Edited By ,Updated: 09 Dec, 2015 08:51 AM
रत्नों के सुझावों में अक्सर पुखराज सबसे पहले बताया जाता है। पुखराज का रंग पलाश के फूलों जैसा होता है। यह गुरु ग्रह से संबंधित तथा धनु व मीन राशि का प्रतिनिधित्व करता है जिनकी कुंडली में
रत्नों के सुझावों में अक्सर पुखराज सबसे पहले बताया जाता है। पुखराज का रंग पलाश के फूलों जैसा होता है। यह गुरु ग्रह से संबंधित तथा धनु व मीन राशि का प्रतिनिधित्व करता है जिनकी कुंडली में गुरु कमजोर है या अशुभ है, इसके पहनने से शुभत्व की प्राप्ति होती है। यह ज्ञान का भी द्योतक है। प्रशासनिक अधिकारियों, वकीलों, न्यायाधीशों आदि अभिनय एवं अध्यापन क्षेत्र से जुड़े लोगों की उंगलियों में आप देख सकते हैं।
कौन-सी लग्न वाले पहनें, कौन न पहनें ?
यहां हम बात कुंडली की लग्न से कर रहे हैं राशि से नहीं क्योंकि आपकी राशि कुछ भी हो सकती है और कोई भी नग पहनना आपकी कुंडली के सही विवेचन पर ही निर्भर करेगा।
वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर तथा कुंभ लग्न वालों को इसे नहीं पहनना चाहिए। इन लग्न के जातकों के लिए यह अकारक है और कई बार नुक्सान हो जाता है। पुखराज पहनते ही काफी लोगों को जेल की सैर करते देखा है। एक मुख्यमंत्री को एक ज्यूलर ने चापलूसी वश 15 कैरेट का पुखराज जबरदस्ती पहना दिया और वह न केवल कुर्सी से हाथ धो बैठे बल्कि पार्टी को ही ले डूबे ।
मुख्यत: छठे, आठवें तथा 12वें भावों के स्वामियों के इस रत्न को धारण नहीं करना चाहिए। शेष मेष, कर्क, सिंह, वृृश्चिक, धनु एवं मीन लग्न वालों के लिए यह क्रमश: भाग्यवृद्धि, संतान पक्ष, विद्या, धन, भवन, नौकरी को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
पुखराज के साथ पन्ना, हीरा तथा नीलम विशेषत: उसी हाथ में नहीं पहनना चाहिए।
इसे दाएं या बाएं हाथ की तर्जनी अर्थात अंगूठे के साथ वाली उंगली में सोने मेे जड़वा कर, वीरवार की सुबह अभिमंत्रित करवा के ही धारण करना चाहिए।
फिल्मोद्योग तो रत्नों का दीवाना है और अधिकांश लोग इन्हें अपने भाग्य में परिवर्तन लाने का श्रेय भी देते हैं। कोरियोग्राफर व अभिनेत्री फराह खान ने पीला पुखराज ही पहना है और इसके बाद चमक गईं। इमरान हाशमी ने तो पुखराज के साथ कई अन्य रत्न भी धारण किए हुए हैं।
इनके अलावा राजनीतिक क्षेत्र में मुलायम सिंह यादव भी पुखराज के बल पर ही टिके हुए हैं। ऐसे कितने ही सैलीब्रिटीज हैं जिन्हें पुखराज पहनने के बाद किस्मत ने कहीं का कहीं पहुंचा दिया।
पहचान
पुखराज चमकदार, हल्के पीले रंग में बिना किसी दाग धब्बे, जाले, या धुंधलेपन का होना चाहिए। इसकी कीमत रंग, गुणवत्ता,पारदर्शिता तथा वजन पर निर्भर करती है।
आपने संतरी रंग के भी पुखराज देखे होंगे। आजकल श्रीलंका से बैंकाक ले जाकर उसे कैमिकली या हीट ट्रीटमैंंट से बिल्कुल पारदर्शी बना दिया जाता है। यह प्राकृतिक रत्न कहां रह गया? जबकि आपको सभी लैबोरेट्रीज इसका प्रमाण पत्र नैचुरल सैफायर के नाम से दे देंगी।
कई जगह आपने बड़े-बड़े होर्डिंग देखे होंगे जिन पर लिखा होता है कि हमारे रत्न को गलत साबित करने वाले को 10 लाख रुपए ईनाम देंगे। होता क्या है कि खान से जब पुखराज का पत्थर निकलता है तो उसका कोई भाग बिल्कुल पीला होता है, कुछ कम पीला, कुछ जाले वाला, कुछ चमकदार , कुछ बिल्कुल पारदर्शी। इसे साफ करके इसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लिए जाते हैं। जो अधिक साफ, चमकदार एवं पारदर्शी होंगे, उनकी कीमत अधिक होगी। इस तरह हर टुकड़े का वजन, क्वालिटी और मूल्य अलग-अलग होगा।
जब ऐसे पुखराज को किसी लैब में भेजा जाता है तो रिपोर्ट पुखराज की ही आएगी, मूंगे की नहीं और आप उस नग को गलत कैसे सिद्ध कर सकते हैं? फिर चाहे आप की ईनाम राशि 10 करोड़ ही क्यों न रख दी जाए क्योंकि जौहरी को वह कभी देनी ही नहीं पड़ेगी। बस यही एक पेच है। रद्दी, धुंधला पुखराज भी आपको असली और नैचुरल कह कर ऊंचे रेट पर टिका दिया जाता है परन्तु वही रत्न अपने अच्छे परिणाम देगा जो क्रिस्टल क्लीयर है।
वजन
मुख्यत: यह व्यक्ति की आयु व उसके अपने भार पर भी निर्भर करता है। तीस वर्ष से कम लोगों को 3 से 5 रत्ती, इससे बड़ों को 5 से 7 रत्ती तक ठीक रहता है। इससे बड़ा डालने पर हर्ज नहीं है। जो लोग इसका मूल्य देने में असमर्थ हों वे इसका उपरत्न, सुनहला, मार्का, टोपाज, पीताम्बरी आदि भी पहन सकते हैं।
शुद्धि व अभिमंत्रण में अंतर
अक्सर इसे गंगा जल या गाय के दूध या कच्ची लस्सी से धोकर पहना दिया जाता है परंतु जब तक इसकी प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण विधि-विधान से न की जाए , इसका पूर्ण लाभ नहीं होता। इसके लिए एक थाली में पूजा सामग्री- धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य, गंगा जल रखें। अंगूठी को गंगा जल से धोएं।
एक पीले वस्त्र पर अंगूठी तथा गुरु यंत्र रखें। गुरु मंत्र-ओम् ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: 108 बार बोलें। उस जल को सूर्य को अर्पित करें। फिर अंगूठी धारण करें। गुरु संबंधित दान-बेसन के लडडू, चने की दाल पीले वस्त्र, धार्मिक पुस्तक आदि में से कुछ भी अवश्य करें । बेहतर होगा आप इसी पद्धति से किसी कर्मकांडी विशेषज्ञ की सहायता से इसे अभिमंत्रित करवा लें।
—मदन गुप्ता सपाटू