Edited By ,Updated: 08 Oct, 2024 04:53 AM
भारत दुनिया में चौथा सबसे युवा देश माना जाता है परंतु संयुक्त राष्ट्र की ‘इंडिया एजिंग रिपोर्ट-2023’ ने देश के लिए चिंता बढ़ा दी है।
भारत दुनिया में चौथा सबसे युवा देश माना जाता है परंतु संयुक्त राष्टï्र की ‘इंडिया एजिंग रिपोर्ट-2023’ ने देश के लिए चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1961 से 2001 तक बुजुर्गों की आबादी बढऩे की रफ्तार कम रही परंतु उसके बाद इसमें तेजी से वृद्धि शुरू हो गई है। 2050 तक देश में कुल आबादी के 20.8 प्रतिशत अर्थात 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लगभग 35 करोड़ बुजुर्ग होंगे जिनकी संख्या इस समय 10 प्रतिशत के आसपास है। इसका मतलब यह हुआ कि वर्ष 2050 तक भारत में हर 100 में से 21 लोग बूढ़े होंगे।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिलाओं की औसत आयु पुरुषों से अधिक होने के कारण भविष्य में देश में विधवा महिलाओं की संख्या अधिक होगी इसलिए सामाजिक, आॢथक नीतियों पर ध्यान देने की जरूरत है। इस बीच स्टेट बैंक की रिपोर्ट ‘इंडियाज ईको रैप’ में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बुजुर्गों की आबादी में 2011 से 2024 के बीच उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हिमाचल में 2011 में बुजुर्गों की आबादी 10.2 प्रतिशत थी जो 2024 में बढ़कर 13.1 प्रतिशत हो गई। इसी प्रकार पंजाब में यह 2011 में 10.3 प्रतिशत से बढ़कर 12.6 प्रतिशत तथा हरियाणा में 2011 में 8.7 प्रतिशत से बढ़ कर 2024 में 9.8 प्रतिशत हो गई।
विशेषज्ञों के अनुसार बुजुर्गों की आयु में वृद्धि के अनुपात में उनके स्वास्थ्य, विशेषकर पुरानी बीमारियों के लिए देखभाल सेवाओं में वृद्धि नहीं हुई तथा पंजाब व हिमाचल में बुजुर्गों की देखभाल के लिए डाक्टरों और विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी एक चुनौती बन रही है। हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञों की 96.68 प्रतिशत कमी है तथा स्वीकृत 392 विशेषज्ञों की तुलना में केवल 13 विशेषज्ञ ही उपलब्ध हैं। पंजाब के शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञों के 336 स्वीकृत पदों के मुकाबले में केवल 119 विशेषज्ञ ही काम कर रहे हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 55 विशेषज्ञ ही उपलब्ध हैं।
इस पृष्ठïभूमि में ‘इंडियन डाक्टर्स फार पीस एंड डिवैल्पमैंट’ के डा. इंद्रवीर गिल का कहना है कि बुजुर्ग आबादी बहुत असुरक्षित है और उन्हें सरकारी सहायता की आवश्यकता है। अधिकांश बुजुर्गों के पास वित्तीय स्वतंत्रता नहीं होने के कारण उनके इलाज के लिए होने वाले खर्चों को कम करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए डाक्टरों की संख्या, बुनियादी ढांचे और उपकरणों को बढ़ाकर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना, स्वास्थ्य बीमा कवरेज का विस्तार करना और मुफ्त सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना भी जरूरी है।
वर्तमान स्वास्थ्य प्रणाली बुजुर्गों की बढ़ती जरूरतें पूरी करने में नाकाफी है। वैसे भी 60 वर्ष की आयु के बाद सरकार द्वारा बुजुर्गों के स्वास्थ्य की सामान्य जांच करके उन्हें विभिन्न रोगों के प्रकोप से बचाने के लिए शरीर के लिए जरूरी सप्लीमैंट्स दिए जाने चाहिएं। जीवन की संïध्या में बुजुर्गों को उचित देखभाल मिले और वे देश के लिए उपयोगी नागरिक सिद्ध हो सकें, इसके लिए डा. इंद्रवीर गिल के सुझावों पर तुरंत अमल करने की जरूरत है। -विजय कुमार