Edited By ,Updated: 28 Nov, 2024 05:23 AM
लेबनान के हिजबुल्लाह और इसराईल के बीच दुश्मनी बड़ी पुरानी है। 1982 में इसराईल ने लेबनान पर हमला करके बैरुत सहित दक्षिणी लेबनान पर कब्जा कर लिया था। इसमें लगभग 3000 फिलिस्तीनी शरणार्थी और लेबनानी नागरिक मारे गए थे। इस घटना के बाद ईरान की मदद से...
लेबनान के हिजबुल्लाह और इसराईल के बीच दुश्मनी बड़ी पुरानी है। 1982 में इसराईल ने लेबनान पर हमला करके बैरुत सहित दक्षिणी लेबनान पर कब्जा कर लिया था। इसमें लगभग 3000 फिलिस्तीनी शरणार्थी और लेबनानी नागरिक मारे गए थे। इस घटना के बाद ईरान की मदद से हिजबुल्लाह का उदय हुआ और तभी से इनमें शत्रुता भी चली आ रही है।
गत वर्ष 7 अक्तूबर को इसराईल पर हमास के हमले के बाद से हिजबुल्लाह लगातार उत्तरी इसराईल को अपना निशाना बना रहा है। गाजा के हमास के बाद इसराईल को सर्वाधिक क्षति हिजबुल्लाह ने ही पहुंचाई है। इसी कारण हमास के बाद हिजबुल्लाह को इसराईल अपना सबसे बड़ा शत्रु मानता है। उसी के कारण उत्तरी इसराईल में 60,000 लोगों को बेघर होना पड़ा। हिजबुल्लाह द्वारा इस वर्ष सितम्बर में इसराईल पर हमले के जवाब में इसराईल ने पिछले 2 महीनों में हिजबुल्लाह पर जवाबी हमले में उसके चीफ नसरल्लाह सहित अनेक प्रमुख कमांडरों को मार डाला।
लेबनान का कहना है कि अक्तूबर, 2023 से इसराईल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध में इसके कम से कम 3768 लोग मारे गए तथा 12 लाख लोग बेघर हुए हैं। दूसरी ओर इसराईल का कहना है कि हिजबुल्लाह के हमले में अब तक उसके कम से कम 82 सैनिक और 47 नागरिक मारे गए हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने भी लेबनान में बढ़ते मौत के आंकड़ों पर चिंता जताई थी। इस तरह के हालात में पिछले कुछ समय से लेबनान के हिजबुल्लाह और इसराईल के बीच सुलह-प्रयासों की चर्चा सुनाई दे रही थी और 26 नवम्बर को इसराईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हिजबुल्लाह के साथ संघर्ष विराम की घोषणा कर दी जो 27 नवम्बर को लागू हो गया। इससे दोनों पक्षों के बीच जारी टकराव फिलहाल थम जाने की आशा बंधी है। समझौते के अनुसार हिजबुल्लाह को दक्षिणी लेबनान में हथियार डालने होंगे तथा इसराईली सैनिकों को सीमा पर अपने क्षेत्र में लौटना होगा। इस फैसले को इसराईल की रणनीतिक प्राथमिकताओं का हिस्सा माना जा रहा है ताकि दीर्घकालिक शांति स्थापना के प्रयास किए जा सकें। इस समझौते की मध्यस्थता अमरीका और फ्रांस ने की थी।
अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने समझौते की घोषणा के तुरंत बाद इसराईल और लेबनान के नेताओं से बात करते हुए कहा, ‘‘युद्ध विराम स्थायी करने का प्रयास है। अमरीका आने वाले दिनों में तुर्की, मिस्र, कतर व इसराईल आदि के साथ मिल कर गाजा में युद्ध विराम तथा बंधकों की रिहाई के लिए काम करेगा।’’ इसराईली सुरक्षा कैबिनेट द्वारा संघर्ष विराम को स्वीकृति देने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा ‘‘युद्ध विराम की अवधि इस बात पर निर्भर करेगी कि लेबनान में क्या होता है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि, ‘‘हम समझौता लागू करेंगे परंतु किसी भी उल्लंघन का जोरदार तरीके से जवाब देंगे। हम विजय प्राप्त करने तक एकजुट रहेंगे। इसराईल अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे के विरुद्ध कार्रवाई करने का अधिकार रखता है।’’
बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है, ‘‘अब हिजबुल्लाह के (युद्ध से) बाहर आने के बाद हमास अपने दम पर रह गया है। हम हमास पर अपना दबाव बढ़ाएंगे जिससे हमें अपने बंधकों को रिहा करवाने के पवित्र मिशन में मदद मिलेगी।’’
लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ‘नजीब मिकाती’ के कार्यालय के अनुसार ‘नजीब मिकाती’ ने अमरीका के राष्टï्रपति जो बाइडेन से बात की थी। ‘मिकाती’ ने समझौते का स्वागत करते हुए इसे लेबनान में शांति व स्थिरता बहाल करने तथा विस्थापितों की वापसी संभव बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया है। इसराईल और लेबनान के बीच यह ‘समझौता’ इसराईल तथा हमास के बीच 14 महीनों से जारी यु्द्ध समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। रूस और यूक्रेन आदि के बीच भी इसी प्रकार का समझौता होना बहुत जरूरी है, तभी बारूद के ढेर पर बैठी इस दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के खतरे से मुक्ति मिल सकेगी।—विजय कुमार