Edited By ,Updated: 12 Aug, 2024 04:54 AM
हाल ही में जब 50 किलो श्रेणी के कुश्ती मुकाबले में 100 ग्राम वजन अधिक निकलने पर भारत की विनेश फोगाट को स्वर्ण पदक के लिए मुकाबला करने के अयोग्य घोषित कर दिया गया तो खेल मंत्री ने विनेश फोगाट के प्रशिक्षण आदि पर किए गए खर्च की जानकारी दी थी।
हाल ही में जब 50 किलो श्रेणी के कुश्ती मुकाबले में 100 ग्राम वजन अधिक निकलने पर भारत की विनेश फोगाट को स्वर्ण पदक के लिए मुकाबला करने के अयोग्य घोषित कर दिया गया तो खेल मंत्री ने विनेश फोगाट के प्रशिक्षण आदि पर किए गए खर्च की जानकारी दी थी। परंतु यह जानकारी नहीं दी गई कि खिलाडिय़ों के साथ भेजे गए अधिकारियों पर कितना खर्च किया गया। इस बीच पैरिस ओलम्पिक में भारत सरकार की आई.ओ.सी. प्रतिनिधि नीता अंबानी ने कहा है कि वह दिन दूर नहीं जब भारत ओलम्पिक खेलों की मेजबानी करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गत वर्ष घोषणा की थी कि भारत 2036 के ओलंपिक की मेजबानी के लिए बोली लगाने की योजना बना रहा है। ऐसा जाना जाता है कि पैरिस ओलम्पिक के आयोजन पर कम से कम $8.87 बिलियन डालर लागत आई है, जो 2019 में आई.ओ.सी. (अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति) द्वारा लागू किए गए लागत-कटौती सुधारों का परिणाम है।
इसमें से पैरिस 2024 आयोजन समिति का कुल बजट 4.66 बिलियन डालर है। इसके अलावा आई.ओ.सी. (1.29 बिलियन), टी.वी. अधिकारों (816 मिलियन), टॉप सांझेदारियों (508 मिलियन डालर) के अतिरिक्त टिकट बिक्री (1.2 बिलियन), मेजबानी (184 मिलियन) और लाइसैंसिंग (137 ) से भी आय प्राप्त हुई। लोगों के आने से खेलों को प्रत्यक्ष रूप से या टी.वी. पर देखने से मुनाफा हो सकता है परंतु पहले तो देश को अपनी ओर से आवासीय मूलभूत ढांचे इत्यादि के लिए खर्चा करना पड़ता है तो पहले कदम पर अपने खिलाडिय़ों को समर्थन और सुविधाएं देने में क्यों न अधिक से अधिक खर्चा किया जाए। दूसरी ओर इस बार भारतीय टीम की पैरिस ओलम्पिक यात्रा पर 33.68 करोड़ रुपए अनुमानित खर्च आया है, जो 2021 के टोक्यो ओलम्पिक में किए गए 13.13 करोड़ रुपए खर्च के दोगुने से भी अधिक है। भारतीय ओलम्पिक संघ (आई.ओ.ए.) ने पैरिस खेलों के लिए यह बजट 195 सदस्यीय भारतीय दल के आकार को ध्यान में रखते हुए तैयार किया था।
एथलीटों से संबंधित गतिविधियों के लिए कुल 14 करोड़ रुपए तथा प्रतिनिधियों, आई.ओ.ए. की कार्यकारी समिति (ई.सी.) के सदस्यों और मुख्यालय के अधिकारियों के लिए 18.90 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई है। ई.सी. के 12 सदस्यों की यात्रा और दैनिक भत्तों (टी.ए./डी.ए.) पर ही 8.4 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसमें देखने वाली बात यह है कि खिलाडिय़ों पर कितना और उनके साथ गए अधिकारियों पर कितना खर्च किया गया। माना जाता है कि भारतीय खिलाडिय़ों के साथ भेजे गए अधिकारियों में वे 12 अधिकारी भी शामिल हैं जिन्हें भारतीय ओलम्पिक संघ ने निलंबित कर रखा है। चूंकि इस तरह के आयोजनों में सिर्फ आर्थिक पहलू ही नहीं बल्कि देश का सम्मान भी जुड़ा हुआ। अत: देश का सम्मान बढ़ाने वाले खिलाडिय़ों पर अधिक निवेश करने की आवश्यकता होगी। जब ओलम्पिक एथलीटों को पुरस्कृत करने की बात आती है तो हांगकांग और सिंगापुर सबसे अधिक योगदान देने वाले देशों में से हैं। इस समय भारत ओलम्पिक की पदक तालिका पर 71वें नम्बर पर है जबकि पाकिस्तान एक स्वर्ण सहित हमसे ऊपर है। अत: खेलों में देश का आकार नहीं, उसके खिलाडिय़ों की तैयारी पर किया गया निवेश महत्व रखता है। जापान, कोरिया जैसे छोटे-छोटे देश भी अपने खिलाडिय़ों पर अधिक निवेश कर रहे हैं। जापान चौथे स्थान पर है।
अमरीका और चीन के बीच तो हमेशा ही पदक तालिका में सर्वोच्च स्थान के लिए स्पर्धा रही है और लगता है कि इस बार चीन 39 गोल्ड मैडल लेकर पदक तालिका में अमरीका पर बाजी मार गया है। यह बात सही है कि हम क्रिकेट जैसे खेल में भी निवेश करते हैं परंतु उसमें केवल 15-16 देशों की ही भागीदारी होती है और इसके विपरीत ओलम्पिक खेल एक ऐसा आयोजन है जिसमें भाग लेने के लिए 200 देशों के खिलाड़ी दल आते हैं। अत: इस तरह के आयोजन में धन के पहलू पर सोचने की उतनी बात नहीं जितनी इस बात पर सोचने की है कि क्या हम प्रतियोगिता में भेजे जाने वाले अपने खिलाडिय़ों की तैयारी, प्रशिक्षण, खुराक एवं प्रोत्साहन (सपोर्ट) आदि पर सही निवेश कर रहे हैं या नहीं।
अत: इन सब तथ्यों की पृष्ठभूमि में भारतीय खेलों के कत्र्ताधत्र्ताओं को अच्छी तरह सोच-समझ कर और सब पहलुओं पर विचार करके भारतीय खेलों को आगे बढ़ाने की दिशा में कोई नीति तय करनी होगी जिसमें नए और पूर्व खिलाडिय़ों की भागेदारी अधिक और राजनीतिज्ञों की मात्र खेलों के आयोजन तक सीमित रहे। यह आशा करते हुए कि 2036 के ओलम्पिक खेल भारत में अवश्य हों परंतु उनके आने तक हमारा देश खेलों में इतना परिपक्व हो जाए कि अमरीका और चीन तथा दूसरे देशों को सफलतापूर्वक चुनौती दे सके।