‘बच्चों के मिड-डे मील में’ निकल रहे सांप, छिपकलियां, कीड़े आदि!

Edited By ,Updated: 07 Jul, 2024 04:36 AM

snakes lizards insects etc found in  children s mid day meal

मिड-डे मील अर्थात दोपहर का भोजन योजना विश्व की सबसे बड़ी नि:शुल्क खाद्य वितरण योजना है जिसकी शुरूआत 1995 में गरीब बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए की गई थी। तब अधिकांश राज्यों ने इसके अंतर्गत लाभार्थियों को कच्चा अनाज देना शुरू किया था पर...

मिड-डे मील अर्थात दोपहर का भोजन योजना विश्व की सबसे बड़ी नि:शुल्क खाद्य वितरण योजना है जिसकी शुरूआत 1995 में गरीब बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए की गई थी। तब अधिकांश राज्यों ने इसके अंतर्गत लाभार्थियों को कच्चा अनाज देना शुरू किया था पर 28 नवम्बर, 2002 को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर बच्चों को पका कर भोजन देना शुरू किया गया। एक अच्छी योजना होने के बावजूद संबंधित विभागों द्वारा इसे लागू करने और भोजन पकाने में लापरवाही तथा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संंबंधी नियमों की अनदेखी के चलते यह योजना वरदान की बजाय अभिशाप सिद्ध हो रही है। मिड-डे मील में सब्जियों के साथ ही सांप, कीड़ों, चींटियों, छिपकलियों आदि का पाया जाना आम हो गया है जो इसी वर्ष के दौरान सामने आई निम्न चंद घटनाओं से स्पष्ट है : 

* 22 फरवरी, 2024 को मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) के ‘हलिया’ ब्लाक के ‘उमरिया’ स्थित प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे मील के अंतर्गत परोसा गया भोजन खाने से 13 बच्चों की हालत खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। भोजन की जांच करने पर आलू-गोभी-मटर की सब्जी में मरी हुई छिपकली पाई गई थी। 
* 22 फरवरी को ही कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे मील खाने के बाद 17 बच्चों की तबीयत अचानक बिगडऩे लगी और वे पेट दर्द से रोने-चिल्लाने लगे।  
* 13 मार्च को अररिया (बिहार) जिले के एक स्कूल में मिड-डे मील में परोसा गया जहरीला भोजन खाने से 100 बच्चे बीमार पड़ गए। 
* 23 मार्च को ‘गरियाबंद’ (छत्तीसगढ़) जिले के विभिन्न सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील में छात्रों को परोसी जाने वाली सोयाबीन की ‘वड़ी’ में कीड़े (फफूंद और घुन) निकलने की शिकायत सामने आई।
* 24 मई को औरंगाबाद (बिहार) में उरुथुवा स्थित सरकारी मिडल स्कूल में मिड-डे मील खाने के बाद 102 से अधिक बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। कुछ बच्चे उल्टी करने लगे और कुछ के पेट में दर्द शुरू हो गया। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और परोसे गए चावल में उबल कर मरी हुई छिपकली देखी गई। 

* 25 जून को मुजफ्फरपुर (बिहार) में ‘मिठन सराय’ स्थित एक सरकारी स्कूल में बच्चों के मिड-डे मील में कीड़े देखे गए। आरोप है कि बच्चों के आपत्ति करने पर स्कूल की प्रधान अध्यापिका ने कीड़ों को ‘जीरा’ बताते हुए खाने को कहा। 
* 4 जुलाई को बक्सर (बिहार) जिले के ‘पांडेय पट्टी’ विद्यालय में दाल और सब्जी के साथ परोसे गए चावल में कीड़े निकलने पर बच्चों ने उस भोजन को खाने से इंकार कर दिया और फैंक दिया।
* 4 जुलाई को ही सांगली (महाराष्ट्र) जिले में एक आंगनबाड़ी स्कूल में बच्चों के लिए भेजे गए मिड-डे-मील के पैकेट में एक छोटा मरा हुआ सांप मिला। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में आंगनबाड़ी में 6 महीने से 3 वर्ष तक के बच्चों को पैकेट में बंद मिड-डे मील दिया जाता है जिसमें दाल और खिचड़ी का मिश्रण होता है।  

* और अब 6 जुलाई को मंडला (मध्य प्रदेश) जिले के गांव ‘बकछेरा दौना’ के आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों के लिए भेजे गए मिड-डे मील का ढक्कन खोलते ही कमरे में बदबू फैल गई। चावल में कीड़े एवं चींटियां पड़ी हुई थीं। दाल में पानी के सिवा कुछ नहीं था और पूरा खाना सड़ा हुआ एवं इतना बदबूदार था जैसे 4-5 दिन पहले बनाया गया हो। हालांकि बच्चों को परोसने से पहले भोजन को एक अध्यापक सहित 2 वयस्कों द्वारा खा कर जांचना और कच्चे सामान व बर्तनों आदि की शुद्धता के नियमों का पालन करना जरूरी है परन्तु अधिकांश मामलों में इन नियमों का पालन ही नहीं किया जाता। इसी कारण मिड-डे मील खा कर बड़ी संख्या में बच्चों के बीमार होने की खबरें आती रहती हैं। इतना ही नहीं, पकाने के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही के चलते गंभीर समस्याएं भी पैदा हो रही हैं।—विजय कुमार

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