‘मानव अंगों के व्यापारी डाक्टर व दलाल’ ‘गरीबों के अंग बेच-कर रहे मोटी कमाई’

Edited By ,Updated: 21 Jul, 2024 04:32 AM

doctors and brokers who trade in human organs

भारत में ‘मानव अंग प्रत्यारोपण कानून-1994’ द्वारा मानव अंगों के व्यावसायिक लेन-देन को दंडनीय अपराध घोषित किए जाने के बावजूद इस कारोबार में संलिप्त डाक्टरों, अधिकारियों व दलालों के गिरोहों ने इसे धन कमाने का जरिया बना लिया है।

भारत में ‘मानव अंग प्रत्यारोपण कानून-1994’ द्वारा मानव अंगों के व्यावसायिक लेन-देन को दंडनीय अपराध घोषित किए जाने के बावजूद इस कारोबार में संलिप्त डाक्टरों, अधिकारियों व दलालों के गिरोहों ने इसे धन कमाने का जरिया बना लिया है। ये गिरोह अत्यंत सुनियोजित तरीके से गरीब और जरूरतमंद लोगों को बहुत मामूली रकम पर अपने अंग बेचने को तैयार कर लेते हैं और जरूरतमंदों को भारी रकमों पर बेचते हैं। इसी वर्ष चंद ऐसे ही गिरोहों का पता चला है। इनमें से एक गिरोह बंगलादेश के गरीब लोगों को गुर्दा बेचने के लिए तैयार करके गुरुग्राम लाता और उन्हें कुछ दिन वहां ठहराने के बाद किडनी प्रत्यारोपण के लिए जयपुर ले जाता और वहां के 2 बड़े अस्पतालों में उनके स्वस्थ अंग निकाल कर अमीर व्यक्तियों के शरीर में लगा दिए जाते। 

1 अप्रैल को ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ ने अंग प्रत्यारोपण के लिए फर्जी नो ऑब्जैक्शन सर्टिफिकेट (एन.ओ.सी.) जारी करने की एवज में रिश्वत लेने के आरोप में राजस्थान में जयपुर स्थित ‘सवाई माधोसिंह अस्पताल’ (एस.एम.एस.) के एक अधिकारी से एन.ओ.सी. लेने के बदले में उक्त अधिकारी तथा उसे 70-70 हजार रुपए रिश्वत देने के आरोप में 2 निजी अस्पतालों के अंग प्रत्यारोपण कोओर्डिनेटरों को गिरफ्तार किया। इस घोटाले के तार दूसरे देशों से भी जुड़े होने और सवाई माधो सिंह अस्पताल में बनी कमेटी के नाम से पिछले 3 वर्षों में नेपाल, बंगलादेश और कम्बोडिया सहित विभिन्न देशों के 800 से अधिक नागरिकों के नाम से विभिन्न अस्पतालों को नो ऑब्जैक्शन सर्टिफिकेट (एन.ओ.सी.) जारी करने का खुलासा हुआ है। इसी वर्ष मई में पुलिस ने केरल से जुड़े एक अंतर्राष्ट्रीय अंग तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया था। गिरफ्तारियों और जांच के दौरान पता चला कि यह गिरोह हैदराबाद और बेंगलुरु के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मोटी रकम का लालच देकर अंगदान करने के लिए विदेश ले जाता था। 

इस अंग तस्करी रैकेट के एक संदिग्ध सदस्य ‘सबिथ नसर’ को 19 मई को कोच्चि हवाई अड्डे से एक अन्य व्यक्ति के साथ गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि ‘सबिथ नसर’ अंग निकालने के लिए 20 लोगों को भारत से ईरान लेकर गया, जिनकी वहां के एक प्राइवेट अस्पताल में किडनी निकाली गई। बताया जाता है कि ईरान ले जाए गए कुछ लोगों की वहीं मौत भी हो गई। और अब अनेक स्थानों पर छापेमारी के बाद पुलिस ने दिल्ली और इसके आसपास के इलाकोंं (एन.सी.आर.), पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात के कई अस्पतालों में जाली दस्तावेजों के आधार पर एक अंतर्राज्यीय किडनी प्रत्यारोपण गिरोह का भंंडाफोड़ करके दिल्ली के अपोलो अस्पताल की एक डाक्टर सहित 15 लोगों को पकड़ा है जिनमें किडनी दान करने और प्राप्त करने वाले भी शामिल हैं। 

पुलिस उपायुक्त (अपराध) अमित गोयल के अनुसार गिरोह के सदस्यों ने किडनी दान करने वालों को 5 लाख से 6 लाख रुपए के बीच भुगतान करने का वायदा किया लेकिन उन्होंने किडनी प्राप्त करने वालों से 35 से 40 लाख रुपए तक वसूल किए। इस गिरोह ने विभिन्न राज्यों के 11 अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण करवाए हैं। पुलिस ने इनके कब्जे से 34 फर्जी स्टैम्प, 17 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 9 सिम, एक लग्जरी कार, 1.50 लाख रुपए नकद, जाली दस्तावेज और मरीजों, प्राप्तकत्र्ताओं तथा दानकत्र्ताओं की फाइलें भी बरामद की हैं। 

उक्त उदाहरणों से स्पष्टï है कि आज देश में मानव अंगों का अवैध रूप से व्यापार करने वाले तत्व किस कदर सक्रिय हैं। वे न सिर्फ सरकार द्वारा तय किए गए अंगों का व्यापार न करने के कानून का उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि उनकी करतूतों की वजह से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का शोषण और उनकी मौतें भी हो रही हैं। अत: ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि इसे रोका जा सके।—विजय कुमार 

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