उत्तर प्रदेश ‘सत्संग में’ 116 से अधिक ‘श्रद्धालुओं की मौत’

Edited By ,Updated: 03 Jul, 2024 05:37 AM

more than 116 devotees died in uttar pradesh  satsang

दर्जनों धर्मों, मत-मतांतरों और भाषाओं वाले भारत देश में आयोजित होने वाले धार्मिक उत्सवों और समारोहों में पुरातन काल से ही हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते आ रहे हैं। लोगों में ऐसे तीर्थ स्थानों पर ‘जल्दी आओ और जल्दी वापस चले जाओ’...

दर्जनों धर्मों, मत-मतांतरों और भाषाओं वाले भारत देश में आयोजित होने वाले धार्मिक उत्सवों और समारोहों में पुरातन काल से ही हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते आ रहे हैं। लोगों में ऐसे तीर्थ स्थानों पर ‘जल्दी आओ और जल्दी वापस चले जाओ’  रुझान के कारण भगदड़ मचने से बड़ी संख्या में अनमोल जानें मौत के मुंह में जाने लगी हैं : 

* 3 फरवरी, 1954 को स्वतंत्रता के बाद प्रयागराज में लगे प्रथम महाकुम्भ में मची भगदड़ में 800 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
* 27 अगस्त, 2003 को महाराष्ट्र में नासिक कुंभ के दौरान मची भगदड़ में 40 श्रद्धालुओं के प्राण चले गए।
* 15 जनवरी, 2011 को केरल के इडुक्की जिले के ‘पुलमेडू’ स्थित सबरीमाला मंदिर के निकट मची भगदड़ में कम से कम 104 लोगों की मौत और 50 लोग घायल हो गए। 
* 10 फरवरी, 2013 को प्रयागराज महाकुम्भ में मची भगदड़ में 26 पुरुषों, 9 महिलाओं और 1 बच्चे सहित 36 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई तथा लगभग इतने ही बुरी तरह घायल हो गए। 
* 14 जुलाई, 2015 को आंध्र प्रदेश में राजा मुंदरी में गोदावरी नदी के किनारे पुष्करालु उत्सव के दौरान मची भगदड़ में अनेक लोगों के घायल होने के अलावा 27 लोगों की जान चली गई।
* 10 अगस्त, 2015 को झारखंड के देवघर स्थित ‘वैद्यनाथ धाम’ में एक धार्मिक समारोह में मची भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई। 
* 1 जनवरी, 2022 को जम्मू-कश्मीर में कटरा स्थित वैष्णो माता के मंदिर में नववर्ष की प्रथम रात्रि को 2 से 3 बजे के बीच मनोकामना भवन के निकट अचानक भगदड़ मच जाने के कारण कम से कम 12 श्रद्धालुओं की मौत हो गई तथा 14 घायल हो गए। और अब 2 जुलाई, 2024 को उत्तर प्रदेश में हाथरस के थाना ‘सिकंदरा राऊ’ क्षेत्र के गांव ‘रती भानपुर फुलरई’ में एक स्वयंभू ‘भोले बाबा’ उर्फ ‘नारायण साकार हरि’ के प्रवचन-सत्संग में अचानक मची भगदड़ के कारण कम से कम 116 श्रद्धालुओं की मृत्यु तथा अनेक श्रद्धालु घायल हो गए। सत्संग में 80,000 से अधिक लोगों की भीड़ थी। 

सत्संग के लिए जो पंडाल बनाया गया था उसका निकास द्वार संकरा था और लगातार वर्षा के कारण वहां दलदल हो चुकी थी। प्रवचन समाप्त होने के बाद ‘भोले बाबा’ उर्फ ‘नारायण साकार हरि’ के पैर छू कर आशीर्वाद लेने के लिए श्रद्धालु उसकी गाड़ी के पीछे भागे, जिस वजह से भगदड़ मची जिससे लोग सड़क के किनारे दलदल में गिरने लगे और पीछे वाले लोग उन्हें रौंदते चले गए। यह आयोजन ‘मानव मंगल सद्भावना समागम समिति’ की ओर से किया गया जिसके संबंध में हाथरस में जगह-जगह पोस्टर लगाए गए थे। इस बीच प्रशासन ने आयोजकों के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कर ली है जबकि ‘बाबा’ फरार है।एटा जिले के ‘पटियाली’ के गांव ‘बहादुरनगर’ में जन्मे सूरज सिंह पाल ने उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी छोड़ कर सत्संग शुरू किया और कुछ समय बाद वह ‘साकार विश्व हरि भोले बाबा’ कहलाने लगा। 

उसने ‘पटियाली’ में अपना आश्रम बना लिया। गरीब एवं वंचित समाज में तेजी से प्रभाव बनाने वाले ‘भोले बाबा’ के अनुयायियों की संख्या लाखों में है जो उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में फैले हुए हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व डी.जी.पी. विक्रम सिंह ने कहा है वहां सुरक्षा के इंतजाम अपर्याप्त थे। ‘बाबा’ के विरुद्ध यौन शोषण के आरोप सहित अनेक अपराध दर्ज हैं।जब भी इस तरह की घटना होती है तो सरकार जांच कमेटी आदि के गठन तथा पीड़ितों को राहत राशि देने की घोषणा कर देती है। उक्त घटना में भी सरकार ने मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपए तथा घायलों को 50-50 हजार रुपए देने की घोषणा कर दी है। सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक समिति भी गठित कर दी है परंतु आवश्यकता इस बात की है कि यदि आयोजन स्थल पर प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुई है तो उसके विरुद्ध और यदि  कार्यक्रम के आयोजकों की ओर से लापरवाही बरती गई है तो उनके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए।-विजय कुमार

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!