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नशा और विस्फोटकों की तस्करी का बड़ा केंद्र बनता जा रहा मिजोरम

Edited By ,Updated: 07 Mar, 2025 05:01 AM

mizoram is becoming a major center for smuggling of drugs and explosives

भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम (मिजो की भूमि) 1972 में केंद्र शासित राज्य बनाया गया और 1987 में इसे राज्य का दर्जा मिला। यह असम, त्रिपुरा और मणिपुर के साथ 325 किलोमीटर लम्बी सीमा सांझा करता है।  दो-दो अशांत देशों म्यांमार तथा बंगलादेश के साथ...

भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम (मिजो की भूमि) 1972 में केंद्र शासित राज्य बनाया गया और 1987 में इसे राज्य का दर्जा मिला। यह असम, त्रिपुरा और मणिपुर के साथ 325 किलोमीटर लम्बी सीमा सांझा करता है। दो-दो अशांत देशों म्यांमार तथा बंगलादेश के साथ इसकी क्रमश: 510 किलोमीटर तथा 318 किलोमीटर अंतर्राष्ट्रीय सीमा होने के कारण यह सामरिक दृष्टिï से अत्यंत संवेदनशील राज्य है जो पिछले कुछ समय के दौरान नशीले पदार्थों तथा विस्फोटकों की तस्करी का बड़ा केंद्र बन गया है। 19 फरवरी, 2025 को मिजोरम के राज्यपाल जनरल वी.के. सिंह ने कहा था कि यहां नशीले पदार्थों की तस्करी और दुरुपयोग आज खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है तथा पिछले 1 वर्ष के दौरान वहां नशीले पदार्थों की तस्करी के सिलसिले में 37 विदेशियों सहित 600 तस्करों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से 429 किलो नशीले पदार्थ जब्त किए गए। 

इसी तरह मिजोरम से अशांत म्यांमार और बंगलादेश को विस्फोटकों की तस्करी भी चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। गत 1 मार्च, 2025 को राज्य के ‘सिआहा’ जिले में तैनात असम राइफल्स के जवानों ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार करके उसके कब्जे से विस्फोटक पदार्थों के 86 पैकेट, सैनिक वर्दियां और गोला-बारूद के भंडार बरामद किए जो बंगलादेश भेजे जाने थे। यह इस वर्ष यहां से म्यांमार और बंगलादेश के विद्रोही गिरोहों को तस्करी करके भेजे जाने वाले विस्फोटकों की नौवीं खेप थी। वर्ष 2024 में मिजोरम से विस्फोटकों की तस्करी के 13 मामले पकड़े गए थे। इनमें 2000 किलो विस्फोटक, कम से कम 60,000 डैटोनेटर तथा 13,000 जिलेटिन की छड़ें बरामद की गई थीं परंतु इस वर्ष (2025) के पहले 2 महीनों में ही विस्फोटक पकड़े जाने की 9 घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें 1150 किलो विस्फोटक, 15,270 डैटोनेटर तथा 6030 जिलेटिन की छड़ें शामिल हैं। इस संबंध में अब तक 27 भारतीय नागरिकों तथा 4 म्यांमार के नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि मिजोरम में इस वर्ष विस्फोटकों की तस्करी के धंधे में कितनी तेजी आ चुकी है। 
तस्कर आमतौर पर खनन में इस्तेमाल के लिए विस्फोटक बेचने वाले लाइसैंसशुदा डीलरों से ये विस्फोटक प्राप्त करते हैं, लेकिन इनका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। 

असम राइफल्स के अधिकारियों के अनुसार उनकी मिजोरम शाखा पिछले 6 महीनों के दौरान कई बार राज्य सरकार को इन विस्फोटकों के  गलत हाथों में जाने और म्यांमार के विद्रोही गुटों को बेचने के संबंध में लिख चुकी है। अधिकारियों ने अंतिम पत्र गत मास लिखा था जिसमें कहा गया था कि व्यापारियों द्वारा विस्फोटकों की बिक्री की जांच करने की फौरन जरूरत है। इस अधिकारी ने इससे भी बड़े एक खतरे का उल्लेख करते हुए कहा कि म्यांमार तथा बंगलादेश को तस्करी किए जाने वाले ये विस्फोटक वापस भारतीय आतंकवादी और उग्रवादी गिरोहों को भेजे जा सकते हैं। यदि सीमा पार के गिरोहों को विस्फोटकों की बिक्री और दुरुपयोग जारी रहा तो इनका भारत में सक्रिय विद्रोही गिरोहों तक पहुंचना कुछ समय की ही बात है। आमतौर पर जब्त किया जाने वाला विस्फोटक ‘न्योजैल 90’ है जिसका इस्तेमाल ‘इंडियन मुजाहिद्दीन’ जैसे गिरोहों ने 2007 में हैदराबाद और 2008 के जयपुर धमाकों में किया था। वर्ष 2020 में कश्मीर के ‘करेवा’ क्षेत्र में संदिग्ध आतंकवादियों के अड्डे से भी यही विस्फोटक बरामद किया गया था। अधिकारियों के अनुसार राष्ट्रीय जांच एजैंसी ने पहली बार 2022 में  बताया था कि स्थानीय तस्कर गिरोह म्यांमार में विद्रोही गिरोहों को इन विस्फोटकों की सप्लाई कर रहे हैं। उसके बाद से यह बुराई बढ़ती ही गई है। लिहाजा इस पर निगरानी बढ़ाने तथा भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के काम में तेजी लाने तथा विस्फोटकों की तस्करी रोकने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाने की तुरंत जरूरत है।—विजय कुमार     

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