‘वर्षों से लटकते आ रहे मुकद्दमे’ ‘एक दिन में निपटा रहीं लोक अदालतें’

Edited By ,Updated: 17 Dec, 2024 05:05 AM

cases pending for years  lok adalats are settling cases in one day

देश की अदालतों में लम्बे समय से लटकते आ रहे मुकद्दमों को आपसी समझौते व सौहार्द से हल करवाने के लिए समय-समय पर ‘राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण’ द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है।

देश की अदालतों में लम्बे समय से लटकते आ रहे मुकद्दमों को आपसी समझौते व सौहार्द से हल करवाने के लिए समय-समय पर ‘राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण’ द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है। इन्हें एक दिन में न्याय दिलाने वाली अदालतें भी कह सकते हैं जहां आपसी समझौते के आधार पर दोनों पक्ष संतुष्टï हो जाते हैं। 14 दिसम्बर को अनेक राज्यों में आयोजित लोक अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मुकद्दमे निपटाए गए। इन अदालतों में दीवानी, घरेलू व वैवाहिक, सम्पत्ति, अपराध से जुड़े समझौते योग्य मुकद्दमों, राजस्व विभाग में लंबित आपराधिक मामलों तथा दुर्घटना बीमा क्लेम आदि के लंबे समय से लटकते आ रहे मामलों को सुलझाना शामिल होता है। ऐसे ही सुलझाए गए चंद मामले निम्न में दर्ज हैं : 

* दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने ‘नैशनल इंश्योरैंस कम्पनी’ को 12 वर्ष पहले 2012 में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए ‘आशीष कुमार बराल’ नामक व्यक्ति के परिवार को एक महीने के भीतर 2.5 करोड़ रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया जिसमें विफल रहने पर कम्पनी को 6 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा।
* मलिकपुर कोर्ट (पठानकोट, पंजाब) में आयोजित ‘राष्ट्रीय लोक अदालत’ में एक महिला द्वारा अपने पति के विरुद्ध दायर अपने और अपनी बेटी के लिए खर्च के दावे, की रकम जो 1,85,000 रुपए हो गई थी, का निपटारा करते हुए अदालत ने पीड़िता को 1,00,000 रुपए खर्च दिलाने के अलावा दोनों का राजीनामा करवाकर बेटी को माता-पिता दोनों का प्यार दिलवा दिया। 
उक्त अदालत ने ही एक अन्य मुकद्दमे में 5 वर्ष से अपनी पत्नी से अलग रह रहे व्यक्ति द्वारा दायर अपनी पत्नी से तलाक के केस का निपटारा करते हुए उन दोनों में राजीनामा करवा कर उनको दोबारा एक कर दिया। 

* भभुआ (बिहार) में आयोजित ‘राष्ट्रीय लोक अदालत’ में एक ऐसा मामला पेश हुआ जिसमें मुकद्दमा तो पक्षकारों की युवा अवस्था में हुआ था परंतु केस में पैरवी करते-करते वे बूढ़े हो गए। 
6 जनवरी, 2002 को अमरपुर वन सुरक्षित क्षेत्र की भूमि में धरचौली गांव निवासी रामसूरत मुसहर, मुराहू मुसहर और कैलाश पासवान ने अवैध रूप से सरसों की खेती की थी। 22 वर्षों से लटकते आ रहे इस मुकद्दमे को वन विभाग और तीनों पक्षकारों के बीच समझौता करवा कर 1500-1500 रुपए जमा करवाने के बाद निपटा दिया गया जबकि अब तक मुकद्दमा लडऩे में उनके काफी रुपए खर्च हो चुके थे। उक्त अदालत में ही रामगढ़ के कन्हैया शर्मा नामक एक आरोपी के विरुद्ध 21 वर्ष पूर्व 26 अगस्त, 2003 को अवैध आरा मशीन चलाने के आरोप में दर्ज मुकद्दमा कन्हैया को 5000 रुपए जुर्माना लगा कर समाप्त कर दिया गया।

* मंदसौर (मध्य प्रदेश) में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में एक महिला का मामला सामने आया जिसने अपने पति के विरुद्ध इसलिए तलाक का केस दायर कर रखा था क्योंकि वह उसे अपने स्कूटर पर घुमाने नहीं ले जाता था।  
इस केस में अदालत ने व्यक्ति को आदेश दिया कि वह अपनी रूठी पत्नी को स्कूटर पर बिठाकर सैर कराए और स्कूटर का रजिस्ट्रेशन पत्नी के नाम करवाए। अदालत के इस फैसले से पत्नी खुश हो गई और नाराजगी भुलाकर पति के साथ रहने को तैयार हो गई।

* अलीगढ़ में आयोजित ‘राष्ट्रीय लोक अदालतों’ं में अन्य मामलों के अलावा 63 दम्पतियों का मन-मुटाव दूर किया गया और वे अलगाव के फैसले को त्याग कर घर लौटे। इनमें से एक दम्पति में 7 वर्ष से विवाद चल रहा था।
ये तो चंद उदाहरण मात्र हैं। वर्षों से लटकते आ रहे मुकद्दमों को मात्र एक दिन में निपटा कर लोक अदालतें जहां वर्षों लटकते आ रहे मुकद्दमों का बोझ घटाने में बड़ा योगदान देती हैं, वहीं इनसे विभिन्न मामलों में उलझे लोगों को भी राहत मिलती है। लोक अदालतों में मुकद्दमे सुलझाने का एक लाभ यह भी है कि इनमें केस दायर करने वालों द्वारा जमा करवाई गई स्टैम्प ड्यूटी भी उन्हें वापस मिल जाती है। अत: इनका अधिक से अधिक आयोजन किया जाना और लोगों को भी इनका लाभ उठाना चाहिए।-विजय कुमार 

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