Edited By ,Updated: 27 May, 2023 04:37 AM
देश में बोतलबंद दूध और डिब्बाबंद उत्पादों आइसक्रीम, लस्सी, मक्खन, घी, पनीर आदि की बिक्री शुरू होने के बाद से अनेक सरकारी और गैर सरकारी कम्पनियां इस क्षेत्र में सक्रिय हुई हैं। इनमें ‘अमूल’ के दुग्ध उत्पाद प्रमुख हैं, परंतु चंद राज्यों द्वारा इनकी...
देश में बोतलबंद दूध और डिब्बाबंद उत्पादों आइसक्रीम, लस्सी, मक्खन, घी, पनीर आदि की बिक्री शुरू होने के बाद से अनेक सरकारी और गैर सरकारी कम्पनियां इस क्षेत्र में सक्रिय हुई हैं। इनमें ‘अमूल’ के दुग्ध उत्पाद प्रमुख हैं, परंतु चंद राज्यों द्वारा इनकी बिक्री का विरोध किया जा रहा है।
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले ‘अमूल’ तथा कर्नाटक के दूध ब्रांड ‘नंदिनी’ को लेकर टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी और अब अमूल द्वारा तमिलनाडु में प्लांट के लिए राज्य के विभिन्न जिलों से दूध खरीदने की योजना का तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की सरकार विरोध कर रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में स्टालिन ने उनसे ‘अमूल’ को तमिलनाडु के दूध ब्रांड ‘आविन’ के मिल्कशैड क्षेत्र से दूध खरीदने से रोकने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि राज्य में दूध की वर्तमान कमी को देखते हुए इससे उपभोक्ताओं की समस्याएं बढ़ेंगी।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन का उक्त तर्क सही नहीं है। बाजार में अधिक ब्रांड उपलब्ध होने से उपभोक्ता उनमें से बेहतरीन का चुनाव कर सकते हैं और विभिन्न उत्पादों में प्रतियोगिता होने से उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार आता है।यही नहीं, इससे आपूर्ति बेहतर होने से उत्पादों की मांग बढ़ती है। मांग बढऩे से राज्य में पशु पालन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे बेरोजगारों को काम मिलेगा और लोगों को बेहतर उत्पाद चुनने का अवसर प्राप्त होगा।—विजय कुमार