Edited By ,Updated: 29 Oct, 2024 05:01 AM
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देश में तरह-तरह के चीन निर्मित सामान की तो पहले ही भरमार है और अब इसमें चीन निर्मित अवैध ‘मोबाइल सिग्नल जैमर’ भी शामिल हो गए हैं। जिस स्थान पर भी ये ‘मोबाइल जैमर’ लगाए जाते हैं उसके आसपास की सभी तरह की सैलुलर गतिविधियां ठप्प हो जाती हैं। इनमें...
देश में तरह-तरह के चीन निर्मित सामान की तो पहले ही भरमार है और अब इसमें चीन निर्मित अवैध ‘मोबाइल सिग्नल जैमर’ भी शामिल हो गए हैं। जिस स्थान पर भी ये ‘मोबाइल जैमर’ लगाए जाते हैं उसके आसपास की सभी तरह की सैलुलर गतिविधियां ठप्प हो जाती हैं। इनमें इनकमिंग तथा आऊटगोइंग काल, एस.एम.एस. और फोटो आदि भेजना शामिल है।
जैमर लगा देने से पहले से चल रही सभी कालें अपने आप ही बाधित होकर कट जाती हैं तथा फोन का डिस्प्ले ‘नो नैटवर्क’ दिखाने लगता है। किसी वारदात के लिए ‘मोबाइल जैमर’ के इस्तेमाल करने पर वहां का सारा कम्युनिकेशन ठप्प हो जाता है और घटनास्थल पर हुई कम्युनिकेशन को ट्रैक कर पाना मुश्किल हो जाता है।
पुलिस उपायुक्त (नई दिल्ली) देवेश कुमार महला ने बताया कि उनकी टीमें त्यौहारों की शुरुआत से पहले सभी दुकानों होटलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों की जांच कर रही हैं। इसी दौरान एक टीम ने हाल ही में पालिका बाजार से एक दुकानदार को हिरासत में लेकर उससे 50 मीटर दूरी तक क्षमता वाला एक चीन निर्मित ‘मोबाइल सिग्नल जैमर’ बरामद किया। इसे वह लाजपतराय मार्कीट से 25,000 रुपए में खरीद कर लाया था और यहां इसे ऊंचे दाम पर बेचना चाह रहा था जबकि कोई निजी व्यक्ति इन्हें नहीं बेच सकता। ‘मोबाइल सिग्नल जैमर’ बेचने के लिए कैबिनेट सचिवालय ने गाइड लाइन्स बनाई हुई हैं। केवल केंद्र सरकार के मंत्रालय/विभाग, राज्य सरकारें/ केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक, प्रतिरक्षा सेनाएं, केंद्रीय प्रतिरक्षा बल ही सार्वजनिक क्षेत्र की आधिकारिक कम्पनियों ‘भारत इलैक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ तथा ‘इलैक्ट्रॉनिक्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ से अपने खास उद्देश्यों के लिए ‘जैमर’ प्राप्त कर सकते हैं, जिसके लिए उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल के सचिवालय से अनुमति लेनी पड़ती है।
सुरक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए सशस्त्र सेनाओं और संबंधित प्रतिरक्षा एजैंसियों, पुलिस द्वारा कानून लागू करने वाली एजैंसियों और जेलों, जहां सुरक्षा के लिए नैटवर्क सिग्नल जाम करना जरूरी हो, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील कार्य करने वाली सरकारी संस्थाओं, प्रतिरक्षा और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने वाले अनुसंधान व विकास संगठनों को ही ‘जैमरों’ के इस्तेमाल की अनुमति है।
यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि उक्त इस्तेमाल के अलावा आमतौर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि सहित शीर्ष नेताओं और सुरक्षा बलों के काफिले के साथ ‘जैमर’ चलते हैं जिससे आसपास के क्षेत्र के सिग्नल ब्लाक हो जाने के कारण उनके विरुद्ध रची जाने वाली साजिशों के सफल होने की आशंका कम हो जाती है। इसीलिए उक्त ‘जैमर’ की बरामदगी को सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या अवैध रूप से इन ‘जैमरों’ के आयात के पीछे किसी बड़े नैटवर्क का हाथ तो नहीं।
अत: लोगों की सुरक्षा को देखते हुए अब बाजार में इनकी बिक्री का पता लगाने के लिए मामले की तह तक जाने की तुरंत जरूरत है। इसके लिए केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी ‘मोबाइल सिग्नल जैमरों’ की अवैध रूप से बिक्री का पता लगाने और उस पर रोक लगाने के लिए तलाशी अभियान तेज किया जाए।—विजय कुमार