Edited By ,Updated: 08 Nov, 2024 05:33 AM
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इन दिनों न्यायपालिका महत्वपूर्ण मुद्दों पर अनेक जनहितकारी निर्णय ले रही है।
इन दिनों न्यायपालिका महत्वपूर्ण मुद्दों पर अनेक जनहितकारी निर्णय ले रही है। इसी संदर्भ में सुप्रीमकोर्ट तथा दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा इसी सप्ताह सुनाए गए 3 जनहितकारी निर्णय निम्न में दर्ज हैं :
- 4 नवम्बर को सुप्रीमकोर्ट की न्यायमूॢत ‘बी.वी. नागरत्ना’ और न्यायमूॢत ‘पंकज मिथल’ की अदालत ने सभी ट्रायल कोर्टों के जजों को यौन उत्पीडऩ तथा शारीरिक चोटों से जुड़े अन्य मामलों में निर्णय सुनाते समय आरोपी को दोषी ठहराने या बरी करने का निर्णय देते समय पीड़िताओं को मुआवजा देने का आदेश देने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने जिला/राज्य कानूनी सेवाएं अथारिटी को यह निर्देश जल्दी लागू करने का आदेश दिया ताकि ऐसे मामलों में पीड़ितों को सबसे तेज तरीके से मुआवजा देना यकीनी बनाया जा सके।
- 6 नवम्बर को सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूॢत जे.बी. पारदीवाला तथा न्यायमूॢत मनोज मिश्रा ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2019 में एक सड़क चौड़ी करने के लिए अवैध तरीके से शिकायतकत्र्ता का मकान गिराने को लेकर फटकार लगाई तथा प्रदेश सरकार को शिकायतकत्र्ता को 25 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया ।अदालत ने कहा,‘‘आप ऐसा नहीं कर सकते कि बुल्डोजर लेकर आएं और रातो-रात मकान गिरा दें। यह अराजकता का सबसे बड़ा प्रमाण है। यह मकान 1960 में बना था। तब से अब तक सरकार क्या कर रही थी?’’ इसके साथ ही माननीय न्यायाधीशों ने सड़कें चौड़ी करने और अतिक्रमण हटाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए।
- 6 नवम्बर को ही दिल्ली हाईकोर्ट ने श्रद्धालुओं को यमुना नदी के तटों पर छठ पूजा की अनुमति देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि नदी का जल अत्यंत प्रदूषित होने के कारण लोग बीमार हो सकते हैं।’’ बुल्डोजर न्याय, यौन उत्पीडऩ की पीड़िताओं को मुआवजा व यमुना में प्रदूषण जैसे गंभीर मामलों में उक्त आदेश न सिर्फ जनहितकारी बल्कि न्यायसंगत भी हैं, जिनके लिए न्यायाधीश बधाई के पात्र हैं। -विजय कुमार