शांति के इंतजार में मणिपुर : अनेक गांव वीरान, लोगों के लिए आजीविका कमाना कठिन

Edited By ,Updated: 04 Jul, 2024 05:18 AM

manipur waiting for peace

19 अप्रैल, 2023 को मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर अपनी सिफारिशें पेश करने का निर्देश देने के विरुद्ध मैतेई और कुकी समुदायों के बीच गत वर्ष 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा अभी भी जारी है।

19 अप्रैल, 2023 को मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर अपनी सिफारिशें पेश करने का निर्देश देने के विरुद्ध मैतेई और कुकी समुदायों के बीच गत वर्ष 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा अभी भी जारी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस संघर्ष के दौरान अब तक 221 लोग मारे गए हैं और 60,000 विस्थापित हुए हैं जो अत्यंत दयनीय स्थितियों में राहत शिविरों में रह रहे हैं। किसी समय अत्यंत शांत माना जाने वाला यह राज्य आज शांति के लिए तरस रहा है। हालांकि राज्य के कुछ इलाकों में लोग अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, परंतु कई इलाकों में अभी भी तनाव व्याप्त है तथा  शाम का कफ्र्यू जारी है। अनेक गांव वीरान पड़े हैं और लोगों, विशेषकर महिलाओं के लिए आजीविका कमाना बहुत मुश्किल हो गया है। 

इस तरह के हालात के बीच ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के प्रमुख डा. मोहन भागवत ने मणिपुर में जारी जातीय टकराव पर चिंता व्यक्त करते हुए 10 जून को कहा था कि ‘‘मणिपुर की स्थिति को प्राथमिकता के आधार पर अविलम्ब सुलझाने की कोशिश करने की आवश्यकता है।’’ ‘‘हिंसा से क्षत-विक्षत यह राज्य एक वर्ष से शांति की प्रतीक्षा में है। यह आज तक जल रहा है और सहायता के लिए गुहार लगा रहा है। इस ओर कौन ध्यान देगा? हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम इसे प्राथमिकता दें।’’  और अब लोकसभा के सदस्य ए. बिमल अकोईजाम (कांग्रेस) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा संसद के संयुक्त अधिवेशन के दौरान अपने अभिभाषण में मणिपुर का कोई उल्लेख न करने पर नाराजगी व्यक्त की है। 

1 जुलाई, 2024 को देर रात संसद में अंतिम वक्ता के रूप में बोलते हुए ‘इंटर्नल मणिपुर’ से पहली बार सांसद चुने गए ए. बिमल अकोईजाम ने पिछले एक वर्ष से अधिक समय में उत्तर पूर्व के इस राज्य में राहत शिविरों में रह रहे 60,000 लोगों की दयनीय स्थिति का उल्लेख किया और कहा : 

‘‘राज्य के लोगों की पीड़ा और गुस्से ने मुझ जैसे मामूली व्यक्ति को भाजपा के कैबिनेट मंत्री को हरा कर लोकतंत्र के इस मंदिर का एक हिस्सा बना दिया है। लोगों की पीड़ा के बारे में सोचें। मैं उसी क्षण चुप हो जाऊंगा जब प्रधानमंत्री अपना मुंह खोलेंगे और राष्ट्रपति पार्टी (भाजपा) कह देगी कि मणिपुर इस देश का हिस्सा है और हम इस राज्य के लोगों की चिंता करते हैं।’’‘‘मणिपुर में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और वहां गृह युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है। राज्य भर में घूम रहे सशस्त्र लोग अपने-अपने गांवों की रक्षा के क्रम में एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। क्या भारत सरकार की कार्यसूची में मणिपुर कोई मायने नहीं रखता?’’ 

इस तरह के हालात के बीच 3 जुलाई को सुप्रीमकोर्ट ने मणिपुर की एक जेल में बंद एक विचाराधीन कैदी को कुकी समुदाय से संबंधित होने के कारण इलाज के लिए अस्पताल नहीं ले जाने के मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के विरुद्ध कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि उसे (याचिकाकत्र्ता) राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है। इस बीच लोकसभा सदस्य ए. बिमल अकोईजाम के उक्त बयान के एक दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 जुलाई को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए मणिपुर का उल्लेख किया और कहा कि :

‘‘हम मणिपुर में शांति स्थापित करने के निरंतर प्रयास कर रहे हैं। वहां 11000 एफ.आई.आर. दर्ज की गई हैं और 500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हमें स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में लगातार ङ्क्षहसा की घटनाएं कम होती जा रही हैं और शांति की बात संभव हो रही है।’’ इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, ‘‘मणिपुर की आग में घी डालने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।’’ प्रधानमंत्री द्वारा मणिपुर पर मौन तोडऩा एक अच्छा संकेत है। आशा करनी चाहिए कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस संवेदनशील राज्य में जल्द ही स्थिति सामान्य होगी और वहां के लोग पहले की तरह सुख-शांतिपूर्वक जीवन बिता सकेंगे।—विजय कुमार 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!