Edited By ,Updated: 19 Jul, 2024 05:22 AM
भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नैटवर्क है। सार्वजनिक परिवहन होने के नाते इसके सस्ता और सुरक्षित होने की अपेक्षा की जाती है परंतु लगातार किराए बढ़ाने के बावजूद सुविधाओं और सुरक्षा के मामले में अक्सर रेलवे में लापरवाही के मामले सामने आते...
भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नैटवर्क है। सार्वजनिक परिवहन होने के नाते इसके सस्ता और सुरक्षित होने की अपेक्षा की जाती है परंतु लगातार किराए बढ़ाने के बावजूद सुविधाओं और सुरक्षा के मामले में अक्सर रेलवे में लापरवाही के मामले सामने आते रहते हैं। गत मास 17 जून को बिहार में ‘कंचनजंगा एक्सप्रैस’ रेल दुर्घटना, जिसमें 14 यात्री मारे गए थे, के बाद से पिछले मात्र 2 सप्ताह में निम्न रेल दुर्घटनाएं हो चुकी हैं :
* 2 जुलाई को अम्बाला-दिल्ली ट्रैक पर ‘तरावड़ी’ रेलवे स्टेशन के निकट चलती मालगाड़ी से 9 कंटेनर गिरने के परिणामस्वरूप 4 पहिए ट्रैक से उतर गए और 3 किलोमीटर तक का ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया।
* 4 जुलाई को जालंधर से जम्मू-तवी जा रही मालगाड़ी कठुआ से 2 किलोमीटर पहले खराब हो गई। बताया जाता है कि माधोपुर रेलवे स्टेशन को क्रॉस करने के दौरान चढ़ाई के कारण इंजन आगे नहीं चढ़ पाया और ड्राइवर ने नीचे उतर कर देखा तो पहिए स्लिप कर रहे थे।
* 6 जुलाई को नासिक और मुम्बई के बीच चलने वाली ‘पंचवटी एक्सप्रैस’ के डिब्बे ठाणे के ‘कसारा’ में इंजन से अलग हो गए।
* 12 जुलाई को बिहार के पटना जिले में दानापुर मंडल के ‘दनियावां’ स्टेशन के निकट एक मालगाड़ी के 6 डिब्बे पटरी से उतर जाने के कारण फतुहा-इस्लामपुर डिवीजन पर रेल यातायात अवरुद्ध हो गया।
* 15 जुलाई को महाराष्ट्र के ठाणे जिले में ‘लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर एक्सप्रैस’ के एक डिब्बे के ब्रेक जाम हो जाने के कारण पहियों के निकट आग लग गई जिसे अग्निशमन यंत्रों की सहायता से बुझाया गया।
* और अब 18 जुलाई को उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में ‘मोतीगंज’ थाना क्षेत्र के ‘पिकौरा’ गांव के निकट जोरदार झटका लगने से चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही ‘चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ साप्ताहिक एक्सप्रैस ट्रेन’ के 14 डिब्बे पटरी से उतर जाने से 3 व्यक्तियों की मौत तथा 32 घायल हो गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ट्रेन से बाहर निकलने के बाद यात्रियों को निकट की सड़क तक पहुंचने के लिए ट्रैक के दोनों ओर खेतों में घुटनों तक भरे पानी से गुजरना पड़ा। मौके पर पहुंचे जिलाधिकारियों ने यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था की। दुर्घटना के कारण कटिहार-अमृतसर एक्सप्रैस, आम्रपाली एक्सप्रैस, जम्मू-तवी अमरनाथ एक्सप्रैस और गुवाहाटी-श्रीमाता वैष्णो देवी कटरा एक्सप्रैस समेत 10 रेलगाडिय़ों को मार्ग बदलकर संचालित करना पड़ा। रेलवे में आधुनिक तकनीक लाकर दुर्घटनाएं कम करने वाली योजनाओं पर गत 5 वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपए के लगभग राशि खर्च किए जाने के बावजूद रेल दुर्घटनाएं हो रही हैं।
अब पिछले कुछ समय से रेलगाडिय़ों को दुर्घटना रहित करने के लिए स्वचालित ट्रेन-सुरक्षा प्रणाली (कवच) लागू करने की दिशा में कदम उठाए गए हैं परंतु इस तकनीक को लागू करने की रफ्तार इतनी धीमी है कि आने वाले एक दशक में भी रेलवे का पूरा नैटवर्क इस तकनीक से लैस होता दिखाई नहीं दे रहा। अब रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सी.आर.एस.) ने ‘कंचनजंगा एक्सप्रैस’ दुर्घटना की जांच संबंधी अपनी रिपोर्ट में ‘कवच प्रणाली’ को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लागू करने की सिफारिश की है जिस पर तुरंत अमल करने की जरूरत है। इसके साथ ही रेल यात्रा सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय रेलों की कार्यप्रणाली और रख-रखाव में तुरंत बहुआयामी सुधार लाने तथा रेलगाडिय़ों के परिचालन जैसी महत्वपूर्ण ड्यूटी पर तैनात होने के बावजूद लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने की जरूरत है। अत: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इस ओर तुरंत ध्यान दें।—विजय कुमार