‘अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सी.एम. पद से इस्तीफा देकर साधे कई निशाने’

Edited By ,Updated: 18 Sep, 2024 04:52 AM

arvind kejriwal hit many targets by resigning from the post of cm of delhi

फरवरी, 2020 में तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल नवम्बर, 2021 में दिल्ली सरकार द्वारा नई आबकारी नीति पेश करने के बाद से ही विवादों में चले आ रहे हैं तथा 21 मार्च, 2024 को ई.डी. ने धन शोधन के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस...

फरवरी, 2020 में तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल नवम्बर, 2021 में दिल्ली सरकार द्वारा नई आबकारी नीति पेश करने के बाद से ही विवादों में चले आ रहे हैं तथा 21 मार्च, 2024 को ई.डी. ने धन शोधन के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 मई को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए इन्हें 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी परंतु उसके बाद 26 जून को सी.बी.आई. ने आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में औपचारिक रूप से अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। 13 सितम्बर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को कठोर शर्तों के साथ जमानत दे दी। मुख्यमंत्री के रूप में वह न ही अपने कार्यालय या सचिवालय में जा सकते हैं और न ही उप-राज्यपाल की स्वीकृति के बिना आवश्यक फाइलों तथा अन्य कागजों पर हस्ताक्षर ही कर सकते हैं। चूंकि मुकद्दमा अभी जारी रहेगा, इसलिए जमानत पर बाहर आने के 2 दिन बाद 15 सितम्बर को पहली बार पार्टी मुख्यालय पहुंच कर उन्होंने कार्यकत्र्ताओं को संबोधित किया और यह कह कर धमाका कर दिया कि : 

‘‘मैं दो दिन बाद (17 सितम्बर) इस्तीफा दे दूंगा और लोगों से पूछूंगा कि वे मुझे ईमानदार मानते हैं या दोषी? जनता जब तक ईमानदारी का प्रमाण पत्र नहीं दे देती तब तक मैं मुख्यमंत्री और मनीष सिसोदिया उप-मुख्यमंत्री का पद नहीं संभालेंगे। दिल्ली के चुनाव वैसे तो फरवरी में होने हैं लेकिन मैं मांग करता हूं कि यहां महाराष्ट्र के साथ ही नवम्बर में चुनाव कराए जाएं।’’ अरविंद केजरीवाल द्वारा उक्त घोषणा करने के साथ ही मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित नामों की चर्चा भी शुरू हो गई जिनमें उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल के अलावा आतिशी, कैलाश गहलोत, गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज और राखी बिड़लान आदि शामिल थे। इसी के अनुरूप 17 सितम्बर को ‘आम आदमी पार्टी’ के विधायक दल की बैठक में अरविंद केजरीवाल की सर्वाधिक विश्वासपात्र और सर्वाधिक मंत्रालय संभालने वाली आतिशी को विधायक दल की नेता चुन लिया गया। वह दिल्ली की सबसे कम आयु की मुख्यमंत्री होंगी। 

पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार रह चुकी आतिशी  इस समय वित्त, महिला, बाल विकास, शिक्षा, बिजली, कला-संस्कृति, पर्यटन तथा लोक निर्माण सहित 14 विभागों का काम देख रही हैं। उन्होंने ही केजरीवाल के जेल जाने के दौरान राज्य की कमान संभाल रखी है। अंतत: 17 सितम्बर शाम को अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को अपना त्यागपत्र सौंप दिया जिसके बाद उनके द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए नामित की गई आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश करके शपथ ग्रहण हेतु तारीख तय करने का उप-राज्यपाल से अनुरोध किया। आतिशी को मुख्यमंत्री नामित करने का जहां ‘आप’ नेताओं ने स्वागत किया वहीं विरोधियों ने मिश्रित प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ‘आप’ की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा है कि,‘‘दिल्ली की मुख्यमंत्री एक ऐसी महिला को बनाया जा रहा है जिनके परिवार ने आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी से बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी।’’दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव के अनुसार,‘‘केजरीवाल जब भी हारते हैं भाग खड़े होते हैं।’’

किरेन रिजिजू (भाजपा) का कहना है कि,‘‘ आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को बर्बाद कर दिया, अब पंजाब की बारी है।’’ प्रेक्षकों के अनुसार केजरीवाल ने अपने इस फैसले से कई निशाने साधे हैं। न सिर्फ आतिशी को मुख्यमंत्री नामित करके वह परिवार पोषण के आरोप से बच गए हैं, बल्कि अपनी विश्वासपात्र आतिशी को मुख्यमंत्री बना कर चुनावों में महिलाओं और युवाओं को आकॢषत करने में भी सफल होंगे। आतिशी में वे सब गुण हैं जो एक सफल नेता में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए होने जरूरी हैं और वह आम जनता में अत्यंत लोकप्रिय हैं। यही नहीं, अब वह पार्टी के विस्तार तथा हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अब भले ही आतिशी बैठेंगी, परंतु सत्ता की चाबी अरविंद केजरीवाल के हाथों में ही रहेगी। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अरविंद केजरीवाल के जेल में होने से जनकल्याण के जो काम रुके पड़े थे, वे अब आतिशी के मुख्यमंत्री बनने से सम्पन्न हो सकेंगे।—विजय कुमार

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