कैग ने कीं उजागर वायुसेना के ट्रेनिंग विमानों व पायलटों की ट्रेनिंग में खामियां

Edited By ,Updated: 20 Dec, 2024 04:42 AM

cag exposed flaws in the training of air force s training aircraft

‘कैग’ (कम्प्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल आफ इंडिया) की स्थापना अंग्रेजों ने 1858 में की थी। इसे ‘सुप्रीम ऑडिट इंस्टीच्यूशन’ भी कहा जाता है। ‘कैग’ सरकारी घोटाले उजागर करने के अलावा संसद में पेश अपनी रिपोर्टों में सरकार का ध्यान विभिन्न विभागों की त्रुटियों...

‘कैग’ (कम्प्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल आफ इंडिया) की स्थापना अंग्रेजों ने 1858 में की थी। इसे ‘सुप्रीम ऑडिट इंस्टीच्यूशन’ भी कहा जाता है। ‘कैग’ सरकारी घोटाले उजागर करने के अलावा संसद में पेश अपनी रिपोर्टों में सरकार का ध्यान विभिन्न विभागों की त्रुटियों की ओर दिलाता रहता है जिनमें देश की प्रतिरक्षा तैयारियों संबंधी त्रुटियां भी शामिल हैं।

इसी शृंखला में 18 दिसम्बर, 2024 को ‘कैग’ ने संसद में पेश की अपनी रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना के पायलटों के प्रशिक्षण में गंभीर खामियों को उजागर किया है। रिपोर्ट में 2016-2021 को कवर करने वालीे कारगुजारी संबंधी ऑडिट में पुराने पड़ चुके उपकरणों और बेसिक ट्रेनर विमान ‘पिलाटस पीसी-7 एमके-2’ में कई गंभीर समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया है। ‘कैग’ ने ‘पिलाटस पीसी-7 एमके-2’ विमानों के परिचालन का अध्ययन किया, जिसका इस्तेमाल मई, 2013 से ट्रेनी पायलटों को ‘स्टेज-1’ उड़ान प्रशिक्षण देने के लिए किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 64 ‘पिलाटस पीसी-7 एमके-2’ विमानों में से 16 (25 प्रतिशत) विमानों में  2013 और 2021 के बीच इंजन आयल लीक होने की 38 घटनाएं हुई थीं। भारतीय वायुसेना ने इन विमानों के निर्माता के साथ इस मुद्दे को उठाया और अगस्त, 2023 तक मामले की जांच की बात कही गई थी जो अभी भी जारी बताई जाती है। 

‘कैग’ का कहना है कि भारतीय वायुसेना की विमान आधुनिकीकरण योजनाओं में देरी के कारण परिवहन विमानों और हैलीकाप्टरों के लिए स्टेज 2 और स्टेज 3 के पायलट प्रशिक्षण प्रभावित हुए हैं। उल्लेखनीय है कि ट्रांसपोर्ट पायलट का प्रशिक्षण भी अभी पुराने डोर्नियर-228 विमानों पर ही दिया जा रहा है जिनमें आधुनिक कॉकपिट नहीं होते। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय वायुसेना में पायलटों की कमी एक और चिंता का विषय है। फरवरी, 2015 में भारतीय वायुसेना ने 486 पायलटों की कमी का आकलन करने के बाद 2016 और 2021 के बीच 222 ट्रेनी पायलटों की वार्षिक भर्ती की योजना बनाई थी, परन्तु वास्तविक भर्ती कम होने के परिणामस्वरूप पायलटों की कमी बढ़कर 596 हो गई है।

उल्लेखनीय है कि इस समय भारतीय वायुसेना को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके स्वीकृत स्क्वाड्रनों की संख्या 42 है लेकिन वर्तमान में यह 30 स्क्वाड्रनों से ही काम चला रही है। वायुसेना की दूसरी बड़ी चुनौती तेजस फाइटर विमानों की आपूर्ति में आ रही गिरावट है जिसके दोनों ही वेरिएंट के लिए इंजन की आपूर्ति अमरीका की कंपनी जी.ई. द्वारा की जाती है लेकिन इसमें भी देरी हो रही है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना को लड़ाकू विमानों की कमी की समस्या दरपेश आने की आशंका भी व्यक्त की जा रही है। वायुसेना के बेड़े में शामिल ‘मिग-21’ काफी पुराने हो चुके हैं, परन्तु भारत सरकार ने न तो किसी विदेशी कंपनी के साथ लड़ाकू विमान खरीदने के लिए अनुबंध किया है और न ही  सरकार भारत में ही लड़ाकू विमान के निर्माण के लिए किसी विदेशी हथियार निर्माता कंपनी को राजी कर पाई है। 

इन हालात में भारतीय वायुसेना पायलटों के प्रशिक्षण तथा प्रशिक्षण में इस्तेमाल किए जाने वाले विमानों में त्रुटियों की ओर इंगित करके कैग ने वायुसेना की समस्याओं में और वृद्धि का संकेत दिया है। इसका देश के आम लोगों तथा सुरक्षा से सीधा संबंध है जिनकी ओर ध्यान देकर सरकार को उन्हें यथाशीघ्र दूर करना चाहिए। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि अमरीका द्वारा उन्नत विमानों की प्राप्ति में विलम्ब तथा पड़ोसी देशों के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण हमारी वायुसेना के पायलटों और विमानों का चाक-चौबंद होना और भी जरूरी है।—विजय कुमार 

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