Edited By ,Updated: 14 Aug, 2024 05:24 AM
गत 5 अगस्त को शेख हसीना के बंगलादेश से भाग कर भारत आने के बाद से वहां हालात बेकाबू बने हुए हैं तथा देश का घटनाक्रम बता रहा है कि वहां स्थिति कितनी गम्भीर है।
गत 5 अगस्त को शेख हसीना के बंगलादेश से भाग कर भारत आने के बाद से वहां हालात बेकाबू बने हुए हैं तथा देश का घटनाक्रम बता रहा है कि वहां स्थिति कितनी गम्भीर है। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि बंगलादेश की हिंसा में हिन्दुओं पर हमले की 200 से ज्यादा घटनाएं हुई हैं जिनमें अनेक लोगों को प्राण गंवाने पड़े हैं तथा अंतरिम सरकार के प्रधान मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यक समुदाय को विश्वास में लेने के लिए हिंदू धर्मस्थलों में जाने के अलावा अल्पसंख्यक नेताओं के साथ बातचीत भी कर रहे हैं। इस तरह के हालात के बीच भारत सरकार द्वारा बंगलादेश के साथ लगती भू-सीमा को खोलने तथा बंगलादेशी हिन्दुओं को भारत में शरण देने के मामले में 2 प्रमुख भाजपा समर्थकों ‘टी. मोहन दास पाई’ तथा ‘सुशील पंडित’ ने सरकार से पूछा है कि पिछले एक सप्ताह से बंगलादेश में हिन्दुओं पर लगातार बढ़ रहे अत्याचारों के प्रमाण सामने आने के बावजूद हिन्दुओं को भारत आने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?
उल्लेखनीय है कि 9 अगस्त को बी.एस.एफ. ने 1700 बंगलादेशी हिन्दुओं के भारत में दाखिल होने के प्रयास को नाकाम कर दिया था। एक प्रभावशाली राइटविंग एक्टिविस्ट ‘सुशील पंडित’ ने इस संबंध में कहा है कि ‘‘बंगलादेशी ङ्क्षहदुओं के प्रति सरकार की सहानुभूति का अभाव परेशान करने वाला है। हम इस बात को लेकर सरकार से परेशान हैं कि बंगलादेश में खुलेआम नरसंहार हो रहा है।’’ ‘‘केंद्र सरकार ने विलंब से वास्तविकता को महसूस करने और जुबानी जमा खर्च करने के अलावा कुछ नहीं किया, जो उचित नहीं।’’ ‘टी. मोहनदास पाई’ के अनुसार ‘‘अफगानिस्तान के संकट के समय सरकार ने उचित रूप से सिखों को शरण दी थी परंतु अब बंगलादेश के हिन्दुओं के साथ भारत सरकार भेदभाव क्यों कर रही है? अतीत में भारत सरकार यहूदियों तथा पारसियों तक को शरण दे चुकी है।’’
दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगलादेश की अंतरिम सरकार के प्रधान मोहम्मद यूनुस को बधाई संदेश देते हुए उनके नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को इस बात के लिए प्रभावित करने की कोशिश की है कि बंगलादेश में हिन्दुओं तथा अन्य अल्पसंख्यकों को संरक्षण देने की जरूरत है। इस पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भाजपा के सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया है कि बंगलादेश का संकट भारत सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है जिसे सुलझाना आसान नहीं। बताया जाता है कि असम और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री सीमाएं खोलने के पक्ष में नहीं हैं। पिछले एक सप्ताह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इस जटिल समस्या पर भारत सरकार से चर्चा कर रहे हैं तथा विश्व हिन्दू परिषद के एक शिष्टमंडल ने गत सप्ताह गृह मंत्री अमित शाह से भेंट करके उन्हें बंगलादेशी हिन्दुओं तथा अन्य अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने की मांग भी की है। विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार के अनुसार गृह मंत्री अमित शाह ने आशा व्यक्त की है कि बंगलादेश सरकार हिन्दुओं पर अत्याचारों के लिए जिम्मेदार तत्वों पर काबू पाने के लिए उचित कदम उठाएगी।
‘टी. मोहन दास पाई’ ने उत्पीडऩ के शिकार बंगलादेशी हिन्दुओं, बौद्धों तथा अन्य अल्पसंख्यकों को शरण देने की खातिर संविधान में संशोधन के लिए तत्काल अध्यादेश लाने की मांग की है। इस समय सिटीजनशिप अमैंडमैंट एक्ट (सी.ए.ए.) के अंतर्गत 31 दिसम्बर, 2014 से पहले मुस्लिम बहुसंख्यक पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से आए हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों और पारसियों को नागरिकता प्रदान की जाती है। ‘टी. मोहन दास पाई’ का कहना है कि भारत सरकार को धार्मिक उत्पीडऩ के आधार पर शरण मांगने वाले हर व्यक्ति को शरण देनी चाहिए और बंगलादेशी हिन्दू इसके लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं। केंद्र सरकार को उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को अन्य प्रवासियों से अलग करने का कोई उपाय करना चाहिए। उक्त नेताओं की बातों में दम है जिस पर केंद्र सरकार को प्राथमिकता के आधार पर विचार करके शीघ्र कोई प्रभावशाली निर्णय लेना चाहिए ताकि बंगलादेश के हिन्दुओं की उलझन समाप्त हो।-विजय कुमार