Edited By ,Updated: 22 Dec, 2022 04:39 AM

लोगों के यहां बेटे के जन्म, विवाह-शादी या खुशी के अन्य मौकों पर नाच-गा कर बधाई देने और उनसे मिलने वाली ‘बख्शीश’ के सहारे ही अपना जीवन बिताने वाले किन्नर समुदाय के सदस्य पुरातन काल से ही समाज की उपेक्षा और भेदभाव के शिकार रहे हैं।
लोगों के यहां बेटे के जन्म, विवाह-शादी या खुशी के अन्य मौकों पर नाच-गा कर बधाई देने और उनसे मिलने वाली ‘बख्शीश’ के सहारे ही अपना जीवन बिताने वाले किन्नर समुदाय के सदस्य पुरातन काल से ही समाज की उपेक्षा और भेदभाव के शिकार रहे हैं। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि 19वीं शताब्दी की शुरूआत से ही अंग्रेजों ने भारत में किन्नरों को अपना कोपभाजन बनाया था परंतु अब जैसे-जैसे समाज में चेतना आ रही है, किन्नर समुदाय राजनीति, समाजसेवा, चिकित्सा, न्याय व्यवस्था आदि विभिन्न क्षेत्रों में स्वयं को समाज का एक उपयोगी अंग सिद्ध कर रहा है।
* गत वर्ष देविका नामक 46 वर्षीय किन्नर को कर्नाटक के मैसूरू जिले की ‘सालिग्रामा ग्राम पंचायत’ की निर्विरोध प्रधान चुना गया।
* हरियाणा के जींद में ‘किन्नर समाज सेवा समिति’ पर्यावरण की रक्षा, रक्तदान करवाने आदि के लिए कार्यरत है।
* ‘अखिल भारतीय समाज सेवा सोसायटी’, शिवपुरी, लुधियाना की प्रधान गुड्डी महंत के नेतृत्व में 31 जरूरतमंद महिलाओं को हर महीने राशन दिया जा रहा है।
* महाराष्ट्र में ठाणे जिले के कल्याण में ‘ख्वाहिश फाऊंडेशन’ के नाम से किन्नरों के समूह ने जरूरतमंदों का पेट भरने का बीड़ा उठाया है।
* 2017 में देश की पहली किन्नर जज ‘जोईता मंडल’ को पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर में लोक अदालत की जज नियुक्त किया गया।
* 2018 में किन्नर एक्टीविस्ट विद्या काम्बले को नागपुर की लोक अदालत में तथा स्वाति विधान बरूआ को गुवाहाटी में जज नियुक्त किया गया।
* 2019 में मध्य प्रदेश के ‘दिव्यांग कल्याण विभाग’ सचिव की निजी सहायक के रूप में किन्नर संजना सिंह को नियुक्त किया गया।
और अब हाल ही में तेलंगाना में हैदराबाद स्थित सरकारी ‘उस्मानिया जनरल अस्पताल’ में 2 किन्नर डाक्टरों को चिकित्सा अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया गया है। किसी सरकारी अस्पताल में ट्रांसजैंडर डाक्टरों की यह पहली नियुक्ति है।
इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में बाम्बे हाईकोर्ट को बताया है कि भविष्य में किन्नर समुदाय के सदस्य भी पुलिस में कांस्टेबल पदों पर भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं तथा इनके शारीरिक परीक्षण के लिए सरकार अगले कुछ दिनों के भीतर आवश्यक मापदंड तय कर लेगी। इससे राज्य पुलिस में किन्नर समुदाय के भर्ती होने का रास्ता खुल गया है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीमकोर्ट ने 2014 में किन्नरों पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उन्हें लिंग के तीसरे वर्ग के रूप में मान्यता देने के निर्देश दिए थे। किन्नरों को यह दर्जा देने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।
सुप्रीमकोर्ट ने अपने फैसले में किन्नरों को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आरक्षण व अन्य सुविधाएं देने का केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देते हुए कहा था कि किन्नर भी देश के नागरिक हैं और उनका शिक्षा, रोजगार तथा सामाजिक स्वीकार्यता पर अन्य लोगों की भांति ही अधिकार है।
इसी कारण देश की पहली किन्नर जज ‘जोईता मंडल’ ने किन्नरों को पुलिस तथा रेलवे आदि में सरकारी नौकरी देने के लिए आरक्षण व अन्य सुविधाएं देने की मांग करते हुए कहा है कि ‘‘इन क्षेत्रों में किन्नरों को सरकारी नौकरियां देने से लोगों का उनके प्रति दृष्टिकोण बदलेगा।’’ किन्नर पुराने जमाने से ही समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे हैं। हिन्दू धर्मग्रंथों, पुराणों और मनुस्मृति आदि में भी इनका उल्लेख मिलता है। दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश के दूसरे शासक अलाऊद्दीन खिलजी का गवर्नर मलिक काफूर एक किन्नर ही था।
उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि समाज का कोई भी अंग अनुपयोगी नहीं है। अत: यदि सरकार और समाज किन्नर समुदाय के प्रति भेदभाव की भावना त्याग कर उन्हें आगे बढऩे में सहायता दें तो ये भी समाज के लिए उतने ही उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं जितने कि दूसरे लोग।—विजय कुमार