कालाधन खातों के बारे में स्विटजरलैंड ने कोई सूचना नहीं दी : जेतली

Edited By ,Updated: 06 May, 2015 12:08 PM

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स्विटजरलैंड, ब्रिटेन और स्पेन की सरकारों ने कालेधन से जुड़े किसी भी खाते के बारे में कोई ब्यौरा उपलध नहीं कराया है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज संसद को यह जानकारी दी।

नई दिल्ली: स्विटजरलैंड, ब्रिटेन और स्पेन की सरकारों ने कालेधन से जुड़े किसी भी खाते के बारे में कोई ब्यौरा उपलध नहीं कराया है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज संसद को यह जानकारी दी।   

राज्य सभा को दिए एक लिखित प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, ‘स्विटजरलैंड, ब्रिटेन और स्पेन ने कालाधन खाते के बारे में कोई ब्यौरा नहीं दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, खास मामलों में जहां अनुरोध किया गया उन देशों ने जरूरी सूचना उपलध कराई है जिनके साथ भारत की कर संधि है।’’  
 
जेतली ने कहा कि देश के भीतर और विदेशों में रखे गए कालेधन के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई अनुमान नहीं है। इस मुद्दे पर सरकार तीन संस्थानों -एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम की रिपोर्टों की जांच परख कर रही है। 
 
वर्ष 2012 में देश से बाहर ले जाए गए कालेधन के बारे में पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा छह लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा ग्लोबल फाइनेंसियल इंटिग्रिटी की रिपोर्ट पर आधारित है। यह वाशिंगटन स्थित संगठन है।   
 
सरकार ने मार्च 2011 को नेशनल इंस्टीट्यूटी ऑफ पलिक फाइनेंस एण्ड पॉलिसी (एनआईपीएफपी), नेशनल काउंसिल ऑफ एपलायड इकनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंसियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) को देश के भीतर और बाहर बिना हिसाब किताब वाली आय का अनुमान लगाने को कहा था।  
 
जेतली ने कहा कि इन संस्थानों की रिपोर्ट मिल गई है और यह सरकार इसका परीक्षण कर रही है। उन्होंने कहा कि कालेधन की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं और विदेशों में रखे कालेधन की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक विधेयक लोकसभा में पेश किया है। 
 

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