Edited By ,Updated: 12 Jul, 2024 05:12 AM
वैसे तो लोगों को स्वच्छ पानी, लगातार बिजली और स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा उपलब्ध करवाना हमारी सरकारों का दायित्व है, परंतु इसमें ये काफी सीमा तक विफल सिद्ध हो रही हैं। अनेक राज्यों के सरकारी स्कूलों में आवश्यक बुनियादी ढांचे का अभाव...
वैसे तो लोगों को स्वच्छ पानी, लगातार बिजली और स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा उपलब्ध करवाना हमारी सरकारों का दायित्व है, परंतु इसमें ये काफी सीमा तक विफल सिद्ध हो रही हैं। अनेक राज्यों के सरकारी स्कूलों में आवश्यक बुनियादी ढांचे का अभाव है, अनेक स्कूल जर्जर इमारतों में चल रहे हैं और छात्रों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।
इस तरह के हालात के बीच उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के बारे में प्राप्त विभागीय जानकारी के अनुसार राज्य में 30 जून, 2023 तक लगभग 2785 स्कूलों की जर्जर इमारतों को तुरंत मुरम्मत की आवश्यकता है क्योंकि वे भूकंप या तेज वर्षा की स्थिति में आंशिक या पूरी तरह गिर सकती हैं। शिक्षा विभाग द्वारा गत सप्ताह जारी आदेशों में जर्जर इमारतों में कक्षाएं संचालित करने पर रोक लगा दी गई है। बताया जाता है कि डी श्रेणी के अंतर्गत पडऩे वाले कम से कम 1172 स्कूल सबसे अधिक जोखिम वाले हैं और इनमें से 1060 प्राथमिक स्तर के हैं। बी, सी और डी श्रेणियों में पडऩे वाले स्कूलों की मुरम्मत के लिए अनुमानित 797 करोड़ रुपए की तुरंत आवश्यकता है।
इसी बीच एक सरकारी स्कूल की छत से प्लस्तर गिरने की शिकायत मिलने के बाद उत्तर काशी के जिला मैजिस्ट्रेट मेहरबान सिंह बिष्ट ने शिक्षा विभाग को यकीनी बनाने के लिए कहा है कि वर्षा ऋतु मेें कक्षाएं सुरक्षित इमारतों में ही लगाएं। उत्तराखंड ही नहीं, देश के कई अन्य राज्यों में भी सरकारी स्कूलों की दशा किसी सीमा तक ऐसी ही है। अत: इसमें सुधार करने तथा वहां सभी जरूरी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की तुरंत आवश्यकता है ताकि इनमें पढऩे वाले बच्चे सुरक्षित भी रहें और उनकी पढ़ाई भी सुचारू रूप से चल सके।—विजय कुमार