Edited By ,Updated: 12 Jan, 2025 05:16 AM
डोनाल्ड ट्रम्प (78) ने जब पहली बार 2017 में अमरीका के राष्टï्रपति का चुनाव लड़ा तभी से लगातार उनके ऊपर गलत आचरण एवं भ्रामक बयानबाजी के आरोप लगते जा रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प (78) ने जब पहली बार 2017 में अमरीका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा तभी से लगातार उनके ऊपर गलत आचरण एवं भ्रामक बयानबाजी के आरोप लगते जा रहे हैं। अब जबकि डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी को दूसरी बार अमरीका के राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने वालेे हैं, पोर्न स्टार ‘स्टोर्मी डैनियल्स’ से सम्बन्धित 10 वर्ष पुराने मामले से जुड़े 34 आरोपों में न्यूयार्क की मैनहट्टïन कोर्ट के जज ‘जस्टिस युआन मर्चेन’ ने सजा सुनाते हुए उन्हें जेल न भेजकर बिना किसी शर्त के बरी कर दिया है और इस प्रकार वह अमरीका के इतिहास में पहले ‘सजायाफ्ता राष्ट्रपति’ बन गए हैं। ‘हश मनी केस’ के नाम से चॢचत इस मुकद्दमे में डोनाल्ड ट्रम्प पर पोर्न अभिनेत्री ‘स्टोर्मी डैनियल्स’ को 130,000 डालर (1.10 करोड़ रुपए) देने के लिए अपने व्यापारिक रिकार्डों में हेरा-फेरी करने का आरोप लगा था और ऐसा करके उन्होंने चुनाव कानून का उल्लंघन किया था।
‘स्टोर्मी डैनियल्स’ को उक्त रकम डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2016 के अंत में अपने चुनाव अभियान के दौरान दी गई थी ताकि उनके साथ यौन संबंध स्थापित करने के मामले में वह जुबान बंद रखे। डोनाल्ड ट्रम्प बार-बार यही कहते रहे हैं कि उन दोनों के बीच कुछ भी ‘वासनात्मक’ नहीं हुआ था और उनके विरोधियों ने उन्हें बदनाम करने के लिए उनके विरुद्ध यह साजिश रची थी। मामले की सुनवाई के दौरान ट्रम्प वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिए कोर्ट के सामने पेश हुए। फैसला सुनाते हुए ‘जस्टिस युआन मर्चेन’ ने कहा कि मैं आपके दूसरे कार्यकाल में सफलता की कामना करता हूं। ‘जस्टिस युआन मर्चेन’ ने कहा कि उन पर दोषसिद्धि कायम रहेगी और‘‘चूंकि वह राष्ट्रपति का महत्वपूर्ण पद संभालने जा रहे हैं इसलिए उनके साथ नर्मी बरती गई है जबकि एक आम आदमी के तौर पर तो वह कतई इस नर्मी के अधिकारी नहीं हैं।’’ हालांकि इस मामले में डोनाल्ड ट्रम्प को अधिकतम 4 वर्ष तक कैद की सजा हो सकती थी परंतु उन्हें मिली दोष सिद्धि की सजा सिर्फ सांकेतिक है। अर्थात उन्हें न तो जेल होगी और न ही उन्हें कोई जुर्माना भरना पड़ेगा।
सजा सुनने के तुरंत बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने बिना कुछ कहे अपना कैमरा बंद कर दिया। इससे एक दिन पूर्व डोनाल्ड ट्रम्प ने न्यूयार्क की अदालत के फैसले पर रोक लगाने के लिए सुप्रीमकोर्ट से गुहार की थी परंतु सुप्रीमकोर्ट की बैंच ने ट्रम्प के आवेदन को 5-4 के अंतर से अस्वीकार करते हुए न्यूयार्क की अदालत को सजा सुनाने के आदेश दिए थे। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प अमरीका के कानून के अंतर्गत स्वयं को माफी दे सकते हैं, परंतु अभी तक किसी अमरीकी राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया और यदि वह ऐसा करते हैं तो स्वयं को माफी देने वाले देश के पहले राष्ट्रपति होंगे।
बहरहाल बाद में अपने फ्लोरिडा स्थित मकान से लोगों को वर्चुअली संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘मुकद्दमे की सुनवाई और दोषसिद्धि मेरे लिए अत्यंत भयावह अनुभव था क्योंकि मैंने कोई अपराध नहीं किया। यह एक राजनीतिक साजिश थी जो मुझे बदनाम करने के लिए रची गई थी ताकि मैं चुनाव में हार जाऊं परंतु मेरे विरोधियों की यह चाल सफल नहीं हुई।’’ जो भी हो, अदालत ने ट्रम्प को दोषी करार देकर और फिर बिना शर्त सजा से माफी देकर एक विवाद को जन्म दे दिया है, जबकि दोषी को सजा तो मिलनी ही चाहिए। अदालत के इस फैसले से आशंका उत्पन्न होती है कि ट्रम्प को मिली सजा माफी कहीं दूसरे देशों में भी एक बुरी परम्परा का रूप न धारण कर ले।—विजय कुमार