लोकसभा चुनावों के बाद राजनीतिक दलों में अंतर्कलह जारी

Edited By ,Updated: 26 Jun, 2024 05:11 AM

after the lok sabha elections infighting continues in political parties

हालांकि लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद केंद्र में भाजपा नीत राजग गठबंधन की सरकार बन गई है, परंतु सत्तारूढ़ और विरोधी दलों में विभिन्न कारणों से अंतर्कलह जोरों पर है। हाल ही के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में भाजपा द्वारा प्रचंड सफलता प्राप्त...

हालांकि लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद केंद्र में भाजपा नीत राजग गठबंधन की सरकार बन गई है, परंतु सत्तारूढ़ और विरोधी दलों में विभिन्न कारणों से अंतर्कलह जोरों पर है। हाल ही के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में भाजपा द्वारा प्रचंड सफलता प्राप्त करने के बाद भी लोकसभा के चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर इसमें व्याप्त अंतर्कलह खुल कर सामने आने लगी है। इस बार राज्य की 25 में से 11 लोकसभा सीटें भाजपा के हाथ से फिसल गईं। इसी सिलसिले में वरिष्ठ भाजपा नेता देवी सिंह भाटी, जिनकी पराजय की सर्वाधिक चर्चा हो रही है, ने पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए गलत टिकट वितरण, संगठन में निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराया है। 

सीकर से पूर्व सांसद स्वामी सुमेधानंद ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी के लिए जोरदार प्रचार करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लोकसभा चुनावों के दौरान दरकिनार कर दिया गया। वसुंधरा राजे ने इन चुनावों में प्रचार नहीं किया जिससे पार्टी भारी घाटे में रही। उधर महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली राज्य कांग्रेस की मुम्बई इकाई में असंतोष व्याप्त है। पार्टी के 16 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिख कर उनसे मुम्बई कांग्रेस की प्रमुख वर्षा गायकवाड़ को पद से हटाने की गुहार की है। 

महाराष्ट्र में भाजपा नीत गठबंधन में भी चुनावी परिणामों ने अंतर्कलह पैदा कर रखी है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर पार्टी और संघ के भीतर से दबाव डाला जा रहा है कि राकांपा को तोड़ कर भाजपा के साथ जुडऩे वाले अजित पवार राजग के लिए बोझ बन गए हैं, अत: भाजपा उनसे जल्द से जल्द पीछा छुड़ाए। पार्टी में इस बात को लेकर भी असंतोष है कि अजित पवार लोकसभा चुनाव के लिए आबंटित 4 सीटों में से एक ही जीत पाए। 

उत्तर प्रदेश में भी चंद भाजपा उम्मीदवारों को अपनी पराजय पच नहीं रही। मुजफ्फरनगर से 2014 और 2019 में विजयी रहे संजीव बालियान ने इस बार सपा के हरिंद्र मलिक के हाथों हार के बाद अपनी ही पार्टी के पूर्व विधायक संगीत सोम के सिर पर हार का ठीकरा फोड़ा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस वर्ष के शुरू में अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित करते हुए पार्टी का नैशनल कोआर्डीनेटर बना दिया था परंतु एकाएक 8 मई, 2024 को उन्होंने आकाश आनंद को सभी पदों से हटाने की घोषणा कर दी थी। 

इसके लगभग डेढ़ महीने बाद 23 जून को अचानक अपना फैसला पलट कर मायावती ने आकाश आनंद को दोबारा पार्टी का नैशनल कोआर्डीनेटर बना दिया है। उत्तर प्रदेश में हुई हार के कारण मायावती की पार्टी के भीतर आकाश आनंद को उनका उत्तराधिकारी बनाने की मांग जोर पकड़ रही थी। इसी बीच तमिलनाडु में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भाजपा में अंतर्कलह शुरू है। तमिलनाडु में भाजपा के दो गुट हैं-एक गुट के. अन्नामलाई का और दूसरा तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन का है। जहां तमिलसाई ने तमिलनाडु में चुनावी सफलता न मिलने का ठीकरा परोक्ष रूप से अन्नामलाई के सिर फोड़ा है, तो अन्नामलाई ने हार का ठीकरा गठबंधन सहयोगी अन्नाद्रमुक तथा तमिलसाई सुंदरराजन पर फोड़ा है। 

इसी प्रकार पंजाब में लोकसभा चुनाव के दौरान महज एक सीट पर सिमटने के बाद शिरोमणि अकाली दल में बगावत तेज हो गई है। 25 जून को जालंधर में पार्टी प्रधान सुखबीर बादल को पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार बताते हुए सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखड़ा, बीबी जागीर कौर और प्रेम सिंह चंदूमाजरा आदि नेताओं की बैठक में उनसे त्यागपत्र की मांग की गई। इस बैठक में बागी नेताओं ने जहां पार्टी के नेतृत्व में परिवर्तन की मांग की वहीं दूसरी ओर चंडीगढ़ में सुखबीर बादल की अध्यक्षता में हुई बैठक में दूसरे ग्रुप ने उनके नेतृत्व पर भरोसा जताया। इस तरह के हालात में माना जा रहा है कि पार्टी दोफाड़ हो सकती है। 

हालांकि असहमति लोकतंत्र का महत्वपूर्ण अंग है, परंतु किसी भी संगठन को चलाने के लिए परस्पर सहमति अनिवार्य शर्त है। कोई भी संगठन या पार्टी तब तक संतोषजनक ढंग से काम नहीं कर सकती जब तक उसके काडर में पूर्ण सहमति न हो। सभी पार्टियां यदि अंतर्कलह को समाप्त करके मिलजुल कर काम करेंगी तभी वे मतदाताओं की कसौटी पर खरी उतर सकेंगी।—विजय कुमार 

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