Edited By ,Updated: 09 Mar, 2025 04:22 AM

आज के वैज्ञानिक युग में भी अंधविश्वास और जादू-टोने लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं और इनके जाल में फंस कर लोग तबाह हो रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग तंत्र-मंत्र, अंधविश्वासों, वहमों-भ्रमों व टोने-टोटकों में पड़ कर अपने आप को तबाह कर रहे हैं, यह...
आज के वैज्ञानिक युग में भी अंधविश्वास और जादू-टोने लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं और इनके जाल में फंस कर लोग तबाह हो रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग तंत्र-मंत्र, अंधविश्वासों, वहमों-भ्रमों व टोने-टोटकों में पड़ कर अपने आप को तबाह कर रहे हैं, यह पिछले मात्र एक महीने के दौरान सामने आई निम्न घटनाओं से स्पष्ट है :
* 7 फरवरी को ‘कैमूर’ (बिहार) में एक 55 वर्षीय महिला ‘मुन्नी कंवर’ सहित 5 लोगों को एक 2 वर्ष के बालक की गला घोंट कर हत्या करने और उसकी टांगें काटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आरोपी महिला ने स्वीकार किया कि उन लोगों ने यह अपराध एक तांत्रिक की इस सलाह पर किया कि ऐसा करने से उसकी बेऔलाद बेटी को संतान प्राप्त हो जाएगी।
* 26 फरवरी को ‘अमरावती’ (महाराष्ट्र) जिले के ‘सिमौरी’ गांव में 22 दिन के बीमार नवजात शिशु को उसके घर वालों ने डाक्टर के पास ले जाने की बजाय अंधविश्वास के प्रभाव में घरेलू इलाज के दौरान ‘गर्म दरांती’ से 65 बार दाग दिया जिससे बच्चा ठीक होने की बजाय बुरी तरह झुलस गया और उसकी मौत हो गई।
* 1 मार्च को ‘धनबाद’ (झारखंड) जिले के ‘टुंडी’ गांव में कुछ दबंगों ने 5 महिलाओं को ‘डायनें’ करार देने के बाद बुरी तरह मारपीट की और गाली-गलौच करके परिवार सहित गांव से बाहर निकाल दिया। इस सिलसिले में पुलिस ने 16 दबंगों के विरुद्ध केस दर्ज किया है।
पीड़ित महिलाओं के अनुसार उनके घर के आसपास 2 लोग बीमार थे। एक ‘ओझा’ ने पूरे गांव में यह अफवाह फैला दी कि ये पांच महिलाएं ‘डायनें’ हैं जिनके जादू-टोने से लोग बीमार हो रहे हैं। इसी पर कुछ दबंगों ने यह अमानवीय कदम उठाया।
* 2 मार्च को ‘पश्चिम सिंहभूम’ (झारखंड) के ‘चिमीसाई’ गांव में बैंड बाजा और बारात सहित धूमधाम से एक 11 माह की बच्ची की एक कुत्ते से शादी करवाई गई और बारातियों को दावत भी दी गई।
उल्लेखनीय है कि यहां की एक जनजाति में लड़की के दांत के ऊपर दांत (कुकुर दांत) को अशुभ माना जाता है और जिस लड़की को ‘कुकुर दांत’ होता है, उसके अपशकुन को टालने के लिए उसकी शादी एक विशेष पर्व के दौरान कुत्ते से करने की परम्परा है।
* 3 मार्च, 2025 को नवरंगपुर (ओडिशा) जिले के ‘फुंडेलपाड़ा’ गांव में एक बीमार बच्चे के इलाज के नाम पर उसके घर वालों ने उसे लोहे की गर्म छड़ से 40 बार दाग दिया जिससे बालक की हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ गई तथा उसकी मौत हो गई।
* 7 मार्च को ‘खंडवा’ (मध्य प्रदेश) में वन विभाग के कर्मचारियों ने ‘सागौन’ की लकड़ी की तस्करी करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया जिसके दौरान यह खुलासा हुआ कि तस्करी के लिए लकड़ी काटने की शुरूआत करने से पहले गिरोह के सदस्य जंगली छिपकली (मॉनिटर लिजर्ड) के प्राइवेट पार्ट (जननांग) की पूजा करते हैं। इनका मानना है कि इससे तस्करी के लिए लकड़ी काटने और ले जाने में कोई बाधा नहीं आएगी और पकड़े जाने का खतरा भी कम होगा।
* 7 मार्च को ही गोवा में ‘बाबा साहेब अलार’ और उसकी पत्नी ‘पूजा’ को एक तांत्रिक की सलाह पर अपनी परेशानियां समाप्त करने के लिए अपने पड़ोस की 5 वर्षीय बच्ची की बलि देने और शव को अपने घर के पिछवाड़े में दफनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया ।
उक्त उदाहरणों से स्पष्टï है कि आज भी देश के कई इलाकों में लोग आंखें मूंद कर झाड़-फूंक, टोने-टोटकों और दकियानूसी रीति-रिवाजों के जंजाल में फंसे हुए हैं। इससे बढ़कर विडम्बना क्या होगी कि आज के बदले हुए दौर में भी लोग अंधविश्वासों के चक्कर में पड़ कर ऐसे जघन्य काम कर रहे हैं जिनसे लोगों को अपने प्राणों तक से हाथ धोना पड़ रहा है। अत: समाज के प्रबुद्ध वर्ग को लोगों को अज्ञान और अंधविश्वासों के इस अंधकार से बाहर निकालने के लिए आगे आना चाहिए।—विजय कुमार