नाबालिगों में बढ़ रही अपराधवृत्ति गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही

Edited By ,Updated: 03 Oct, 2022 05:37 AM

increasing criminality among minors is becoming a matter of serious concern

हाल ही में देश में किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों में एक चिंताजनक हद तक वृद्धि हुई है।

हाल ही में देश में किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों में एक चिंताजनक हद तक वृद्धि हुई है। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब किशोरों द्वारा किसी जघन्य अपराध का समाचार अखबारों में प्रकाशित न होता हो। 18-19 सितम्बर की रात को उत्तर-पूर्व दिल्ली में एक 11 वर्षीय बालक के साथ 12-13 वर्ष आयुवर्ग के 3 नाबालिगों द्वारा कुकर्म के परिणामस्वरूप पीड़ित बालक की हालत इतनी अधिक खराब हो गई कि वह 8 दिनों तक बेहोश रहा। पीड़ित बालक के परिजनों का आरोप है कि उस पर ईंटों से हमला करने के अलावा उसे टैरेस से भी नीचे धकेल दिया गया।

इस घटनाक्रम के परिणामस्वरूप न सिर्फ पीड़ित बालक की किडनी फेल हो गई बल्कि उसके शरीर में स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गईं। बच्चे का इलाज कर रहे डाक्टर का कहना है कि उसके जीवित रहने की संभावना बहुत कम है। इस बीच जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा 3 में से 2 आरोपियों को उनके माता-पिता द्वारा ‘अंडरटेकिंग’ लिखकर दे देने के बाद पुलिस बोर्ड द्वारा अस्थायी तौर पर आयु और अपर्याप्त मैडीकल सबूतों के अभाव में रिहा कर दिए जाने पर पीड़ित के परिवार ने निराशा व्यक्त की है जबकि एक को तो गिरफ्तार ही नहीं किया गया।

इस बीच 30 सितम्बर को कुछ समय पूर्व हुए हैदराबाद में जुबली हिल्स गैंग रेप केस के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 5 में से 4 नाबालिग आरोपियों पर बालिगों के रूप में मुकद्दमा चलाने का फैसला किया है जबकि इसी अपराध में शामिल एक विधायक के बेटे पर एक जुवेनाइल (किशोर) के रूप में ही मुकद्दमा चलाया जाएगा क्योंकि बोर्ड के अनुसार उसके ऊपर लगाया गया आरोप कम ‘गंभीर’ है। इन दोनों ही निर्णयों से पीड़ित पक्ष को भारी निराशा हुई है क्योंकि आम धारणा यही है कि बालिगों जैसे वीभत्स अपराध करने वालों को सजा भी उसी प्रकार दी जानी चाहिए फिर  चाहे उनकी आयु कम ही क्यों न हो।

निश्चय ही किशोरों में बढ़ रही अपराध प्रवृत्ति अत्यधिक चिंता का विषय है। ऐसे में माना जाता है कि  किशोरों में अपराध प्रवृत्ति के कई कारण हो सकते हैं जो उन्हें अपराध की दुनिया में धकेल सकते हैं या इसमें जाने के लिए उन्हें विवश कर सकते हैं। घर में हिंसा का होना या नैतिकता का अभाव भी अन्य कारण हैं। हमारे यहां शिक्षा का निम्र स्तर तथा स्कूल में खराब प्रदर्शन भी बच्चों को अपराध की दुनिया में धकेल सकते हैं। वहीं किशोरों में नशे की आदत, बुरी संगत वाले साथियों का दबाव, तुरंत पैसा पाने की चाहत और इंटरनैट पर अपराध तथा पोर्न तस्वीरों से लेकर वीडियो तक आसान पहुंच भी कुछ कारण हैं।

किशोरों के बीच इस बात का अहसास कि नाबालिग होने के कारण उन पर आपराधिक मामला नहीं चलेगा जैसी बातें भी बच्चों में आपराधिक प्रवृत्ति को जन्म देती हैं। परिवार से जुड़े मुद्दों की बात करें तो कोई भी परिवार, विशेष रूप से माता-पिता, बच्चे के विकास में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। अनुचित परिवेश किसी भी बच्चे या किशोर को अपराध करने के लिए प्रेरित कर सकता है। माना जाता है कि हिंसा ही हिंसा को जन्म देती है। अक्सर संभावित अपराधी स्वयं पहले हिंसा के शिकार होते हैं। वह परिवार हो या स्कूल कहीं पर भी इसके शिकार हो सकते हैं।

एक और कारण माना जाता है कि किशोर अपनी पहचान को पारिभाषित करने और प्रभाव जमाने की कोशिश में भी अपराध देख कर उसकी नकल करने के लिए पारिवारिक सदस्यों, अपने दोस्तों या साथियों के आपराधिक कार्यों की नकल कर सकते हैं जो पहले से आपराधिक व्यवहार में संलग्न हों। बच्चों तथा किशोरों को अपराध के लिए प्रवृत्त करने वाले कारणों में मनोवैज्ञानिक मुद्दे जैसे खराब सामाजिक-आर्थिक स्थिति, माता-पिता का उदासीन रवैया, हीनता की भावना आदि भी शामिल हैं।

उदाहरण के लिए घर या फिर आसपास के लोगों में अवसाद, भय और जटिलताएं, अत्यधिक आक्रामकता आदि यह सब नाबालिगों को अपराध करने के लिए उकसा सकते हैं। बेघर बच्चों की समस्या भी एक गम्भीर चिंता का विषय है। खराब आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों के कारण सड़कों पर रहने वाले बच्चों के अपराधी बनने का जोखिम सबसे अधिक होता है क्योंकि बेघर बच्चे किसी भी संरक्षण के अभाव में गुंडागर्दी को अपने अस्तित्व का एकमात्र तरीका मानते हैं। ऐसे में जहां ऐसे मुजरिमों को सजा देनी अत्यावश्यक और अनिवार्य है वहीं घर, स्कूल में आदर, शांति, अनुशासन और प्यार का माहौल होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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