‘कई सांसद-विधायक आपराधिक मामलों में संलिप्त’ ‘लोगों को सुशासन कैसे मिलेगा!’

Edited By ,Updated: 23 Aug, 2024 05:08 AM

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हालांकि हमारे जन प्रतिनिधि सांसदों, विधायकों से बेदाग छवि के होने की उम्मीद की जाती है परन्तु इसके विपरीत कई माननीय आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जा रहे हैं और उनके विरुद्ध दबंगई, महिलाओं के यौन-शोषण आदि के आरोप लग रहे हैं। ऐसे ही चंद उदाहरण...

हालांकि हमारे जन प्रतिनिधि सांसदों, विधायकों से बेदाग छवि के होने की उम्मीद की जाती है परन्तु इसके विपरीत कई माननीय आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जा रहे हैं और उनके विरुद्ध दबंगई, महिलाओं के यौन-शोषण आदि के आरोप लग रहे हैं। ऐसे ही चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 15 दिसम्बर, 2023 को उत्तर प्रदेश में सोनभद्र की ‘दुद्धी’ विधानसभा सीट से भाजपा विधायक ‘राम दुलार गोंड’ को सोनभद्र की विशेष अदालत (एम.पी./एम.एल.ए.) ने एक नाबालिगा से बलात्कार करने के आरोप में 25 वर्ष कैद तथा 10 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
* 29 अप्रैल, 2024 को कर्नाटक में जद (एस.) के सुप्रीमो तथा पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के विधायक बेटे एच.डी. रेवन्ना (67) व सांसद पौत्र प्रज्वल रेवन्ना (33) के विरुद्ध उनकी घरेलू सहायिका ने यौन शोषण और ब्लैकमेल करने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई। 

* 22 मई, 2024 को केरल पुलिस की अपराध शाखा ने ‘पेरूंबेवूर’ के विधायक एवं कांग्रेस नेता ‘एल्धोस कुन्नापल्ली’ तथा उसके 2 साथियों के विरुद्ध अलग-अलग जगहों पर एक महिला के साथ कई बार बलात्कार करने और फिर झगड़ा हो जाने पर उसकी हत्या करने की कोशिश के आरोप में आरोप पत्र दाखिल किया। राजनीति में प्रभावशाली लोगों तथा जन प्रतिनिधियों द्वारा महिलाओं के उत्पीडऩ के मात्र यही मामले नहीं हैं। चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफाम्र्स’ (ए.डी.आर.) के अनुसार देश में 151 वर्तमान सांसदों और विधायकों ने अपने चुनावी हलफनामों में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से सम्बन्धित मामलों की जानकारी दी है। इनमें पश्चिम बंगाल के सांसदों तथा विधायकों की संख्या सर्वाधिक है। 

ए.डी.आर. ने 2019 तथा 2024 के बीच चुनावों के दौरान निर्वाचन आयोग को सौंपे गए वर्तमान सांसदों तथा विधायकों के 4809 हलफनामों में से 4693 हलफनामों की जांच के बाद जारी अपनी रिपोर्ट में महिलाओं से जुड़े अपराधों से सम्बन्धित मामलों का सामना कर रहे 16 सांसदों तथा 135 विधायकों को चिन्हित किया है। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं से जुड़े अपराध से सम्बन्धित आरोपों का सामना कर रहे 25 सांसदों और विधायकों के साथ पश्चिम बंगाल शीर्ष पर है जबकि इसके बाद आंध्र प्रदेश (21) तथा ओडिशा (17) का स्थान है। राजनीतिक दलों में भाजपा के सर्वाधिक 54 सांसदों और विधायकों पर महिलाओं से जुड़े अपराध के मामले दर्ज हैं। इसके बाद कांग्रेस (23)तथा तेदेपा (17) के सांसद और विधायक हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के 5-5 वर्तमान सांसद-विधायक बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। 

ए.डी.आर. ने कहा है कि ऐसे हालात में  राजनीतिक दलों को  आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को, विशेषकर जिन पर बलात्कार और महिलाओं के विरुद्ध अन्य अपराधों के आरोप हैं, उम्मीदवार बनाने से संकोच करना चाहिए। ए.डी.आर. ने मतदाताओं से भी ऐसे उम्मीदवारों को न चुनने का आग्रह करने के अलावा सांसदों और विधायकों के विरुद्ध अदालती मामलों की तेजी से सुनवाई तथा पुलिस द्वारा पेेशेवर तरीके से गहन जांच यकीनी करने का आह्वान किया है। ए.डी.आर. की उक्त रिपोर्ट में दिया गया सुझाव उचित है। यदि हमारे जनप्रतिनिधि ही ‘आपराधिक पृष्ठभूमि वाले होंगे’ तो भला उनसे जनता के हितों की रक्षा करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है! अत: राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसदों को टिकट न दें। सरकार को भी ऐसा कानून बनाने की आवश्यकता है कि जिस उम्मीदवार के विरुद्ध कोई आपराधिक केस चल रहा हो, वह अदालत द्वारा अपराधमुक्त किए जाने तक चुनाव न लड़ सके। ऐसा होने पर ही देश को सुशासन प्रदान करने वाले जनप्रतिनिधि मिल सकेंगे।—विजय कुमार 

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