Edited By ,Updated: 13 Nov, 2024 05:18 AM
मां के दूध में सभी आवश्यक पोषक और रोग-प्रतिरोधक तत्व होने के कारण स्तनपान से शिशु की रोगों से बचने की क्षमता बढ़ती है। जहां यह दूध बच्चों में ‘सडन इन्फैंट डैस्क सिंड्रोम’ के खतरे को कम करता है, वहीं महिलाओं में ‘ब्रैस्ट’ और ‘ओवेरियन कैंसर’ का खतरा...
मां के दूध में सभी आवश्यक पोषक और रोग-प्रतिरोधक तत्व होने के कारण स्तनपान से शिशु की रोगों से बचने की क्षमता बढ़ती है। जहां यह दूध बच्चों में ‘सडन इन्फैंट डैस्क सिंड्रोम’ के खतरे को कम करता है, वहीं महिलाओं में ‘ब्रैस्ट’ और ‘ओवेरियन कैंसर’ का खतरा भी घटाता है। कई महिलाओं को प्रसव के बाद दूध नहीं उतरता या बहुत कम उतरता है। कई महिलाएं फिगर खराब होने के भय से भी बच्चों को स्तनपान नहीं करवातीं।
इसी पृष्ठïभूमि में टैक्सास (अमरीका) की 36 वर्षीय ‘एलिसा ओगलट्री’ नामक महिला ने अपना 2645.58 लीटर दूध दान करके ‘गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकाडर््स’ में नाम दर्ज करवाया है। इससे पहले 2014 में भी 1569.79 लीटर दूध दान करके वह ‘गिनीज बुक’ में नाम दर्ज करवा चुकी हैं। एक लीटर मां का दूध समय से पहले जन्मे 11 बच्चों को पोषण दे सकता है। इस लिहाज से एलिसा ओगलट्री ने अपना दूध दान करके 3,50,000 से अधिक बच्चों की मदद की है।
भले ही मां के दूध से वंचित नवजात बच्चों के लिए भारत में भी 90 से अधिक ‘ब्रैस्ट मिल्क बैंक’ खुल चुके हैं, जहां दानी महिलाओं की विधिवत डाक्टरी जांच के बाद लिया गया दूध वैज्ञानिक विधि से संरक्षित करके जरूरतमंद बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है।
परन्तु आज भी अपना दूध दान करने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है। अत: जहां प्रमुख अस्पतालों में ‘ब्रैस्ट मिल्क बैंक’ खोलने चाहिएं, वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा महिलाओं को अपना दूध दान करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अभियान चलाने की भी आवश्यकता है क्योंकि ब्रैस्ट मिल्क बैंक को दान किया गया दूध किसी जरूरतमंद नवजात को नवजीवन दे सकता है।—विजय कुमार