Edited By ,Updated: 01 Aug, 2024 05:13 AM
भाजपा के स्पष्टवादी नेताओं में से एक, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी अपने काम का प्रचार करने की बजाय चुपचाप काम करने में विश्वास रखते हैं। अपने इस गुण के कारण उन्होंने अपनी पार्टी भाजपा में ही नहीं, विरोधी खेमे में भी बहुत...
भाजपा के स्पष्टवादी नेताओं में से एक, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी अपने काम का प्रचार करने की बजाय चुपचाप काम करने में विश्वास रखते हैं। अपने इस गुण के कारण उन्होंने अपनी पार्टी भाजपा में ही नहीं, विरोधी खेमे में भी बहुत प्रशंसक बनाए हैं। वह लगातार अपनी पार्टी के नेताओं एवं कार्यकत्र्ताओं को उनकी त्रुटियों के बारे में सचेत करने के अलावा राजनीतिक एवं सामाजिक सरोकार से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते रहते हैं।
इनकी स्पष्टवादिता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इस वर्ष 7 फरवरी को मुम्बई में एक समारोह में बोलते हुए उन्होंने राजनीति के ‘गुड एंड बैड’ पर खुल कर अपनी राय रखी और कहा, ‘‘जो व्यक्ति अच्छा काम करता है उसकी तारीफ नहीं होती और सम्मान नहीं मिलता तथा जो बुरा करता है, उसे सजा नहीं (मिलती)।’’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘कुछ अवसरवादी नेता होते हैं जो सत्ताधारी पार्टी से चिपके रहते हैं। यह विचारधारा में गिरावट का प्रतीक है और लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।’’
फिर 27 जून को उन्होंने हाईवे पर यात्रा करने वाले लोगों की परेशानियों को देखते हुए जोर देकर कहा, ‘‘यदि सड़कें अच्छी हालत में नहीं हैं तो राजमार्ग एजैंसियों को ‘टोल’ नहीं लगाना चाहिए। टोल तभी वसूला जाना चाहिए जब बेहतरीन गुणवत्ता वाली सड़कें प्रदान की जाएं।’’ ‘‘गड्ढों और कीचड़ वाली घटिया सड़कों के लिए भी टोल वसूलने से जनता में आक्रोश पैदा हो सकता है और आपको लोगों की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।’’ और अब 28 जुलाई को श्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिख कर जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जी.एस.टी. हटाने की मांग की है, जो इस समय 18 प्रतिशत है।
इस पत्र में श्री गडकरी ने बताया है कि हाल ही में ‘नागपुर डिवीजनल लाइफ इंश्योरैंस कार्पोरेशन इम्प्लाइज यूनियन’ ने बीमा उद्योग से संबंधित मुद्दों पर एक ज्ञापन प्रस्तुत करके उनसे मुख्य रूप से जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जी.एस.टी. हटाने की मांग की है। श्री गडकरी के अनुसार यूनियन का मानना है कि ‘‘जो व्यक्ति जीवन की अनिश्चितताओं से अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बीमा प्रीमियम और चिकित्सा बीमा प्रीमियम अदा करता है, उस पर यह टैक्स नहीं लगाना चाहिए।’’
‘‘जीवन बीमा प्रीमियम पर जी.एस.टी. लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने के समान है। अत: आपसे अनुरोध है कि जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जी.एस.टी. वापस लेने के सुझाव पर प्राथमिकता से विचार करें क्योंकि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक बोझ के समान है।’’ ध्यान रहे कि नैशनल इंश्योरैंस अकादमी की रिपोर्ट के अनुसार देश के 73 प्रतिशत लोगों के पास चिकित्सा बीमा नहीं है। इतना ही नहीं, देश में चिकित्सा बीमा का प्रीमियम महंगा होने के कारण प्रतिवर्ष 25 से 30 प्रतिशत लोग अपने चिकित्सा बीमा का नवीनीकरण नहीं करवा पाते।
बुजुर्गों को चिकित्सा बीमा के प्रीमियम के लिए प्रतिवर्ष 12 से 15 हजार रुपए देने पड़ते हैं जो महंगा होने के कारण उनके लिए संभव नहीं होता। ऐसे में चिकित्सा बीमा लेने वाले लोगों से प्रीमियम पर 18 प्रतिशत की दर से जी.एस.टी. वसूल करना सरकार के लिए नैतिक दृष्टिï से उचित नहीं है। अत: जहां खराब सड़कों पर टोल टैक्स न लेने से वाहन चालकों को राहत मिलेगी, वहीं चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जी.एस.टी. समाप्त करने तथा दिए हुए प्रीमियम पर आयकर में 100 प्रतिशत छूट देने से लोगों में चिकित्सा बीमा लेने का रुझान बढ़ेगा। इससे उनके स्वास्थ्य में मदद मिलेगी। -विजय कुमार