Edited By ,Updated: 09 May, 2017 10:40 PM
हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए नक्सलवाद आज आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बन चुका है जिस कारण 20 वर्षों में देश में 12,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं ...
हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए नक्सलवाद आज आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बन चुका है जिस कारण 20 वर्षों में देश में 12,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और इस पर काबू पाने में हमारी सरकारें विफल रही हैं।
गत 24 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए भयानक नक्सली हमले में 25 जवानों की शहादत के बाद अंतत: अब न सिर्फ सरकार ने अपनी नक्सल विरोधी नीति में बदलाव का निर्णय किया है बल्कि सी.आर.पी.एफ. के ‘स्ट्रैटेजिक कमांड’ को कोलकाता से छत्तीसगढ़ स्थानांतरित कर दिया है।
इसके साथ ही नक्सलवाद से निपटने के तरीके तलाशने के लिए नई दिल्ली में 8 मई को नक्सलवाद प्रभावित 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई जिसमें बोलते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संभवत: पहली बार इस समस्या के समाधान के लिए ‘आक्रामक दृष्टिïकोण’ अपनाने पर बल दिया है।
उन्होंने कहा कि ‘एक मकसद के लिए एकजुटता’ (यूनिटी ऑफ पर्पस) तथा ‘आक्रामक नीति’ ही ऐसे दो मंत्र हैं जिन्हें अपनाकर देश में व्याप्त वामपंथी आतंकवाद से मुक्ति पाई जा सकती है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘केवल गोलियों से ही इस समस्या का हल संभव नहीं है अत: हमें अपनी नीति, विचारधारा, रणनीति, सेनाओं की तैनाती, कार्रवाई और नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण सहित विकास की गति बढ़ाने के लिए आक्रामक नीति अपनानी होगी।’’
इसके लिए उन्होंने 8 सूत्रीय समाधान फार्मूला पेश करते हुए कहा, ‘‘स्मार्ट लीडरशिप, अग्रैसिव स्ट्रैटजी, मोटीवेशन एंड ट्रेङ्क्षनग, एक्शन एबल इंटैलीजैंस, डैशबोर्ड बेस्ड परफार्मैंस इंडीकेटर्स, हारनैसिंग टैक्नोलाजी, एक्शन प्लान एवं नो एक्सैस टू फाइनैंसिंग से ही इस समस्या का समाधान हो सकेगा।’’
चूंकि धन किसी भी युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा इसके बिना कुछ भी खरीद पाना संभव नहीं होता अत: वामपंथी आतंकवादियों की आय के साधन रोकना सर्वाधिक आवश्यक है।
इसके अलावा सुरक्षा बलों के शस्त्रास्त्र को ‘लोकेशन ट्रैकर’ तथा ‘बायोमीट्रिक’ प्रणाली से लैस किया जाएगा ताकि वे सुरक्षा बलों से लूटे हुए हथियारों का इस्तेमाल न कर सकें। उन्होंने सुरक्षा बलों के सदस्यों के जूतों एवं बुलेट प्रूफ जैकेटों में भी लोकेशन ट्रैकर लगाने की आवश्यकता पर बल दिया।
नक्सली ठिकानों का पता लगाकर उन्हें ध्वस्त करने के लिए मानव रहित विमानों (यू.ए.वी.) का समुचित इस्तेमाल न होने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने अधिकाधिक मानव रहित विमानों और सैटेलाइट से प्राप्त चित्रों के इस्तेमाल पर बल देते हुए नक्सलियों के विरुद्ध कार्रवाई में शामिल सुरक्षा बलों की प्रत्येक इकाई को मानव रहित विमानों से लैस करने की बात भी कही!
इसी सम्बन्ध में सुकमा में छापामार युद्ध में माहिर कोबरा बटालियन के 2,000 कमांडोज तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त डॉग स्क्वायड जल्द ही तैनात करने का फैसला कर लिया गया है।एक ओर तो केंद्र सरकार नक्सलवादियों के विरुद्ध ‘आक्रामक कार्य योजना’ पर विचार कर रही है तो दूसरी ओर नक्सलवादी अपने संगठन में बदलती हुई स्थिति के अनुसार लगातार बदलाव कर रहे हैं। एक वरिष्ठï सी.आर.पी.एफ. अधिकारी के अनुसार, ‘‘जितना हम नक्सलवादियों की चाल के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं उससे अधिक वे हमारी रणनीति के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।’’
‘‘2015 के बाद से माओवादियों ने अपने शस्त्रागार को काफी उन्नत कर लिया है और इसमें उन्होंने ‘विस्फोटक’ तीर, मोर्टार और देसी रॉकेट शामिल कर लिए हैं। हाल ही में सुकमा में किए गए हमले में भी नक्सलियों ने क्रूड रॉकेटों, मोर्टारों और विस्फोटक तीरों का इस्तेमाल किया था।’’
उक्त रहस्योद्घाटनों से स्पष्टï है कि देश के बड़े हिस्से में गहरी जड़ें जमा चुकी नक्सलवादी समस्या को आसानी से समाप्त कर पाना संभव नहीं है। लिहाजा जिस प्रकार श्रीलंका सरकार ने सेना का इस्तेमाल करके मात्र 6 महीनों में ही अपने देश से लिट्टïे आतंकवादियों का सफाया कर दिया, उसी प्रकार भारत सरकार को भी अब फौलादी हाथों से इस समस्या से निपटना चाहिए। इस दिशा में नक्सलियों के विरुद्ध आक्रामक नीति अपनाना तथा सुकमा में 2,000 कोबरा कमांडो तैनात करने का फैसला सही है बशर्ते इसे सही अर्थों में यथाशीघ्र लागू किया जाए। —विजय कुमार