Edited By ,Updated: 16 Dec, 2024 04:58 AM
भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के समय से ही तनाव चला आ रहा है। जहां शुरू से ही पाकिस्तान के शासकों ने भारत के विरुद्ध प्रत्यक्ष या छद्म युद्ध छेड़ रखा है और जम्मू-कश्मीर में अपने पाले आतंकवादियों से लगातार ङ्क्षहसा करवा रहा है, वहीं अब उसके द्वारा...
भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के समय से ही तनाव चला आ रहा है। जहां शुरू से ही पाकिस्तान के शासकों ने भारत के विरुद्ध प्रत्यक्ष या छद्म युद्ध छेड़ रखा है और जम्मू-कश्मीर में अपने पाले आतंकवादियों से लगातार हिंसा करवा रहा है, वहीं अब उसके द्वारा भारत के लिए एक नई सिरदर्दी पैदा किए जाने की आशंका पैदा हो गई है।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्टï्र सुरक्षा परिषद (यू.एन.एस.सी.) के अनेक सदस्य 1 जनवरी, 2025 से बदलने जा रहे हैं और 2 वर्ष के लिए परिषद में पाकिस्तान सहित कुछ अस्थायी सदस्यों की एंट्री होने वाली है। 2025-26 के लिए चुने गए सदस्यों में डेनमार्क, ग्रीस, पाकिस्तान, पनामा और सोमालिया हैं जो 31 दिसम्बर को रिटायर होने वाले इक्वाडोर, जापान, माल्टा, मोजाम्बिक और स्विट्जरलैंड का स्थान लेंगे जबकि नए सदस्यों में अल्जीरिया, गुआना, कोरिया गणराज्य, सियरालियोन और स्लोवानिया हैं जो वर्तमान अस्थायी सदस्य हैं।
यू.एन.एस.सी. में पाकिस्तान की यह 8वीं पारी होगी जो पाकिस्तान के पिछले इतिहास को देखते हुए भारत के लिए परेशानी वाली हो सकती है। इसका एक कारण यह भी है कि परिषद में आने वाले नए सदस्यों में आधे से अधिक सदस्य ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ (ओ.आई.सी.) से हैं जो अतीत में कई मौकों पर पाकिस्तान को लाभ पहुंचाते रहे हैं।
एक ओर पाकिस्तान को परिषद में इन देशों का समर्थन मिलेगा तो दूसरी ओर चीन इसके साथ होगा जिसे पाकिस्तान एशिया में अपना सबसे पक्का दोस्त बताता है। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार इस तरह के हालात में शुरू से ही अपने भारत विरोधी रवैये के लिए विख्यात पाकिस्तान हर तरह से भारत के मामलों में टांग अड़ाने की कोशिश करेगा जिनमें कश्मीर और धारा 370 को रद्द करने का मामला भी शामिल है। वह भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि का मुद्दा भी उठा सकता है। यही नहीं, कई मामलों पर पाकिस्तान को रूस का साथ भी मिल सकता है। इस तरह के हालात में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि परिषद में भारत को पाकिस्तान के तीखे तेवरों के लिए तैयार रहना चाहिए।