‘उल्टी-सीधी बयानबाजी से’‘समाज में नफरत पैदा कर रहे चंद नेता’

Edited By ,Updated: 14 Sep, 2024 04:39 AM

some leaders are creating hatred in the society by making absurd statements

हालांकि नेताओं को हर बयान सोच-समझ कर ही देना चाहिए ताकि अनावश्यक विवाद पैदा न हों परंतु सभी दलों के नेताओं ने बिना सोचे-समझे बयान देकर वातावरण में कटुता फैलाने का सिलसिला जारी रखा हुआ है।

हालांकि नेताओं को हर बयान सोच-समझ कर ही देना चाहिए ताकि अनावश्यक विवाद पैदा न हों परंतु सभी दलों के नेताओं ने बिना सोचे-समझे बयान देकर वातावरण में कटुता फैलाने का सिलसिला जारी रखा हुआ है जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :

  • 8 अगस्त को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ‘भंवर जितेंद्र सिंह’ ने राजस्थान के अलवर में केंद्र की मोदी सरकार तथा राजस्थान की भजन लाल सरकार के बारे में कहा,‘‘ये लातों के भूत हैं, बातों से नहीं मानेंगे।’’
  • 19 अगस्त को ट्रेनी डाक्टर के साथ कोलकाता में रेप और हत्या को लेकर डाक्टरों के आंदोलन पर तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद ‘अरूप घोष’ ने कहा, ‘‘महिला डाक्टर अपने ब्वायफ्रैंड के साथ हैं। उन्हें  अपने ब्वायफ्रैंड के साथ जाना है या अपने घर जाना है, वे जाएं लेकिन किसी मरीज की मौत हुई तो हम इन्हें नहीं छोड़ेंगे।’’ इससे पहले 14 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस के ही एक अन्य नेता ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि, ‘‘जो कोई भी इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर उंगली उठाएगा हम उसकी उंगलियां तोड़ देंगे।’’
  • 1 सितम्बर को तृणमूल कांग्रेस की सांसद ‘डा. काकोली घोष’ को अपनी इस टिप्पणी के लिए माफी मांगनी पड़ी, ‘‘जब मैं मैडीकल की छात्रा थी तो शिक्षकों की गोद में बैठकर छात्राएं पास माक्र्स प्राप्त करती थीं। जो छात्राएं इसका विरोध करती थीं, उन्हें कम अंक दिए जाते थे।’’
  • 2 सितम्बर को हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मंडी से सांसद कंगना रनौत पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘भाजपा सांसद बादल फटने से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने इसलिए नहीं गईं क्योंकि उन्हें अपना मेकअप खराब हो जाने का डर था।’’
  • 7 सितम्बर को भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ‘‘विनेश (फोगाट) को भगवान ने सजा दी। ओलिम्पिक में उसके साथ अच्छा हुआ। वह पहलवान थी अगर मैंने उससे छेड़छाड़ की थी तो उसे मुझे जोरदार थप्पड़ उसी समय जडऩा चाहिए था।’’ बृजभूषण शरण सिंह के उक्त बयान के जवाब में विनेश फोगाट ने कहा, ‘‘वही हमारी गलती रह गई। पहले हम में हिम्मत नहीं थी। बहरहाल जल्द ही थप्पड़ मारने का भी टाइम आएगा।’’
  • 9 सितम्बर को बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ‘‘विनेश जैसी दबंग लेडी कहांं मिलेगी। वह पूरे सिस्टम को हाईजैक कर लेती है। वह ऐसी लेडी है जो कुश्ती को रोक सकती है। भूपेंद्र हुड्डा को तो उसे सी.एम. फेस बना देना चाहिए।’’
  • 9 सितम्बर को केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह (भाजपा) बोले, ‘‘राहुल गांधी चीन के पैसों पर पल रहे हैं। अपने बुरे दौर में चीन को ब्रांड एम्बैसेडर की जरूरत नहीं है। ऐसे लोगों पर देशद्रोह का मुकद्दमा चलाना चाहिए।’’
  • 12 सितम्बर को तेलंगाना हुजूराबाद में ‘भारत राष्ट्र समिति’ (बी. आर.एस.) के विधायक ‘रैड्डïी’ ने कहा, ‘‘कांग्रेस में शामिल हुए बी.आर.एस. के 10 विधायकों को मैं साडिय़ां व चूडिय़ां उपहार में देना चाहता हूं। उन्हें इनको पहन कर लोगों के बीच जाना चाहिए।’’

इसके जवाब में कांग्रेस नेता शोभा रानी ने अपना जूता निकालते हुए बी.आर.एस. विधायक रैड्डी को चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘अगर तुम फिर से महिलाओं का अपमान करोगे तो तुम्हें इस (जूते) का सामना करना पड़ेगा।’’ ये तो चंद उदाहरण हैं और हर पार्टी में इस तरह के बयान देने वाले नेता मौजूद हैं।

हालांकि ऐसी बयानबाजी के लिए बाद में कुछ नेताओं को माफी भी मांगनी पड़ती है और अपमानित भी होना पड़ता है परंतु यह बुराई थम नहीं रही और यह सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इससे समाज में कटुता बढऩे और एक-दूसरे के प्रति नफरत पैदा होने के सिवाय और कुछ हासिल नहीं होगा। अत: ऐसी बयानबाजी से संकोच करना ही देश और समाज के हित में है। -विजय कुमार

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