बिहार पर ‘साढ़ेसाती’ का प्रकोप ‘राज्य आर्थिक और प्राकृतिक आपदाओं के घेरे में’

Edited By ,Updated: 14 Jul, 2024 06:30 AM

bihar under natural calamities

देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक, बिहार में सभी पार्टियों की सरकारें बारी-बारी से आने के बावजूद इसकी किस्मत नहीं बदली और स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी पिछड़ेपन का शिकार यह राज्य अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए लम्बे समय से विशेष दर्जे की मांग करता आ...

देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक, बिहार में सभी पार्टियों की सरकारें बारी-बारी से आने के बावजूद इसकी किस्मत नहीं बदली और स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी पिछड़ेपन का शिकार यह राज्य अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए लम्बे समय से विशेष दर्जे की मांग करता आ रहा है। राज्य की आर्थिक दशा सुधारने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘महागठबंधन’ से नाता तोडऩे के बाद दोबारा भाजपा के साथ नाता जोड़कर भाजपा नीत केंद्र सरकार के आगे अपनी मांगें रखनी शुरू कर दी हैं।

इसी सिलसिले में 29 जून, 2024 को दिल्ली में जद (यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष आर्थिक पैकेज देने की मांग रखी थी। और अब 12 जुलाई, 2024 को एक बार फिर बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से 23 जुलाई को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट में 30,000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता या विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग दोहरा दी है। राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि ‘‘काफी प्रगति करने के बाद भी राज्य अभी तक पिछड़ा हुआ है।’’ जहां एक ओर बिहार सरकार राजनीतिक जोड़-तोड़ के बीच आॢथक संकट से जूझ रही है, वहीं अन्य मोर्चों पर भी इसे समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में पिछले एक महीने के भीतर ही 14 से अधिक पुल गिरने के कारण इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा चर्चा में आया हुआ है। प्राकृतिक आपदाएं भी बिहार का पीछा नहीं छोड़ रहीं। नेपाल में हुई भारी वर्षा का कहर बिहार के 15 जिलों में देखने को मिल रहा है। 

गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, बगहा, पूर्णिया, सुपौल, दरभंगा, खगडिय़ा और झंझारपुर में कुछ स्थानों पर गंडक, कोसी, गंगा, बूढ़ी गंगा, महानंदा और कमला नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। यही नहीं, 12 जुलाई को नेपाल में भूस्खलन की चपेट में आने से सिमलताल के निकट 2 यात्री बसें नदी में बह गईं, जिससे बिहार के 2 परिवारों के 8 सदस्यों सहित लगभग 38 लोगों की मृत्यु हो गई। राज्य में आसमानी बिजली भी भारी कहर बरपा रही है : 

* 26 जून को मुंगेर, भागलपुर, जमुई, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण और अररिया में आसमानी बिजली गिरने से 8 लोगों की जान चली गई। 
* 1 जुलाई को 6 जिलों औरंगाबाद , बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भागलपुर व दरभंगा में बिजली गिरने से 7 लोगों की मौत हुई।  
* 6 जुलाई को जहानाबाद, मधेपुरा, पूर्वी चम्पारण, रोहतास, सारण और सुपौल में बिजली गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई। 
* 7 जुलाई को नालंदा, वैशाली, भागलपुर, सहरसा, सारण, रोहतास, जमुई, भोजपुर व गोपालगंज में आसमानी बिजली से 10 लोग मारे गए।
* 12 जुलाई को मधुबनी, औरंगाबाद, रोहतास, भोजपुर, जहानाबाद, सारण, कैमूर और सुपौल में बिजली गिरने से 21 लोगों की मौत हो गई।
इसके अलावा अन्य दुर्घटनाएं भी राज्य सरकार को परेशान किए हुए हैं। 

* 10 जुलाई को बिहार से दिल्ली जा रही डबल डैकर बस की उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक कंटेनर से टक्कर हो जाने से 18 लोगों की मौत और अनेक घायल हो गए। इससे 2 दिन पूर्व भी दिल्ली से सिवान आ रही एक बस के दुर्घटना का शिकार हो जाने से 4 लोगों की जान चली गई थी। 
* 12 जुलाई को बिहार में ‘दनियावां’ के निकट एक मालगाड़ी के 6 डिब्बे पटरी से उतर गए। हालांकि इसमें कोई प्राण हानि तो नहीं हुई परंतु अनेक रेलगाडिय़ों का परिचालन प्रभावित हुआ। 

इससे पूर्व 17 जून को कटिहार रेलवे डिवीजन के अंतर्गत ‘रंगपानी’ और ‘निजबाड़ी’ के निकट एक रेल दुर्घटना में ‘कंचनजंगा एक्सप्रैस’ को एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी, जिससे 9 लोग मारे गए थे। 
इस तरह के हालात को देखते हुए तो ऐसा ही लगता है कि जैसे बिहार पर साढ़ेसाती आई हुई हो, जिसने राज्य को तरह-तरह की आॢथक, प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं की चपेट में ले रखा है।—विजय कुमार 

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