Edited By ,Updated: 07 Jun, 2024 05:31 AM
देश में भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें इस कदर जमा रखी हैं कि आम जनता के लिए चंद सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दिए बिना काम करवाना मुश्किल हो गया है जिनमें पुलिस विभाग भी शामिल है। गुजरात से भाजपा के राज्यसभा सांसद ‘राम भाई मोकरिया’ ने 30 मई, 2024 को स्वीकार...
देश में भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें इस कदर जमा रखी हैं कि आम जनता के लिए चंद सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दिए बिना काम करवाना मुश्किल हो गया है जिनमें पुलिस विभाग भी शामिल है। गुजरात से भाजपा के राज्यसभा सांसद ‘राम भाई मोकरिया’ ने 30 मई, 2024 को स्वीकार किया कि ‘‘राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ गया है और कोई भी अधिकारी तब तक काम नहीं करता जब तक उसकी जेब गर्म न की जाए। मुझे भी ‘फायर एन.ओ.सी.’ के लिए 70,000 रुपए रिश्वत देनी पड़ी थी।’’ यह केवल गुजरात की ही नहीं पूरे देश की कहानी है। पहले तो सरकारी अधिकारी और कर्मचारी नकद रकम अथवा वस्तुओं आदि के रूप में ही रिश्वत लिया करते थे, परंतु अब उन्होंने ‘यू.पी.आई.’ और ‘गूगल पे’ जैसे धन हस्तांतरण के माध्यमों के साथ-साथ किस्तों (‘ई.एम.आई.’) द्वारा भी रिश्वत लेनी शुरू कर दी है।
* 20 मई को लुधियाना में विजीलैंस ब्यूरो की टीम ने नगर निगम जोन-ए में तैनात एक क्लर्क को ‘गूगल पे’ के जरिए 2500 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया।
* 28 मई को भ्रष्टाचार निरोधक टीम ने बदायूं के थाना इस्लाम नगर की इंस्पैक्टर सिमरनजीत कौर को 50,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा।
* 5 जून को विजीलैंस विभाग ने नगर कौंसिल मानसा में तैनात जे.ई. जतिंदर सिंह को एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
* 6 जून को विजीलैंस ब्यूरो ने थाना घड़ूंआं, एस.ए.एस. नगर में तैनात हवलदार मनप्रीत सिंह को 2500 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया।
इन दिनों लोगों के मकान, वाहन अथवा कोई अन्य महंगी वस्तु एकमुश्त अदायगी करके खरीदने में असमर्थ होने पर विभिन्न कंपनियों द्वारा उसकी कीमत किस्तों (‘ईक्वेटेड मंथली इंस्टालमैंट’ यानी ‘ई.एम.आई.’) में अदा करके महंगा सामान खरीदने की सुविधा प्रदान की जाती है। इसी तर्ज पर भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने रिश्वत देने वालों पर एक ही बार रिश्वत की रकम देने का अधिक बोझ न पड़े इसलिए अब ‘ईक्वेटेड मंथली इंस्टालमैंट’ (‘ई.एम.आई.’) द्वारा रिश्वत लेनी शुरू कर दी है जैसे कि वे रिश्वत देने वाले पर एहसान कर रहे हों।गुजरात भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक व डी.जी.पी. (कानून व्यवस्था) शमशेर सिंह के अनुसार इस वर्ष किस्तों में रिश्वत के लेन-देन के कई मामले सामने आए हैं और यह तरीका काफी लोकप्रिय हो रहा है।
* इसी वर्ष मार्च में स्टेट जी.एस.टी. फर्जी बिलिंग घोटाले में एक व्यक्ति से 21 लाख रुपए रिश्वत मांगी गई। इस रकम को 2-2 लाख रुपए की 10 और एक लाख रुपए की एक ‘ई.एम.आई.’ में बांटा गया ताकि रिश्वत देने वालों को कठिनाई न हो।
* 4 अप्रैल को सूरत में एक डिप्टी सरपंच और तालुका पंचायत सदस्य ने गांव के ही एक व्यक्ति से किसी काम के एवज में 85,000 रुपयों की रिश्वत मांगी, परंतु उसकी आॢथक स्थिति ठीक न होने के कारण आरोपियों ने उस पर ‘दया’ करके उसे ‘ई.एम.आई.’ का विकल्प दिया, जिसके अंतर्गत उसे 35,000 रुपए पहले और बाकी रकम तीन किस्तों में अदा करने की ‘सुविधा’ प्रदान की गई।
* गुजरात के साबरकांठा में भी 2 भ्रष्टï पुलिस कर्मियों ने एक व्यक्ति से तयशुदा 10 लाख रुपए रिश्वत में से 4 लाख रुपए की रिश्वत की पहली किस्त ली और चंपत हो गए।
* एक अन्य मामले में एक साइबर क्राइम पुलिस अधिकारी ने एक व्यक्ति से 10 लाख रुपए रिश्वत मांगी। उसने इन 10 लाख रुपयों को अढ़ाई-अढ़ाई लाख रुपयों की चार किस्तों में बांट दिया।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक और डी.जी.पी. (कानून व्यवस्था) शमशेर सिंह के अनुसार ये उदाहरण तो नमूना मात्र हैं क्योंकि अभी तक एजैंसी उन्हीं मामलों को ही पकड़ पाई है जिनमें पीड़ित लोगों ने स्वयं आकर उनसे संपर्क साधा जबकि ऐसे मामलों की संख्या अधिक हो सकती है। ऐसा करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को कठोर और शिक्षाप्रद दंड देने की आवश्यकता है, ताकि दूसरों को भी इससे सबक मिले और वे रिश्वत के नाम से भी डरने लगें।—विजय कुमार