Edited By ,Updated: 15 Sep, 2024 05:40 AM
‘मिड-डे मील’ अर्थात ‘दोपहर का भोजन योजना’ विश्व की सबसे बड़ी नि:शुल्क खाद्य वितरण योजना है। इसकी शुरूआत 1995 में गरीब बच्चों को स्कूलों की ओर आकॢषत करने के लिए की गई थी।
‘मिड-डे मील’ अर्थात ‘दोपहर का भोजन योजना’ विश्व की सबसे बड़ी नि:शुल्क खाद्य वितरण योजना है। इसकी शुरूआत 1995 में गरीब बच्चों को स्कूलों की ओर आकॢषत करने के लिए की गई थी। तब अधिकांश राज्यों ने इसके अंतर्गत लाभार्थियों को कच्चा अनाज देना शुरू किया था परंतु 28 नवम्बर, 2002 को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर बच्चों को पका कर भोजन देना शुरू किया गया। एक अच्छी योजना होने के बावजूद भोजन पकाने में लापरवाही तथा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संंबंधी नियमों की उपेक्षा के चलते यह योजना वरदान की बजाय अभिशाप सिद्ध हो रही है। ‘मिड-डे मील’ में सब्जियों के साथ गिरगिट, छिपकलियां, मेंढक और एक्सपायर्ड बिस्कुट आदि खिला कर मासूम बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :
* 21 जून को असम के ‘बोंगायगांव’ स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल में एक्सपायर्ड बिस्कुट खाने से अनेक बच्चे बीमार हो गए।
* 1 अगस्त को उत्तर प्रदेश के कासगंज के सरकारी स्कूल में बच्चों ने ‘मिड-डे मील’ में परोसे जाने वाले भोजन की दाल में कीड़े और रोटियां खाने के योग्य न होने की शिकायत की जिसके सेवन से 15 मिनट बाद ही बच्चों को पेट दर्द और उल्टियां होने लगीं।
* 9 अगस्त को ओडिशा के बालासोर जिले के ‘सोरो’ ब्लाक के ‘सिरापुर’ गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों को परोसा गया ‘मिड-डे मील’ खाने से 100 छात्र बीमार पड़ गए। यहां भोजन में मरी हुई छिपकली पाई गई।
* 2 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की बेहट तहसील के ‘अलाऊद्दीनपुर’ गांव के लोगों ने स्थानीय सरकारी प्राइमरी स्कूल में बच्चों को परोसे जाने वाले ‘मिड-डे मील’ की जांच की तो चावल में कीड़े और सुसरी पाई गई।
* 3 सितम्बर को बिहार में किशनगंज के ‘बहादुरगंज’ में ‘सताल’ स्थित माध्यमिक विद्यालय में ‘मिड-डे मील’ में छिपकली निकली।
* 5 सितम्बर को छत्तीसगढ़ में गरियाबंद जिले के ‘पीपल खुंटा’ स्थित मिडल स्कूल में पकाया गया मिड-डे मील खाने से कई बच्चे बीमार पड़ गए। यहां भी दाल में मरी हुई छिपकली पाई गई।
* 6 सितम्बर को राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ में ‘गिलूण्ड’ ग्राम पंचायत के महात्मा गांधी सरकारी स्कूल के बच्चों को ‘मिड-डे मील’ में दिए गए दलिए में मरा हुआ मेंढक निकला।
* 11 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के ‘बंसीपुर’ स्थित माध्यमिक विद्यालय में मिड-डे मील में बनाई गई खिचड़ी अभी कुछ ही बच्चों में बांटी गई थी कि उन्होंने पेट दर्द के साथ उल्टियां करनी शुरू कर दीं और चक्कर आने लगे। बच्चों की तबीयत बिगड़ती देख खिचड़ी का वितरण बंद करवा कर जब उसकी जांच की गई तो जिस बर्तन में खिचड़ी पकाई गई थी, उसमें एक लोहटन (छिपकली जैसा जीव) मरी हुई पाई गई।
* 13 सितम्बर को झारखंड के दुमका जिले के ‘मोहनपुर’ स्थित सरकारी विद्यालय में ‘मिड-डे मील’ खाने के बाद कम से कम 65 बच्चे बीमार पड़ गए। यहां बनाई गई सब्जी में एक गिरगिट मृत पाया गया।
* 13 सितम्बर को ही बिहार के नालंदा जिले में ‘हरबंसपुर मड़वा’ स्थित सरकारी स्कूल में एक एन.जी.ओ. द्वारा सप्लाई किया जाने वाला मिड-डे मील खाने के बाद लगभग 2 दर्जन बच्चों को पेट दर्द और उल्टियां शुरू होने से हड़कंप मच गया। यहां बच्चों को परोसे गए भोजन के बर्तन में एक छिपकली मृत पाई गई। हालांकि बच्चों को परोसने से पहले भोजन को एक अध्यापक सहित 2 वयस्कों द्वारा खा कर जांचना और कच्चे सामान व बर्तनों आदि की शुद्धता के नियमों का पालन करना जरूरी है, परन्तु अधिकांश मामलों में ऐसा नहीं किया जाता। इसी कारण ‘मिड-डे मील’ खाकर बड़ी संख्या में बच्चों के बीमार होने की खबरें आती रहती हैं। इतना ही नहीं, पकाने के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही के चलते गंभीर समस्याएं भी पैदा हो रही हैं, अत: ऐसी लापरवाही के लिए जिम्मेदार स्टाफ के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि हमारे नौनिहालों के जीवन से खिलवाड़ न हो।—विजय कुमार