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‘भारत बना सड़क दुर्घटनाओं की राजधानी’ ‘दर्दनाक हादसों में उजड़ रहे परिवार’

Edited By ,Updated: 06 Nov, 2024 05:15 AM

india has become the capital of road accidents

भारत में प्रति वर्ष 4 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाओं के हिसाब से प्रतिदिन औसतन 1263 सड़क दुर्घटनाओं में 461 मौतें हो रही हैं।

भारत में प्रति वर्ष 4 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाओं के हिसाब से प्रतिदिन औसतन 1263 सड़क दुर्घटनाओं में 461 मौतें हो रही हैं। स्थिति की गंभीरता का अनुमान पिछले मात्र 5 दिनों की निम्न दुर्घटनाओं से लगाया जा सकता है :

  • 1 नवम्बर को हाथरस (उत्तर प्रदेश) में एक कार बेकाबू होकर गड्ढों में जा गिरी जिससे एक ही परिवार के 5 सदस्यों समेत 6 लोग मारे गए।
  • 1 नवम्बर को ही पंजाब में विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम 10 लोगों की मौत तथा आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। 
  • 1 नवम्बर को ही बदायूं (उत्तर प्रदेश) में एक टैंपो तथा ट्रैक्टर की टक्कर में एक ही परिवार के 4 सदस्यों सहित 6 लोगों की मौत हो गई।
  • 2 नवम्बर को सुंदरगढ़ (ओडिशा) जिले के ‘हेमगिर’ में एक वैन और ट्रॉलर की टक्कर में 5 लोगों की मौत तथा 5 अन्य घायल हो गए। 
  • 2 नवम्बर को ही कृष्णागिरि (तमिलनाडु)के ‘होसुर’ के निकट सड़क पार कर रहे एक मां-बेटे को तेज रफ्तार ट्रक ने कुचल डाला। 
  • 2 नवम्बर को ही रियासी (जम्मू-कश्मीर) में ‘चसाना’ के निकट एक कार दुर्घटना में 3 लोगों की मृत्यु हो गई।
  • 2 नवम्बर को ही बेंगलुरू (कर्नाटक) में नशे की हालत में वाहन चला रहे एक युवक ने सड़क पार कर रही एक महिला को रौंद डाला।
  • 4 नवम्बर को पौड़ी (उत्तराखंड) से रामनगर जा रही एक बस अलमोड़ा के मार्चूला क्षेत्र में 200 फुट गहरी खाई में जा गिरी जिससे ड्राइवर सहित 36 यात्रियों की मौत तथा 24 अन्य घायल हो गए, जिनमें से 4 की हालत गंभीर है। 42 सीटों वाली बस में 60 से अधिक यात्री सवार थे।  

इसमें घायल होने वालों ने दुर्घटना के कई संभावित कारण बताए हैं जिनमें बस में अधिक भीड़, तेज गति व तकनीकी खामियां शामिल हैं। सभी सीटें भरी होने के कारण बस में कम से कम 20 यात्री खड़े थे। 
बस के चालक द्वारा खतरनाक मोड़ पर बस मोडऩे की कोशिश के चलते कमानी का टूटना दुर्घटना का कारण बताया जा रहा है। यात्रियों के अनुसार उन्होंने टायर फटने जैसी आवाज भी सुनी और बस नीचे गिर गई। एक यात्री के अनुसार सड़क की खराब हालत भी दुर्घटना का कारण हो सकती है।

इस संबंध में जहां नैनीताल तथा अलमोड़ा के आर.टी.ओ. को निलंबित कर दिया गया है, वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उक्त दुर्घटना में अपने माता-पिता को खोने वाली तीन वर्षीय बच्ची शिवानी की पढ़ाई का खर्चा उठाने की घोषणा की है।

उक्त दुर्घटना के अगले दिन भी सड़क दुर्घटनाएं जारी रहीं जिनके दौरान : 

  • 5 नवम्बर को देहरादून (उत्तराखंड) में एक यात्री बस तथा मोटर साइकिल की आमने-सामने भिड़ंत में मोटर साइकिल सवार पिता-पुत्री की मौत हो गई जबकि 2 अन्य बच्चे घायल हो गए। 
  • 5 नवम्बर को ही रामगढ़ (झारखंड) में एक वाहन दुर्घटना में 2 महिलाओं और 1 बच्चे समेत 4 लोग मारे गए।
  • 5 नवम्बर को ही ङ्क्षभड (मध्य प्रदेश) में 2 मोटर साइकिलों की आमने-सामने टक्कर में 2 लोगों की मौत हो गई। 
  • 5 नवम्बर को ही दिल्ली में डी.टी.सी. की एक बस से कुचल कर 1 कांस्टेबल समेत 2 लोगों की मौत हो गई।
  • 5 नवम्बर को ही पंजाब में मलोट, गढ़शंकर, दसूहा और बरनाला में विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में 1 बच्ची सहित 5 लोगों की मौत हो गई।

हमारे देश में वाहनों की रफ्तार में वृद्धि के साथ दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है जिससे परिवार उजड़ रहे हैं। इसके बड़े कारणों में सड़क निर्माण में त्रुटियां, शहरी, ग्रामीण सड़कों या प्रादेशिक व राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए एक समान गति सीमा निर्धारित न होना, बसों में निर्र्धारित से अधिक संख्या में यात्री बिठाना, वाहन चालकों द्वारा शराब पीकर, मोबाइल पर बात करते हुए व बिना आराम किए लम्बे समय तक वाहन चलाना आदि शामिल  हैं।

कानून लागू करने वाली एजैंसियों द्वारा अपनी जिम्मेदारी को सही ढंग से न निभाने के कारण भी वाहन चालक लापरवाही बरतते हैं। इसके अलावा युवाओं में बढ़ रही तेज रफ्तार की चाहत भी सड़क दुर्घटनाओं में मौतों का कारण बन रही है। विदेशों में भी सड़कों पर भीड़ होती है परंतु वहां दुर्घटनाएं नहीं होतीं क्योंकि वहां लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करते हैं। अत: जहां भारत में लोगों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी देने की जरूरत है, वहीं ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की कमी पूरी करने की भी तुरंत जरूरत है। इसके साथ ही सड़कों पर जगह-जगह ‘धीरे चलें’, ‘आगे तीखा मोड़ है’, ‘दुर्घटना से देर भली’ आदि लिखे ‘चेतावनी बोर्ड’ तथा रिफ्लैक्टर भी भी लगाने चाहिए। -विजय कुमार

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