‘जम्मू-कश्मीर में खुफिया तंत्र की’ ‘मजबूती जरूरी’

Edited By ,Updated: 22 Mar, 2025 05:44 AM

strengthening of intelligence is necessary in jammu and kashmir

लम्बे समय से आतंकवाद के शिकार जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादियों की हिंसा थमने में नहीं आ रही। वहां रोज ही आतंकवाद की कोई न कोई घटना हो रही है।

लम्बे समय से आतंकवाद के शिकार जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादियों की हिंसा थमने में नहीं आ रही। वहां रोज ही आतंकवाद की कोई न कोई घटना हो रही है। इसके साथ ही आतंकवादियों के स्थानीय मददगार भी पकड़े जा रहे हैं जो घुसपैठियों को भोजन, रहने के स्थान, धन और मार्गदर्शन द्वारा हर तरह की सहायता दे रहे हैं। आतंकवादियों द्वारा हमलों व उनके अड्डों से विस्फोटकों की बरामदगी का सिलसिला भी लगातार जारी है जिसके पिछले अढ़ाई महीने के उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :

* 9 जनवरी को जम्मू-कश्मीर पुलिस व सुरक्षा बलों ने कुलगाम जिला में एक तलाशी अभियान के दौरान आतंकवादियों के 3 मददगारों को गिरफ्तार किया।
* 3 फरवरी को पुलवामा के ‘बेहिबाग’ इलाके में आतंकवादियों ने ‘रिटायर्ड लांस नायक मंजूर अहमद’ के मकान पर हमला करके उनकी हत्या कर दी जबकि उनकी पत्नी ‘आईना’ और बेटी ‘साइना’ घायल हो गर्ईं। 
* 26 फरवरी को राजौरी जिले के ‘सुंदरबनी’ में आतंकवादियों द्वारा सेना के वाहन पर हमला किया गया। 
* 16 मार्च को सुरक्षा बलों ने ‘कुपवाड़ा’ जिले में एक शक्तिशाली विस्फोटक बरामद करके एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम किया। 
* 19 मार्च को बांदीपोरा जिले में संदिग्ध देसी विस्फोटक उपकरण (आई.ई.डी.) बरामद किए गए। 
* 19 मार्च को ही ‘राजौरी’ जिले में थाना मंडी पुलिस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर पुलिस की पैट्रोलिंग पार्टी पर आतंकवादियों द्वारा ग्रेनेड से हमला किया गया लेकिन सौभाग्यवश कोई हानि नहीं हुई।  

हाल ही की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर अर्थात पी.ओ.के. के ‘दुधनियाल’, ‘जुरा’ और ‘लीपा’ सैक्टरों में पाकिस्तान की सेना और उसकी गुप्तचर एजैंसी ‘आई.एस.आई.’ की देखरेख में भारत के विरुद्ध आतंकवादियों के लांच पैड तैयार हो रहे हैं तथा जम्मू-कश्मीर में बड़े आतंकी हमले की साजिश रची जा रही है।
ये आतंकवादी ए.के. 47 राइफलों, हैंड ग्रेनेड और अन्य अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं और पाकिस्तान के अधिकांश हिस्सों में आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ‘इंटरप्टेड कम्युनिकेशन डिवाइस अल्ट्रा’ के जरिए अपनी गतिविधियों की प्लानिंग के संबंध में अपने साथियों से बातचीत करते हैं ताकि एजैंसियों को इनके आप्रेशन की भनक न लग सके।  

इसी के दृष्टिगत जम्मू में 9 मार्च को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में सम्पन्न ‘रिव्यू बैठक’ में विशेष रूप से पिछले तीन महीनों के दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गिरोहों की हलचल के बारे में सुरक्षा बलों को पर्याप्त ठोस सूचनाएं न मिलने की समस्या पर चर्चा की गईं। इस बैठक में ‘सैंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स’, ‘बार्डर सिक्योरिटी फोर्स’, ‘नैशनल इन्वैस्टीगेशन एजैंसी’, ‘इन्फॉर्मेशन ब्यूरो’, जम्मू-कश्मीर पुलिस तथा सेना के वरिष्ठï अधिकारी मौजूद थे। बैठक के दौरान गुप्तचर एजैंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस तथा अद्र्धसैनिक बलों के सदस्यों को समझाया कि जंगलों में अधिक समय बिताने वाले 2 स्थानीय कबीले सुरक्षा बलों को आतंकवादियों की गतिविधियों के विषय में सूचनाएं देने में सक्षम हैं, इसलिए उनसे खासतौर पर संपर्क मजबूत किया जाए और इसके लिए धन भी खर्च किया जा सकता है।

बैठक में इस बात को लेकर भी चर्चा हुई कि जंगलों में आतंकवादियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अनेक सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाए गए हैं परंतु कोई सफलता नहीं मिल रही। विशेषकर पुंछ, राजौरी व जम्मू में सुरक्षा बलों पर उच्च आवृति या उग्रता वाले हमले सुरक्षा बलों के लिए कई महीनों से चिंता का विषय बने हुए हैं। वरिष्ठï अधिकारियों के अनुसार इसका बड़ा कारण आतंकवादियों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई करने के लिए घुसपैठ के संबंध में पर्याप्त जानकारी न मिलना ही है। 
जहां पिछले कुछ वर्षों में खुफिया तंत्र कमजोर हुआ है, वहीं आतंकियों ने अपना नैटवर्क मजबूत किया है। इसी के चलते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ समय पूर्व खुफिया तंत्र को मजबूत बनाने पर जोर दिया था। अत: वहां खुफिया तंत्र की मजबूती के लिए जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि वहां के हालात ठीक हो सकें।—विजय कुमार 

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