Edited By Tanuja,Updated: 20 Apr, 2022 05:50 PM
कोई शक नहीं है कि बॉलीवुड फिल्मों में साउथ की फिल्मों का बोलबाला है। पिछले कुछ सालों में साउथ इंडियन फिल्म ने लोगों पर काफी असर डाला ...
इसमें कोई शक नहीं है कि बॉलीवुड फिल्मों में साउथ की फिल्मों का बोलबाला है। पिछले कुछ सालों में साउथ इंडियन फिल्म ने लोगों पर काफी असर डाला है और कमाई के मामले में बॉलीवुड फिल्मों को पीछे छोड़ दिया है। जिस बॉलीवुड का प्रोडक्शन साउथ से काफी आगे था, जिसने फिल्म निर्माण में किसी भी भारतीय उद्योग को पास नहीं आने दिया, आज वही बॉलीवुड प्रोडक्शन कंपनियों को साउथ की फिल्मों में निवेश करना पड़ रहा है।
वैसे तो साउथ की बहुत सारी फिल्में हमेशा से ही पॉपुलर रही हैं। रजनीकांत, चिरंजीवी, मोहनलाल, नागार्जुन जैसे कलाकारों को कौन नहीं जानता? लोग 80 के दशक से उनकी फिल्में देख रहे हैं। वह पूरे भारत में जाने जाते हैं लेकिन दक्षिण भारत ने पिछले कुछ वर्षों में पैन इंडिया सिनेमाघरों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत डायरेक्टर एसएस राजमौली की फिल्म 'बाहुबली' से हुई थी। 'बाहुबली' के दूसरे पार्ट ने दुनियाभर में 1810 करोड़ रुपये कमाए। फिल्म ने पूरी दुनिया में दक्षिण भारतीय फिल्मों को एक नया मंच दिया और फिल्म निर्माताओं ने इस मंच का समझदारी से इस्तेमाल किया।
केजीएफ, पुष्पा, आरआरआर और अब केजीएफ चैप्टर 2 ने इस प्रतिष्ठा को बनाए रखा है। 'पुष्पा' ने 365 करोड़ रुपये कमाए जबकि एसएस राजमौली की आरआरआर ने दुनिया भर में 1,073 करोड़ रुपये की कमाई की है। वहां कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री ने केजीएफ जैसी फिल्में सिनेमा प्रेमियों को दीं जिनका पार्ट वन 250 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका था। अब इसके चैप्टर-2 का हिंदी बाजार में करीब 200 करोड़ रुपये का कारोबार है। माना जा रहा है कि फिल्म रिकॉर्ड बिजनेस करेगी।
दक्षिण की प्रोडक्शन कंपनियां और बॉलीवुड की प्रोडक्शन कंपनियां अब फिल्में बनाने के लिए एक साथ काम कर रही हैं और उनका मुख्य उद्देश्य उन्हें दुनिया भर में प्रदर्शित करना है, जिसमें निकट भविष्य में लिगर, गॉडफादर, सालार, आदिपुरुष और कई अन्य शामिल होंगे। बॉलीवुड के अहम चेहरे, जिनके नाम से दर्शक फिल्में देखने जाते थे, अब साउथ की फिल्मों में भी दिखने लगे हैं, जो साफ तौर पर साबित करता है कि बॉलीवुड का मौसम बदल गया है। इंडस्ट्री के लोग ही बता सकते हैं कि क्या बॉलीवुड के पतन का कारण भाई-भतीजावाद और एकाधिकार है, या बॉलीवुड के वे हितैषी जिनके अखाड़े हमेशा दर्शकों से भरे रहते थे या जिन्होंने फिल्में बनाईं, वे नहीं रहे। यही वजह है कि बॉलीवुड फिल्मों में साउथ और पंजाबी गानों के किस्से सुनने को मिलते हैं।
लेखक निपुन शर्मा