भारत-बंगलादेश सम्बन्ध नाजुक मोड़ पर लगातार खराब हो रहे रिश्ते

Edited By ,Updated: 07 Dec, 2024 05:12 AM

india bangladesh relations are deteriorating

इस वर्ष 5 अगस्त को बंगलादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद वहां हिन्दुओं तथा अन्य अल्पसंख्यकों को मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन लगातार निशाना बना रहे हैं।

इस वर्ष 5 अगस्त को बंगलादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद वहां हिन्दुओं तथा अन्य अल्पसंख्यकों को मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन लगातार निशाना बना रहे हैं। वहां हिन्दुओं को सरकारी नौकरियों से त्यागपत्र देने को मजबूर करने के अलावा नौकरी से निकाला भी जा रहा है और ईशनिंदा के आरोप लगाकर उनके विरुद्ध केस बनाए जा रहे हैं।

इतना ही नहीं, इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं से बंगलादेश के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए कहा जा रहा है और इसके लिए सभी मंदिरों पर भारत विरोधी बैनर लगाने की मांग भी की गई है।अभी तक वहां साम्प्रदायिक हिंसा की 2000 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें 1000 के लगभग हिन्दू मारे जा चुके हैं। विश्वविख्यात धार्मिक संस्था ‘इस्कॉन’ के बंगलादेश स्थित 2 प्रमुख धार्मिक नेताओं को गिरफ्तार करके उनके विरुद्ध देशद्रोह का मामला दर्ज करने के साथ-साथ ‘इस्कॉन’ के 17 बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। 

इसी बीच वहां की अंतरिम सरकार की पाकिस्तान से नजदीकियां भी बढऩे लगी हैं। 1971 में बंगलादेश बनने के बाद इस वर्ष नवम्बर, 2024 में पहली बार पाकिस्तान का एक मालवाहक जहाज कराची से चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा। यही नहीं, अब तो पाकिस्तान विरोधी आंदोलन के जन्म स्थान ढाका यूनिवॢसटी में पाकिस्तानी छात्रों को भी प्रवेश की अनुमति दे दी गई है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार ने भी बंगलादेश के नागरिकों के लिए वीजा प्राप्त करने की प्रक्रिया आसान बना दी है।

शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद पाकिस्तान और बंगलादेश की निकटता कई स्तरों पर बढ़ रही है। वहां तख्तापलट से खुश पाकिस्तान के एक कूटनयिक अब्दुल बासित के अनुसार,‘‘शेख हसीना का सत्ता से बाहर होना पाकिस्तान के लिए अच्छा मौका है।’’ अब तो वहां इस्लामिक कानून की मांग तक उठने लगी है। बंगलादेश अपनी स्थापना के बाद 2011 में शेख हसीना की सरकार द्वारा अपनाए गए धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को भी तिलांजलि देने जा रहा है तथा अटार्नी जनरल मो. असदुज्जमां ने संविधान से ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने व शेख मुजीबुर्रहमान का राष्ट्रपिता का दर्जा समाप्त करने की मांग भी की है। 

अभी हाल ही में जहां छात्रों के दबाव में बंगलादेश के राष्ट्रपति भवन से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटा दी गई है, वहीं उनकी मूॢत को भी गिराने के अलावा अब बंगलादेश में करंसी नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटाने की तैयारी की जा रही है। बंगलादेश सैंट्रल बैंक 20, 100, 500 और 1000 टका (रुपए) के नए नोट छपवा रहा है जिनमें इसी वर्ष जुलाई के हिंसक प्रदर्शनों की तस्वीरें होंगी। हालांकि बंगलादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने सत्ता संभालते ही 90 दिनों के भीतर देश में चुनाव करवाने की बात कही थी परंतु अब उन्होंने कहा है कि हालात सामान्य होने के बाद ही चुनाव करवाए जाएंगे। 

बंगलादेश में हिन्दुओं की हत्याओं को भी उन्होंने प्रोपेगेंडा बताया है जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है वहां हिंसा की नवीनतम घटना में 3 दिसम्बर को सुमनगंज जिले में कट्टरपंथियों की भीड़ ने 100 से अधिक हिन्दुओं के मकानों में तोड़-फोड़ और लूटपाट की, पूजा स्थल तोड़ दिए और उसी दिन रात को वहां से 200 हिन्दू परिवार पलायन कर चले गए। इस बीच जहां बंगलादेश की अदालत ने शेख हसीना के किसी भी भाषण के प्रकाशन और प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं विश्व भर में बंगलादेश के हिन्दुओं और अल्पसंख्यकों पर हमलों की आलोचना की जा रही है। 

कुल मिलाकर बंगलादेश में हिन्दू समुदाय के लोगों पर हमले, हत्याएं, धार्मिक स्थानों पर तोड़-फोड़ तथा अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध अन्य हिंसक घटनाओं को लेकर विश्व समुदाय द्वारा गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है और बंगलादेश सरकार से यह हिंसा रोकने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा है। हालांकि भारत ने ही बंगलादेश को पाकिस्तान के चंगुल से आजादी दिलवाई परंतु तख्तापलट के कुछ ही महीनों के भीतर भारत के साथ उसके सम्बन्ध निचले स्तर पर आ गए हैं और बंगलादेश की अंतरिम सरकार ने कोलकाता तथा अगरतला में स्थित अपने मिशन कार्यालयों के प्रमुखों को वापस बुला लिया है। -विजय कुमार 

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