। जिसके लिए वे इस पवित्र गुफा में गए, जहां बर्फ से बने शिवलिंग से जुड़ी कथा को सुनाने के लिए माता पार्वती जी भगवान सदाशिव से कहती हैं, ‘‘प्रभो! मैं अमरेश महादेव की कथा सुनना चाहती हूं। मैं यह भी जानना चाहती हूं कि महादेव गुफा में स्थित होकर अमरेश क्यों और कैसे कहलाए?’’ 

सदाशिव भोलेनाथ माता पार्वती का प्रश्र सुनकर कहने लगे आदिकाल में ब्रह्मा, प्रकृति, अहंकार, स्थावर (पर्वतादि) जंगल (मनुष्य) संसार की उत्पत्ति हुई। इस क्रमानुसार देवता, ऋषि, पितर, गंधर्व, राक्षस, सर्प, यक्ष, भूतगण, कूष्मांड, भैरव, गीदड़, दानव आदि की उत्पत्ति हुई। इस तरह नए प्रकार के भूतों की सृष्टि हुई परंतु इंद्र आदि देवता सहित सभी मृत्यु के वश में थे।  

देवता, भगवान सदाशिव के पास आए क्योंकि उन्हें मृत्यु का भय था। भय से त्रस्त सभी देवताओं ने भगवान भोलेनाथ की स्तुति की और कहा हमें मृत्यु बाधा करती है। आप कोई ऐसा उपाय बतलाएं जिससे मृत्यु हम लोगों को बाधा न करे। देवताओं की बात सुनकर भोलेनाथ स्वामी बोले मैं आप लोगों की मृत्यु के भय से रक्षा करूंगा। यह कहते हुए सदाशिव ने अपने सिर पर से चंद्रमा की कला को उतार कर निचोड़ा और देवगणों से बोले, यह आप लोगों के मृत्यु रोग की औषधि है।  

उस चंद्रकला के निचोड़ने से पवित्र अमृत की धारा बह निकली और वह धारा बाद में अमरावती नदी के नाम से विख्यात हुई। चंद्रकला को निचोड़ते समय भगवान सदाशिव के शरीर पर जो अमृत बिंदु गिरे वे सूख कर पृथ्वी पर गिर पड़े। पावन गुफा में जो भस्म है वह इसी अमृत बिंदु के कण हैं। 

कहते हैं सदाशिव भगवान देवताओं पर प्रेम न्यौछावर करते समय स्वयं द्रवीभूत हो गए। देवगण सदाशिव को जल स्वरूप देखकर उनकी स्तुति में लीन हो गए और बारम्बार नमस्कार करने लगे। भोलेनाथ ने दयायुक्त वाणी से देवताओं से कहा, तुमने मेरा बर्फ का लिंग शरीर इस गुफा में देखा है। इस कारण मेरी कृपा से आप लोगों को मृत्यु का भय नहीं रहेगा। अब तुम यहीं पर अमर होकर शिव रूप को प्राप्त हो जाओ। आज से मेरा यह अनादिलिंग शरीर तीनों लोकों में अमरेश के नाम से विख्यात होगा। 

भगवान सदाशिव देवताओं को ऐसा वर देकर उस दिन से लीन होकर गुफा में रहने लगे। भगवान सदाशिव महाराज ने अमृत रूप सोमकला को धारण करके देवताओं की मृत्यु का नाश किया इसलिए तभी से उनका नाम अमरेश्वर प्रसिद्ध हुआ है।  


 

Related Story

Trending Topics

IPL
Kolkata Knight Riders

174/8

20.0

Royal Challengers Bangalore

177/3

16.2

Royal Challengers Bengaluru win by 7 wickets

RR 8.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!