Edited By ,Updated: 24 Feb, 2015 02:12 PM
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ संसद से सड़क तक शुरू हुए सियासी संग्राम ने केंद्र की मोदी सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया है। इस मामले में पहले से ही एकजुट विपक्ष के निशाने पर रही सरकार की चिंता समाजसेवी अन्ना हजारे की हुंकार ने और बढ़ा दी है।
नई दिल्लीः भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ संसद से सड़क तक शुरू हुए सियासी संग्राम ने केंद्र की मोदी सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया है। इस मामले में पहले से ही एकजुट विपक्ष के निशाने पर रही सरकार की चिंता समाजसेवी अन्ना हजारे की हुंकार ने और बढ़ा दी है।
अन्ना का अनशन शुरू
करीब तीन साल पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने आंदोलन से यूपीए सरकार को हिलाकर रख देने वाले प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे ने सोमवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अपना दो दिवसीय धरना शुरू कर दिया है। इस प्रदर्शन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मंगलवार को हजारे का साथ देंगे। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के मुद्दे पर हजारे ने कहा कि चुनावों के दौरान भाजपा ने अच्छे दिन का वादा किया था पर अच्छे दिन तो सिर्फ उद्योगपतियों के आए हैं।
वहीं इस मुद्दे पर चौतरफा सियासी हमले के बीच सरकार और पार्टी (भाजपा) के स्तर पर बीच का रास्ता निकालने की कोशिशें शुरू हो गई है। शायद इसीलिए उन्हें इस मुद्दे पर मंथन की जरूरत पड़ गई।
भाजपा संसदीय दल की बैठक में विचार
बजट सत्र के दूसरे दिन भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर भाजपा संसदीय दल की बैठक हुई जिसमें इस बिल के भविष्य को लेकर विचार किया गया। हालांकि पूरे मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों को दो टूक कहा है कि बिल पर पीछे हटने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर आने वाले सुझावों पर विचार किया जाएगा। इन सबके बीच कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने बिल के विरोध की बात कही है।
फिलहाल पूरे मामले में चौतरफा सियासी हमला झेल रही केंद्र सरकार ने बीच का रास्ता निकालने के लिए अध्यादेश के कुछ प्रावधानों को विपक्ष और आंदोलनकारियों की मांगों के अनुरूप बदलाव के संकेत दिए हैं। वहीं सरकार की चिंता यह है कि अगर ऐसा किया गया तो दुनिया को आर्थिक सुधार में रफ्तार देने के संदेश पर पानी फिर जाएगा। ऐसे में सरकार ने खुद पहल करते हुए अध्यादेश के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे नेताओं से बातचीत का दौर शुरू कर दिया है।
17 राज्यों के पांच हजार किसानों का दिल्ली मार्च
देश के 17 राज्यों के 5 हजार से अधिक किसान सिर्फ एक समय खाना खाकर जल, जंगल और जमीन के अपने अधिकार के लिए दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। राष्ट्रीय एकता परिषद के संस्थापक पीवी राजगोपाल ने कहा कि देश में पांच करोड़ लोगों के पास आवास नहीं है। किसानों की जमीन को सरकार ने अधिग्रहित कर निजी कंपनियों को बेचा है। ऐसे किसान सरकार की इन नीतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं। सरकार को चाहिए कि किसान से जमीन अधिग्रहण न कर उनसे लीज पर ली जाए। इससे किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूती मिलती रहेगी।
पर्दे के पीछे मिल सकती है मदद
अन्ना हजारे की अगुवाई में होने वाली पदयात्रा को दिल्ली में कामयाब बनाने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस प्रत्यक्ष समर्थन तो दे ही रहे हैं, दोनों पार्टियों ने पर्दे के पीछे भी आंदोलन को समर्थन देने का मन बना लिया है। समझा जाता है कि मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए ‘आप’ और कांग्रेस के कार्यकर्ता पदयात्र में संख्या बल बढ़ा सकते हैं।