Edited By ,Updated: 09 Feb, 2025 05:27 AM
![aap s dreams in delhi were dashed bjp returned to power after 27 years](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_05_27_45064402200-ll.jpg)
दिल्ली के चुनावों में जहां इस बार ‘आप’ तीसरी बार अपनी सरकार बनाने के लिए प्रयत्नशील थी, वहीं भाजपा ने ये चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था और इसमें प्रचंड बहुमत से सफलता प्राप्त करके लगभग 27 वर्ष बाद देश की राजधानी पर शासन करने जा रही...
दिल्ली के चुनावों में जहां इस बार ‘आप’ तीसरी बार अपनी सरकार बनाने के लिए प्रयत्नशील थी, वहीं भाजपा ने ये चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था और इसमें प्रचंड बहुमत से सफलता प्राप्त करके लगभग 27 वर्ष बाद देश की राजधानी पर शासन करने जा रही है। ‘आप’ ने अपने पहले कार्यकाल में मध्यम तथा निम्न मध्यम वर्ग के लिए कई काम किए, जिनका उन्हें लाभ भी मिला पर दूसरे कार्यकाल में उसकी वह रफ्तार न रही और पार्टी के नेता अनेक आरोपों में घिरे और जेल गए।
जैसा कि ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक गुरु रहे गांधीवादी अन्ना हजारे ने उनका नाम लिए बिना कहा कि :
‘‘चुनाव लड़ते समय उम्मीदवार का आचार-विचार शुद्ध होना तथा जीवन निष्कलंक होना चाहिए। ये गुण यदि उम्मीदवार में हैं तो मतदाताओं को विश्वास होता है कि वह हमारे लिए कुछ करने वाला है। ऐसे में लोगों का विश्वास कुछ डगमगाया और यह हाल देखने को मिला है।’’
हालांकि इन चुनावों में कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली परंतु उसने कुछ हद तक ‘आप’ के वोट उसी प्रकार काटे जिस प्रकार ‘आप’ ने गुजरात और महाराष्ट्र में कांग्रेस के वोट काटे थे। किसी सरकार के 2 कार्यकालों के बाद सत्ता विरोधी लहर आती ही है। हर सरकार को यह स्थिति झेलनी पड़ती है। या तो उसकी सीटें घट जाती हैं या हार का सामना करना पड़ता है। अत: ‘आप’ के विरुद्ध काफी हद तक सत्ता विरोधी लहर भी थी। लोगों को अब यह आशा बंधी है कि केंद्र तथा राज्य (दिल्ली) में एक ही पार्टी की सरकार होने के कारण शायद स्वच्छ हवा और पानी जैसी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द हो पाएगा जबकि ‘आप’ शासन के दौरान एल.जी. पर काम अटकाने के आरोप लगते थे, जिसके लिए मतदाताओं ने भाजपा को मौका दिया है।
भाजपा ने ‘आप’ के विरुद्ध आरोपों को पूरी आक्रामकता से उठाया और इसके साथ ही अपने चुनाव घोषणापत्र में ‘आप’ व कांग्रेस की चुनावी घोषणाओं के जवाब में महिलाओं के लिए कई लुभावनी घोषणाएं कीं। इनमें महिला समृद्धि योजना के अंतर्गत महिलाओं को 2500 रुपए मासिक, मुख्यमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को 21,000 रुपए की आॢथक सहायता व 6 पोषण किटें, गैस सिलैंडर पर 500 रुपए सबसिडी तथा होली-दीवाली पर मुफ्त सिलैंडर, ‘आप’ की तरह मुफ्त पानी-बिजली आदि की योजनाएं जारी रखना शामिल है। इसके अलावा भाजपा द्वारा बुजुर्गों का आयुष्मान योजना के अंतर्गत 5 लाख रुपए तक इलाज और इतनी ही राशि का हैल्थ कवर और 60-70 वर्ष आयु के बुजुर्गों को 3000 रुपए मासिक के अलावा आटो और टैक्सी चालकों के लिए ‘ड्राइवर कल्याण बोर्ड’ का गठन, छात्रों को के.जी. से पी.जी. तक मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्ति आदि की घोषणाओं ने भी लाभ पहुंचाया।
भाजपा द्वारा ‘आप’ को ‘आपदा’ बताना, आर.एस.एस. का सहयोग और मजबूत उम्मीदवार उतारने के अलावा केंद्र सरकार द्वारा गत वर्ष दिसम्बर में घोषित अपने कर्मचारियों और पैंशनरों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा से कर्मचारियों और पैंशनरों की सैलरी में बड़ी वृद्धि की उम्मीद बनी। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिल्ली वासियों के लिए स्वच्छ पानी, स्वच्छ हवा आदि उपलब्ध करवाने तथा अन्य राहतों की घोषणाओं तथा आयकर में छूट बढ़ा कर 12.75 लाख रुपए तक करने से मध्यम वर्ग इन चुनावों में भाजपा के पक्ष में वोट डालने के लिए प्रेरित हुआ।
उल्लेखनीय है कि भाजपा की इस सफलता का श्रेय किसी सीमा तक विपक्षी दलों को भी दिया जा सकता है जिन्होंने दिल्ली के चुनावों से पूर्व जो कुछ कहा और किया, उसने भाजपा सरकार को राहतें देने के लिए प्रेरित किया। वास्तव में बजट 2025-26 दिल्ली के चुनावों को ध्यान में रख कर तैयार किया गया था जिसका भाजपा को दिल्ली के चुनावों में लाभ मिला है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सत्ता ग्रहण करके भाजपा अपने चुनावी वायदे किस प्रकार पूरे करती है। अरविंद केजरीवाल ने अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी। आशा है कि वह अपनी बात पर कायम रहेंगे क्योंकि लोकतंत्र में मजबूत सत्ता पक्ष के साथ-साथ मजबूत विपक्ष का होना भी बहुत जरूरी होता है।—विजय कुमार