Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 02:59 PM
दिल्ली पर अधिकार को लेकर उपराज्यपाल से उलझने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसा अजीब प्रश्न रख दिया जिसको लेकर जज भी पहली बार में कुछ न कह सके। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की वकील इंदिरा जय सिंह...
नेशनल डेस्क: दिल्ली पर अधिकार को लेकर उपराज्यपाल से उलझने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसा अजीब प्रश्न रख दिया जिसको लेकर जज भी पहली बार में कुछ न कह सके। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की वकील इंदिरा जय सिंह ने पूछा कि देश के संविधान या संसद ने ऐसा कोई कानून पास किया है जो दिल्ली को देश की राजधानी घोषित करता हो?
दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों की जंग
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र को लेकर बहस जारी थी और इस दौरान जयसिंह ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सिकरी, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच के सामने कहा कि राजधानी किसी कानून द्वारा निर्धारित नहीं है। केंद्र सरकार चाहे तो राजधानी को कहीं और ले जाने का फैसला कर सकती है। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि अंग्रेजों ने कलकत्ता से बदलकर दिल्ली राजधानी बनाई थी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र विधेयक है लेकिन वो भी ये सुनिश्चित नहीं करता कि दिल्ली भारत की राजधानी है।
दिल्ली में सत्ता के दो केंद्र
इंदिरा जय सिंह ने शीर्ष अदालत से कहा कि मूल सवाल ये है कि क्या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सत्ता के दो केंद्र, एक दिल्ली सरकार और दूसरी केंद्र सरकार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं ये दावा नहीं कर रही कि विधान सभा और मुख्यमंत्री की अगुवाई वाला मंत्रिमंडल होने के नाते दिल्ली एक राज्य है लेकिन जिस तरह केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारों का साफ विभाजन है दिल्ली में भी वैसा ही विभाजन होना चाहिए। सिंह ने सर्वोच्च अदालत से मांग की है कि वो राजधानी में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अधिकार साफ करें ताकि अरविंद केजरीवाल सरकार को खास तौर पर महिला कल्याम, रोजगार, शिक्षा, सफाई और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम चलाने में सहलूयित हो सके। केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली में जब से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तभी से लेफ्टिनेंट गवर्नरों से उसकी रार ठनी हुई है। पहले नजीब जंग और उसके बाद अनिल बैजल ने केजरीवाल सरकार के कई फैसलों पर या तो रोक लगा दी या उन्हें पलट दिया।