‘रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की बजाय’ ‘गांवों के उलटे-सीधे नाम बदलो’

Edited By ,Updated: 29 Aug, 2024 05:13 AM

change the names of villages randomly

इन दिनों देश में बदलाव की लहर चल रही है। इसी सिलसिले में अब विभिन्न राज्य सरकारों में रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की एक होड़ सी लगी हुई है।

इन दिनों देश में बदलाव की लहर चल रही है। इसी सिलसिले में अब विभिन्न राज्य सरकारों में रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की एक होड़ सी लगी हुई है। पिछले कुछ समय के दौरान अनेक रेलवे स्टेशनों के नाम बदल दिए गए हैं जिनके चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :

  • राजस्थान के ‘मियां का बाड़ा’ रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर ‘महेश नगर’ रेलवे स्टेशन, महाराष्ट्र के ‘ओशीवाड़ा’ रेलवे स्टेशन का नाम ‘राम मंदिर’ रेलवे स्टेशन, ‘एलफिंस्टन रोड’ रेलवे स्टेशन का नाम ‘प्रभा देवी’ रेलवे स्टेशन, मध्य प्रदेश के ‘हबीबगंज’ रेलवे स्टेशन का नाम ‘पुरानी कमलापति’ रेलवे स्टेशन और ‘पाताल पानी’ रेलवे स्टेशन का नाम ‘तांत्या भील’ रेलवे स्टेशन कर दिया गया है।
  • गुजरात के ‘केवडिय़ा’ रेलवे स्टेशन’ का नाम ‘एकता नगर’ रेलवे स्टेशन, कर्नाटक के ‘हुबली’ रेलवे स्टेशन का नाम ‘सिद्धारुद्धा स्वामी’ रेलवे स्टेशन और ‘गुलबर्गा’ रेलवे स्टेशन का नाम ‘कालबुर्गी’ रेलवे स्टेशन कर दिया गया है।
  • पिछले कुछ समय के दौरान उत्तर प्रदेश के अनेक रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए हैं। इनमें से ‘मुगलसराय जंक्शन’ का नाम ‘पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे जंक्शन’, ‘इलाहाबाद’ का नाम ‘प्रयागराज जंक्शन’, ‘राबर्ट्सगंज’ का नाम ‘सोनभद्र रेलवे स्टेशन’, ‘फैजाबाद जंक्शन’ का नाम ‘अयोध्या छावनी’ तो पहले ही किया जा चुका है। 

और अब एक ही झटके में उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के अंतर्गत 8 रेलवे स्टेशनों के नाम बदल दिए गए हैं। इनमें ‘जायस’ रेलवे स्टेशन का नाम ‘गुरु गोरखनाथ धाम’, ‘फुर्सतगंज’ का नाम ‘तपेश्वरनाथ धाम’, ‘कासिमपुर हाल्ट’ का नाम ‘जायस सिटी’, ‘बनी’ रेलवे स्टेशन का नाम ‘स्वामी परमहंस’, ‘मिसरौली’ का नाम ‘मां कालिकन धाम’, ‘निहालगढ़’ का नाम ‘महाराजा बिजली पासी’, ‘वारिसगंज’ का नाम ‘अमर शहीद भाल्ले सुल्तान’ और ‘अकबरगंज’ का नाम ‘मां अहिरवा भवानी’ रेलवे स्टेशन कर दिया गया है।

बुद्धिजीवी लोगों का कहना है कि रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने से क्या होगा। स्टेशनों पर यात्रियों के लिए अच्छी सुविधाएं प्रदान करना व रेलगाडिय़ों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करना ज्यादा जरूरी है। बदलना ही है तो गांवों के उलटे-सीधे नाम बदलो जिन्हें बोलने में लोग संकोच करते हैं। इनमें छत्तीसगढ़ में ‘लैलूंगा’, उत्तर प्रदेश में ‘पनौती’ तथा ‘सुअर’, तेलंगाना में ‘भैंसा’ तथा ‘टट्टीखाना’, पंजाब में ‘काला बकरा’, झारखंड में ‘दारू’ व ‘चुटिया’, गुजरात में ‘गधा’ (गाडा), कर्नाटक में ‘कुत्ता’, महाराष्ट्र में ‘भोसारी’ व राजस्थान में ‘साली’ आदि प्रमुख हैं। -विजय कुमार 

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