प्रधानमंत्री नेतन्याहू की भारत यात्रा के साथ सकारात्मक दिशा में बढ़ते भारत-इजराइल सम्बन्ध

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 02:57 PM

india moving towards a positive direction

इजराइल सम्बन्ध कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नया साल भारत-इसराइल दोस्ती के एक नए युग का शुभारंभ करने जा रहा है। इसरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ऐतिहासिक भारत यात्रा दोनों देशो के बीच रिश्तो की नजर से बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि ये...

कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नया साल भारत-इसराइल दोस्ती के एक नए युग का शुभारंभ करने जा रहा है। इसरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ऐतिहासिक भारत यात्रा दोनों देशो के बीच रिश्तो की नजर से बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि ये प्रधानमंत्री आरिएल शेरॉन भारत की यात्रा (2003) के बाद किसी भी इसरायली प्रधानमंत्री की पहली भारत यात्रा होगी। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्इ सरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बीच मजबूत दोस्ती इस बात की तरफ साफ इशारा करती है की दोनों देश बहुआयामी विकास के लिए परम्परागत सम्बन्धो को एक नई दिशा देने के बारे में चर्चा जरूर करेंगे।

 

विचारधारा के पटल पर भी प्रधानमंत्री नेतन्याहू की लिकुड पार्टी, अपने आप को भारत में भारतीय जनता पार्टी के बेहद नज़दीक पाती है, वही सुरक्षा व् विकास के सन्दर्भ में भी दोनों एक जैसी सोच रखते है। मोदी सरकार के मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया,क्लीन गंगा और स्मार्ट सिटी जैसे परियोजनाओ में इजराइल ने खास दिलचस्पी दिखाई है। भारत के सयुक्त राष्ट्र में जेरूसलम के मुद्दे पर फिलिस्तीन के समर्थन में वोट देने बाद भी प्रधानमंत्री नेतन्याहू की भारत यात्रा दोनों देशो के बीच परिपक्व रिश्तों को दर्शाती है। 

 

बदलते समय में बदलते रिश्ते 

भारत व् इजराइल के बीच दोस्ती का ये स्वर्णिम युग विडंबनाओं के एक ऐसे दौर से भी गुजरा है जहा दोनों देश अपने आप को एक दूसरे के दूर-दूर पास-पास पाते दिखाई देते थे। वैसे तो भारत ने इजराइल को मान्यता 1950 में ही दे दी थी किन्तु भारत की तरफ से ये निर्णय इजराइल की स्थापना के लगभग दो साल बाद लिया गया, दो सालो की देरी उस उलझन का परिणाम थी जो भारतीय नेताओं के मन में इजराइल से रिश्तों के लिए चल रही थी। आजादी के बाद से रक्षा के क्षेत्र में मधुर सम्बन्ध होने के बावजूद भारत को यहूदी राष्ट्र इजराइल से पूर्ण कूटनीतिक संबंध स्थापित करने में 42 साल लग गए। इन सब के बावजूद जवाहरलाल नेहरू से लेकर मोरारजी देसाई तक सभी ने कृषि की उन्नति से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक इजराइल से निःसंकोच सहायता ली। 

 

शीत युद्ध की समाप्ति के बाद बदली हुई परिस्थितियों में भारत व् इजराइल ने 1992 कूटनीतिक सम्बन्धो की स्थापना कर द्वि पक्षीय सम्बन्धो को एक नयी दिशा दी जिसे प्रधानमंत्री शेरॉन की भारत यात्रा ने एक नए युग में पहुंचा दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा प्रधानमंत्री शेरॉन का भव्य स्वागत दोस्ती के एक नए युग का आगाज़ था। यात्रा के दौरान दोनों ने दिल्ली स्टेटमेंट ऑन फ्रेंडशिप एंड कोऑपरेशन बिटवि‍न इंडिया एंड इजराइल पर हस्ताक्षर किए। इसी के साथ स्‍वास्‍थ्‍य, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग तथा आतंकवाद जैसे विषयों पर भी एग्रीमेंट किए गए। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी बराक मिसाइल और फाल्कन (एयरबोर्न वार्निंग एंड कण्ट्रोल सिस्टम (AWACS) की खरीद पर विचार किया गया। प्रधानमंत्री शेरोन की भारत यात्रा ने आने वाले समय में दोनों देशों के बीच सुरक्षा के क्षेत्र में एग्रीमेंट करने की संभावनाओं को एक नई दिशा दी थी।

 

रक्षा क्षेत्र में इजराइल अहम साझेदार

रक्षा क्षेत्र में सहयोग भारत-इजराइल दोस्ती की नींव की ईंट रही है । अब तक भारत इजराइल से बराक 1, एयर कॉम्बेट मॉनिटरिंग सिस्टम, दवोरा MK 2 पेट्रोल बोट, सेअर्चेर मानवरहित विमान (UAV), नाइट विन कैमरे, लैसर गाइडेड बम, मिग उपग्रडिंग तकनीक, स्माल आर्म्स एंड एम्युनिशन, अर्ली वार्निग फॉल्कान रडार इत्यादि खरीद चुका है. साथ ही इजराइली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज भारतीय नौसेना के लिए बराक 8 मिसाइलों के निर्माण में लगी है. भारत-पाकिस्तान सीमाओं की सुरक्षा में भी इजराइली तकनीक का एक महत्वपूर्ण स्थान है। आने वाले समय में इजराइल द्वारा भारत को नई बॉर्डर मैनजमेंट तकनीक से लैस करने की भारी संभावनाएं हैं। अपनी इजराइल यात्रा के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नई इजराइली बॉर्डर मैनजमेंट तकनीक का निरीक्षण किया था। यह पांच स्तरीय बॉर्डर मैनजमेंट तकनीक लाइन ऑफ कंट्रोल और इंटरनेशनल बॉर्डर पर होने वाली घुसपैठ पर लगाम लगाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। 

 

रक्षा सहयोग के आलावा भी है आपार समभावनएं

रक्षा सहयोग के अलावा दोनों देशों के बीच दिविपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में जल प्रबंधन, कृषि और विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। जल प्रबंधन के क्षेत्र में दोनों देशो के बीच आपार संभावनाएं है। आज भारत में 6 जल अलवणीकरण सयंत्र क्रियन्वित है जो इसरायली तकनीक के प्रयोग से जल से नमक को अलग करने का कार्य करते है। भारत-इजरायल सहयोग के तहत आठ राज्यों में सेंटर फॉर एक्सिलेंस स्थापित किये जा चुके है, जिनमें सब्जियों, फूलों और फलों के उत्पादन में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को प्रदर्शित किया जाता है। इसरायली राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन की भारत यात्रा के दौरान रक्षा के क्षेत्र में सहयोग के आलावा बाकि क्षेत्रों में सम्बन्धो को मजबूत करने के लिए खासतौर पर विमर्श किया गया था इनमे कृषि, जल प्रबंधन, विज्ञान एव प्राद्यौगिकी और शिक्षा सम्मिलित थे।

 

अनुमान है की प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपनी यात्रा के दौरान दोनों देश आपसी सम्बन्धो को रक्षा सम्बन्धो की श्रेणी से दूर, आर्थिक व् व्यापार के क्षेत्र में विकास करने पर केंद्रित करेंगे। क्योंकि दोनों देशो में व्यापार के क्षेत्र में विकास आपार समभावनए है किन्तु अभी तक सम्भावनाओ की तुलना में परिणाम काफी सिमित है। यदि प्रधानमंत्री मोदी की इजराइल यात्रा पर ध्यान दिया जाये तो यह साफ़ हो जाता है की उनकी यात्रा पूर्ण रूप से आर्थिक व् व्यापारिक सम्बन्धो को बढ़ाने पर केंद्रित थी। इस दौरान दोनों देशो के बीच छः MoU/एग्रीमेंट साइन किये गए जोकि वाटर सैनिटेशन, कृषि के क्षेत्र में विकास (इंडिया-इजराइल डेवलोपमेन्ट कोऑपरेशन) तथा इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन) और इजराइल स्पेस एजेंसी के बीच MoU प्रमुख थे। यह भी अनुमान है कि नेतन्याहू की यात्रा के दौरान दोनों देश चर्चा को वही से शुरू करेंगे जहा प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान रोका गया था। साथ ही दोनों देशो की नज़र फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर भी नज़र होगी जिस काफी समय से विचार चल रहा है।

 

जतिन कुमार
 

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