Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Nov, 2017 08:02 AM
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को उस समय अपनी पहली कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा जब गुजरात के विवादास्पद आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण कानून (जी.सी.टी.ओ.सी.) विधेयक को शीघ्र ही उनके मेज पर रखा जाएगा। जी.सी.टी.ओ.सी. पिछले 14 वर्षों से अधर में लटका हुआ...
नेशनल डैस्कः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को उस समय अपनी पहली कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा जब गुजरात के विवादास्पद आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण कानून (जी.सी.टी.ओ.सी.) विधेयक को शीघ्र ही उनके मेज पर रखा जाएगा। जी.सी.टी.ओ.सी. पिछले 14 वर्षों से अधर में लटका हुआ है क्योंकि कोविंद से 3 पूर्व राष्ट्रपतियों ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल और प्रणव मुखर्जी ने इस विवादास्पद बिल पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था।
इस बिल में पुलिस को पर्याप्त अधिकार दिए गए हैं जिनमें फोन टैप करने और अदालतों में उसे सबूत के रूप में पेश करना भी शामिल है। 2003 में जब मोदी मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने पहली बार इस विधेयक को पारित करवाने की कोशिश की थी। वास्तव में मोदी इस बात को लेकर बहुत आशावान थे कि प्रणव मुखर्जी उनके प्रधानमंत्री बनने और आनंदीबेन के मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद इस बिल को मंजूरी दे देंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस संबंध में निजी तौर पर प्रणव मुखर्जी से मिले थे मगर मुखर्जी ने बिल के मौजूदा स्वरूप में इसे मंजूरी देने से इंकार कर दिया। अब गृह मंत्रालय द्वारा इसके कुछ प्रावधानों को हटा दिया गया है। यह बिल महाराष्ट्र के ‘मकोका’ की तर्ज पर है जिसमें राज्य पुलिस को पर्याप्त अधिकार दिए गए हैं। केंद्रीय गृह सचिव को टैलीफोन टैप करने से पूर्व जानकारी देनी होगी। गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद यह बिल कोविंद के समक्ष रखा जाएगा और इसमें कुछ छोटे संशोधन भी किए जा सकते हैं।