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‘पर्यावरण से छेड़छाड़’ परिणामस्वरूप ‘हो रहा भारी विनाश’

Edited By ,Updated: 23 Mar, 2023 04:30 AM

massive destruction  as a result of  tampering with the environment

कुछ समय से विश्व पर प्रकृति का प्रकोप जारी है। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब दुनिया में भूकंप कहीं न कहीं न आ रहे हों।

कुछ समय से विश्व पर प्रकृति का प्रकोप जारी है। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब दुनिया में भूकंप कहीं न कहीं न आ रहे हों। गत 7 दिनों में ही पापुआ न्यू गिनी, न्यूजीलैंड, असम, अफगानिस्तान, तुर्की, न्यूजीलैंड, इक्वाडोर व भारत में विभिन्न तीव्रताओं के भूकंप आ चुके हैं और अब भी आ रहे हैं। 21 मार्च रात को अफगानिस्तान के हिन्दूकुश क्षेत्र में 6.6 तीव्रता का भूकंप आने के बाद भारत के अलावा पाकिस्तान सहित आधा दर्जन से अधिक देशों में अपेक्षाकृत लम्बे समय तक इसके झटके महसूस किए गए।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इस कारण कम से कम 12 लोगों की मौत तथा 160 से अधिक लोग घायल हुए। यही नहीं अगले दिन 22 मार्च को भी पश्चिमी दिल्ली में 2.7 तीव्रता का भूकंप आया। इससे पूर्व 6 व 20 फरवरी को तुर्की तथा सीरिया में आए भूकंपों में 50,000 लोग मारे गए और तभी वैज्ञानिकों ने निकट भविष्य में भारत, अफगानिस्तान व पाकिस्तान में भी भूकंप आने की चेतावनी दे दी थी।

भूकंप ही नहीं अन्य प्राकृतिक आपदाएं- बेमौसमी वर्षा, बाढ़, गर्मी व भूस्खलन आदि भी मानव जाति के विनाश का कारण बन रहे हैं। उत्तराखंड के जोशीमठ के बाद अब चमोली जिले के हलदापानी गांव के विकास नगर मोहल्ले में भूस्खलन से 70 मकानों के लिए खतरा पैदा हो गया है और कई मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं।

पृथ्वी की भूगर्भीय हलचलों तथा पहाड़ी ढलानों या तलहटी में चट्टानों के कटाव तथा तेज वर्षा भूस्खलन के मुख्य कारण हैं। इसके अलावा संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यावरण नियमों के विरुद्ध लगाई जा रही पनबिजली परियोजनाओं के लिए ब्लास्टिंग, सुरंगें खोदने,  सड़कें बनाने व उन्हें चौड़ी करने के लिए पहाड़ी ढलानों की कटाई आदि से भूस्खलन, जमीन धंसने, इमारतोंं में दरारें व उनके गिरने आदि की घटनाएं हो रही हैं।

इसी बीच विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यू.एम.ओ.) के अनुसार 20वीं सदी की शुरूआत से ही ग्लोबल वाॄमग के कारण समुद्र के जलस्तर में जारी वृद्धि भारत, बंगलादेश व चीन आदि के लिए खतरे का संकेत है। भारत का मुम्बई इस खतरे से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले शहरों में से एक हो सकता है।मौसम विभाग के अनुसार पर्यावरण में बदलावों के चलते इस वर्ष जून, जुलाई और अगस्त के महीनों में ‘अल नीनो’ चक्रवात की स्थिति प्रबल होने की संभावना है जिससे दुनिया भर में इस वर्ष वर्षा कम होने से भीषण गर्मी पड़ेगी।

पर्यावरण में बदलाव से होने वाली चंद ताजा घटनाएं निम्न हैं : 

  • 8 मार्च को इंडोनेशिया के ‘नतूना’ क्षेत्र में मूसलाधार वर्षा के कारण भूस्खलन से 10 लोगों की मौत और 42 लोग लापता हो गए। 
  • 8 मार्च को ही जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन के चलते एक व्यक्ति की मौत और लगभग 6 लोग घायल हो गए।
  • 14 मार्च को ब्राजील में ‘मनोस’ के पूर्वी हिस्से में भूस्खलन के परिणामस्वरूप 8 लोगों की मृत्यु हो गई।
  • 15 मार्च को इंडोनेशिया के ‘जकार्ता’ में भूस्खलन से 4 लोगों की मौत और 4 अन्य लापता हैं। इसी दिन तुर्की के 2 प्रांतों में मूसलाधार वर्षा के कारण आई बाढ़ से कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई। 
  • 17 मार्च तक अफ्रीका में पिछले 4 दिनों के दौरान चक्रवात ‘फ्रैडी’ के कारण भारी वर्षा से 326 लोगों की मौत हो गई। 
  • वैज्ञानिकों के अनुसार इंसानी भूलों की वजह से हुए जलवायु परिवर्तन से चक्रवातीय गतिविधियां अधिक भीषण हो गई हैं। 
  • 18 मार्च को पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत में बाढ़ में एक वाहन के बह जाने से उसमें सवार एक ही परिवार के 8 लोगों की जान चली गई। 
  • 18 मार्च को जलवायु परिवर्तन से हुई भारी गर्मी के कारण आस्ट्रेलिया के न्यू साऊथ वेल्स शहर की नदी में लाखों मछलियों की मौत हो गई। 

शायद ऐसे बदलावों से प्रकृति समूचे विश्व को चेतावनी दे रही है कि अब भी संभल जाओ और मुझसे छेड़छाड़ करना बंद कर दो, वर्ना तुम्हें वर्तमान से भी अधिक विनाशलीला देखने को मिलेगी। -विजय कुमार 

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