‘बच्चों के मिड-डे मील’‘में हो रही बड़े पैमाने पर हेराफेरी’

Edited By ,Updated: 21 Dec, 2024 05:07 AM

large scale fraud is taking place in the mid day meal of children

भारत के सरकारी स्कूलों में ‘मिड-डे मील स्कीम’ अर्थात ‘दोपहर का भोजन योजना’ विश्व की सबसे बड़ी नि:शुल्क खाद्य वितरण योजना है जिसकी शुरूआत 1995 में गरीब बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए की गई थी।

भारत के सरकारी स्कूलों में ‘मिड-डे मील स्कीम’ अर्थात ‘दोपहर का भोजन योजना’ विश्व की सबसे बड़ी नि:शुल्क खाद्य वितरण योजना है जिसकी शुरूआत 1995 में गरीब बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए की गई थी। तब अधिकांश राज्यों ने इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को कच्चा अनाज देना शुरू किया था परंतु 28 नवम्बर, 2002 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बच्चों को पका कर भोजन देना शुरू किया गया। एक अच्छी योजना होने के बावजूद मिड-डे मील के वितरण से जुड़े कुछ लोगों द्वारा भोजन सामग्री बच्चों तक पहुंचाने की बजाय उसमें हेराफेरी की जा रही है जिसके चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 

* 14 जनवरी को मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) में ‘पटेहरा’ स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल के पिं्रसीपल श्याम बहादुर यादव तथा अध्यापक सूर्यकांत तिवारी के विरुद्ध मिड-डे मील में घपला करने के आरोप में केस दर्ज किया गया। 
* 24 जनवरी को लखीसराय (बिहार) में ‘चनन’ गांव के सरकारी स्कूल में विभाग द्वारा मिड-डे मील के लिए भेजा गया राशन बच्चों को देने की बजाय हैडमास्टर द्वारा अपने घर ले जाने का आरोप लगाते हुए गांव वासियों ने स्कूल के अंदर धरना-प्रदर्शन किया। 
* 11 अगस्त को कोपल (कर्नाटक) की एक आंगनबाड़ी में एक शर्मनाक घटना में मीडिया में प्रचार के लिए पहले तो बच्चों को दोपहर के भोजन में अंडे परोसे गए और फिर वीडियो बनाकर तुरंत वापस उठा लिए गए। इस सिलसिले में आंगनबाड़ी के 2 कर्मचारियों को निलंबित किया गया है।  
* 20 अगस्त को जमुई (बिहार) के ‘सिकर्डी’ गांव के निवासियों ने स्थानीय सरकारी मिडल स्कूल के पिं्रसीपल को मिड-डे मील के चावल बाजार में बेचने के लिए मोटरसाइकिल पर ले जाते हुए पकड़ा। 

* 13 अक्तूबर को बरेली (उत्तर प्रदेश) में संभल के ‘आढोल’ ब्लॉक की बेसिक शिक्षा अधिकारी अलका शर्र्मा ने एक स्कूल के हैड टीचर राकेश सिंह, सहायक टीचर अब्दुर रहमान और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सचिन को मिड-डे मील के दूध में पानी मिलाने के आरोप में निलम्बित करने के अलावा रसोइए ‘प्रवेश’ को नौकरी से निकालने का आदेश दिया।  
* 20 अक्तूबर को कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) के ‘पटेरा मंगलपुर’ गांव के प्राथमिक विद्यालय का हैडमास्टर स्कूल से मिड-डे मील का एक बोरा चावल अपने घर ले जाते समय पकड़ा गया। 
* 28 अक्तूबर को सरायगढ़ (बिहार) के नारायणपुर स्थित मिडल स्कूल में मिड-डे मील के लिए रखा गया 18 बोरी चावल चुरा लिया गया। 
* 30 अक्तूबर को औरंगाबाद (बिहार) के ‘हसपुरा’ स्थित सरकारी कन्या मिडल स्कूल के हैडमास्टर का मिड-डे मील का चावल बेचने के इरादे से ले जाने का वीडियो वायरल हुआ। 
* 14 दिसम्बर को गिरिडीह (झारखंड) की ‘गावां’ डिवीजन के स्कूलों में मिड-डे मील का चावल स्कूलों में पहुंंचाने की बजाय उसे चुरा कर ले जाने के मामले में इलाके के एस.डी.एम. द्वारा ‘गावां’ के बी.ई.ओ. (ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर) तितुलाल मंडल का वेतन रोकने का आदेश जारी किया गया।

* 15 दिसम्बर को त्रिवेणीगंज (बिहार) के ‘बरहाकुरवा’ स्थित मिडल स्कूल तथा हरिजन टोला स्थित प्राइमरी स्कूल के स्टोरों के ताले तोड़ कर चोरों ने कई बोरी चावल चुरा लिया। 
* और अब 19 दिसम्बर को हाजीपुर (बिहार) के लालगंज में ‘रिखर’ स्थित सरकारी मिडल स्कूल के पिं्रसीपल ‘सुरेश सहनी’ को बच्चों को बांटे जाने वाले मिड-डे मील के अंडे चुरा कर थैले में भर कर ले जाने के आरोप में निलम्बित किया गया है।  
 हालांकि मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिïक आहार उपलब्ध कराना है परंतु इसके वितरण से जुड़े लोगों द्वारा इस अमानत में ख्यानत करना अत्यंत गंभीर मामला है। अत: बच्चों का आहार छीनने वाले ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की जरूरत है।—विजय कुमार

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