Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jul, 2017 02:25 PM
उपराष्ट्रपति को भले ही राष्ट्रपति जैसा सुरक्षा कवच न दिया गया हो और न ही राष्ट्रपति भवन जैसा आलीशान निवास लेकिन फिर भी उनकी स्थिति राष्ट्रपति से कही बेहतर होती है।
नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति को भले ही राष्ट्रपति जैसा सुरक्षा कवच न दिया गया हो और न ही राष्ट्रपति भवन जैसा आलीशान निवास लेकिन फिर भी उनकी स्थिति राष्ट्रपति से कही बेहतर होती है। जी हां राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को मिलने वाले बजट में कई गुणा अंतर है। उपराष्ट्रपति को प्राय: राष्ट्रपति से 6 गुना अधिक बजट मिलता है। इतना ही नहीं उपराष्ट्रपति को कोई भी निर्णय लेने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की अनुशंसा पर निर्भर नहीं होना पड़ता। साथ ही उपराष्ट्रपति एक राष्ट्रीय समाचार चैनल का भी मुखिया होता है।
राष्ट्रपति से 6 गुना अधिक बजट
अगर इस साल के बजट पर नजर डालें तो केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राष्ट्रपति के लिए जहां 66 करोड़ रुपए आवंटित किए तो वहीं उपराष्ट्रपति के लिए 377.21 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया।
1500 कर्मचारी उपराष्ट्रपति के अधीन करते हैं काम
उपराष्ट्रपति संसद के उच्च सदन राज्यसभा का पदेन चेयरमैन होता है। राज्यसभा का चेयरमैन होने के नाते उनके पास उनका सचिवालय होता है, जिसमें 15 सौ से अधिक अधिकारी और कर्मचारी हैं। राज्यसभा का अपना खुद का टीवी चैनल 'राज्यसभा टीवी' है, इसका मुखिया भी उपराष्ट्रपति होता है।
स्वविवेक से निर्णय लेते हैं उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति अपने निर्णयों के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर निर्भर नहीं करता है। अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों पर निर्णय उपराष्ट्रपति स्वविवेक से करता है। जबकि राष्ट्रपति के मामले में ऐसा नहीं होता। राज्यसभा के इस भारी-भरकम सचिवालय के संचालन के लिए ही वित्त मंत्रालय से उपराष्ट्रपति को इतना बड़ा बजट दिया जाता है। हालांकि कई मामलों में उपराष्ट्रपति की स्थिति उतनी मजबूत भी नहीं है। राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए जहां महाभियोग चलाना पड़ता है, वहीं राष्ट्रपति अपने इच्छा से उपराष्ट्रपति को हटा सकता है। इसके अलावा, राष्ट्रपति को रहने के लिए आलीशान राष्ट्रपति भवन मिलता है वहीं उपराष्ट्रपति को कैबिनेट मंत्री स्तर का बंगला दिया जाता है।